Ghaziabad News : कविनगर क्षेत्र में 20 अप्रैल की रात को वेब सिटी में ग्रेटर नोएडा निवासी जितेन्द्र और हरेन्द्र नामक दो दोस्तों की हत्या करने वाले बदमाशों को पुलिस चार दिन बाद भी नहीं पकड़ सकी है। जबकि पीड़ित परिजनों ने तीन आरोपियों विनोद नागर, अनिल नागर और बिल्लू गैंगस्टर निवासी दुजाना गौतमबुद्ध नगर के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करा रखी है। घटना के बाद से हत्यारोपी फरार हैं और उनकी फरारी की वजह से पीड़ित परिवार दहशत में है। दहशत की सबसे बड़ी वजह कुख्यात बदमाश बिल्लू दुजाना का घटना में शामिल होना माना जा रहा है। पुलिस की पांच टीमें आरोपियों की गिरफ्तारी का लगातार प्रयास कर रही हैं। उनके हर संभव ठिकाने पर दबिश दी जा रही है, लेकिन पुलिस को कामयाबी हाथ नहीं लग पाई है।
सरेंडर करने की फिराक में आरोपी
उधर, सूत्रों का कहना है कि हत्यारोपी पुलिस को चकमा देकर दिल्ली में सरेंडर करने की फिराक में हैं। वह दिल्ली में सरेंडर कर जेल जाने की जुगत बैठा रहे हैं। पुलिस को भी इसका पूर्वानुमान है। जिसकी वजह से पुलिस ने दिल्ली और दिल्ली के बॉर्डर पर अपनी फील्डिंग टाइट कर दी है।
बिल्लू दुजाना काफी शातिर बदमाश
सूत्रों की मानें तो बिल्लू दुजाना उर्फ बिल्लू गैंगस्टर पर संगीन धाराओं के कई मामले दर्ज हैं। वह दिल्ली की जेल में बंद था। जहां से करीब 7-8 माह पूर्व वह पैरोल पर रिहा किया गया था। जेल में रहने के दौरान ही बिल्लू के गुर्गों ने राकेश मार्ग स्थित मदन स्वीट्स एंड रेस्टोरेंट के मालिक ब्रहम सिंह यादव और उनके बेटे संदीप यादव से बिल्लू के नाम पर दो करोड़ रुपए की रंगदारी मांगी थी। साथ ही कहा था कि वह नोएडा में तारीख के दौरान बिल्लू दुजाना से जाकर मिल लें। रंगदारी न देने पर बदमाशों ने उनके रेस्त्रां पर फायरिंग भी कर दी थी।
जांच सीओ अवनीश कुमार के पास पहुंची
सूत्रों का कहना है कि बिल्लू कोर्ट में सरेंडर कर अपनी पैरोल खारिज कराकर वापस जेल जाने की फिराक में है। इसके अलावा अंदेशा जताया जा रहा है कि तीनों आरोपी किसी न किसी मामले में दिल्ली पुलिस के समक्ष भी सरेंडर कर सकते हैं। दोहरे हत्याकांड की जांच अब कविनगर के इंस्पेक्टर (अपराध) योगेश बालियान से हटकर सीओ कविनगर अवनीश कुमार के पास पहुंच गई है। अब सीओ कविनगर ही दोहरे हत्याकांड के जांच अधिकारी हैं। बताया गया है कि मृतक जितेन्द्र जाटव समाज से थे। जिसकी वजह से केस में एसी-एसटी एक्ट की धारा भी बढ़ाई गई है। यह धारा बढ़ने के बाद मामले की जांच सीओ स्तर के अधिकारी को ही करने का अधिकार है।