Tricity Today | गाजियाबाद जिला न्यायालय परिसर में बुधवार को धरने पर मौजूद अधिवक्ता।
Ghaziabad News : उत्तर प्रदेश में बार एसोसिएशनों के बीच "हड़ताल संस्कृति" को लेकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जाहिर की गई नाराजगी को कोई असर नहीं पड़ा। गाजियाबाद जिला न्यायालय परिसर में चल रहा वकीलों का विरोध प्रदर्शन पर बुधवार को तीसरे दिन भी जारी है। वादकारी मामले में सुनवाई न हो पाने से परेशान हैं। सोमवार से शुरू हुई हड़ताल के बाद वादकारी किसी तरह से कचहरी तक पहुंचते हैं और सब बंद देखकर बैरंग लौट जाते हैं। हालांकि कोर्ट खुली हुई हैं और मामलों में तारीख भी मिल रही हैं लेकिन वकीलों के अदालत में पेश न होने के कारण मामलों की सुनवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है।
पहले पूरा मामला समझिए
गाजियाबाद जिला जज के कोर्ट रूम में 29 अक्टूबर को एक मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों के बीच तीखी नोंकझोक हो गई थी। उसके बाद सैकड़ों की संख्या में वकीलों के कोर्ट रूम में जमा होने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और अधिवक्ताओं को निकालने के प्रयास के दौरान लाठी चार्ज कर दिया। गुस्साएं वकीलों ने पुलिस चौकी में तोड़फोड़ कर डाली। उसके बाद कोर्ट के स्टाफ और चौकी इंचार्ज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नाहर सिंह यादव और उनके बेटे अधिवक्ता को नामजद करते हुए लगभग 50 अधिवक्ताओं के खिलाफ दो मुकदमें दर्ज करा दिए गए थे। मामले में गाजियाबाद बार एसोसिएशन ने सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया था। उसी दिन से गाजियाबाद के अधिवक्ता कचहरी के मेन गेट बंद कर धरने पर बैठे हैं।
हड़ताल के चलते परेशान हैं वादकारी
मंगलवार को मुरादनगर निवासी प्रवीण त्यागी ने बताया कि अपनी बेटी की दहेज उत्पीड़न के चलते हुई मौत के मामले में कोर्ट आए थे। प्रवीण त्यागी ने बताया, "मेरी बेटी मीनाक्षी की शादी 2016 में हुई थी और 2017 में बेटी के ससुराल वालों ने दहेज की मांग को लेकर उसे जहर देकर मार डाला। मामले में बेटी के पति और ससुराल वाले गिरफ्तार कर लिए गए थे। उसी मामले सुनवाई के लिए कचहरी पहुंचे प्रवीण त्यागी हड़ताल के चलते परेशान नजर आए। हड़ताल के चलते सबसे ज्यादा परेशानी जमानत के मामलों में हो रही है, लेकिन जिला जज को हटाए जाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे अधिवक्ताओं की हड़ताल जल्दी खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे।
हड़ताल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने सोमवार को कहा था, "हम चाहते हैं कि न्यायिक कार्य अनवरत रूप से जारी रहे ताकि लोगों को समय से न्याय मिल सके। फरियादियों की शिकायतों का समय से निस्तारण हो सके। ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में इन बातों का देश पर बहुत असर पड़ता है। लोग कानून का शासन चाहते हैं और कानून के शासन को लागू करने के लिए एक प्रभावी तंत्र में विश्वास करते हैं। न्यायिक सिस्टम का नियमित रूप से काम करना बहुत जरूरी है और यह हम सबकी राष्ट्रीय जिम्मेदारी भी है।