ग्रेटर नोएडा वेस्ट के निवासी ओलंपियन सतीश कुमार यादव के दोनों बच्चों को शहर का एस्टर पब्लिक स्कूल मुफ्त पढ़ाएगा। स्कूल के सीईओ वैभव शर्मा ने यह जानकारी दी है। वैभव शर्मा ने ओलंपिक के पहले मुकाबले में सतीश कुमार यादव की जीत पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, "सतीश कुमार एक सैनिक होने के साथ-साथ ओलंपिक में भाग लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। यह हमारे लिए बेहद फक्र की बात है कि उनका बेटा और बेटी एस्टर पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राएं हैं।"
वैभव शर्मा ने बताया कि ओलंपियन सतीश कुमार यादव की बेटी परी एस्टर पब्लिक स्कूल में कक्षा दूसरी की छात्रा हैं। उनका बेटा मीत पहली कक्षा में पढ़ता है। सतीश कुमार की कामयाबी न केवल गौतमबुद्ध नगर और उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश की कामयाबी है। वह एक सैनिक भी हैं। उनकी उपलब्धियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए एस्टर पब्लिक स्कूल के बोर्ड ने दोनों बच्चों की फीस खत्म करने का फैसला लिया है। परी और मीत जब तक एस्टर पब्लिक स्कूल में पढ़ेंगे उनसे फीस नहीं ली जाएगी।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की अरिहंत आर्डन हाउसिंग सोसायटी में रहने वाले सतीश कुमार यादव भारतीय सेना की 11वीं कुमाऊँ रेजीमेंट में बतौर सूबेदार मेजर हैं। वह मूल रूप से बुलंदशहर जिले के गांव पचौता के निवासी हैं। वह पिछले कई वर्षों से ग्रेटर नोएडा वेस्ट की अरिहंत आर्डन सोसाइटी में परिवार के साथ रह रहे हैं। परिवार में पत्नी सविता यादव, बेटा मीत और बेटी परी हैं। सविता यादव ने बताया, उनका बेटा मीत छोटा है और वह भी पिता की तरह बॉक्सिंग करना सीख रहा है। सतीश कुमार यादव पहली बार ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं। खास बात यह है कि वह ओलंपिक में भाग लेने वाले पहले भारतीय सुपर हैवीवेट मुक्केबाज हैं।
सविता यादव ने बताया कि बाकी परिवार बुलंदशहर में ही रह रहा है। सतीश कुमार यादव के सिक्सटीन क्वालीफाई करने और क्वार्टर फाइनल में पहुंच जाने से उनके गांव में खुशियों का माहौल है। दूसरी ओर अरिहंत आर्डन में भी लोग खुशियां मना रहे हैं। सोसाइटी के लोग उनके घर जाकर बधाई दे रहे हैं। अब लोगों को क्वार्टर फाइनल मुकाबले का इंतजार है। आपको बता दें कि सतीश कुमार यादव का क्वार्टर फाइनल में मुकाबला उज्बेकिस्तानी सुपर हैवीवेट मुक्केबाज बखादिर से होगा। यह मुकाबला रविवार की सुबह 9:30 बजे होगा।
हमारी इच्छा स्वर्ण पदक लेकर वापस लौटें : सविता यादव
सतीश यादव के बड़े भाई जयप्रकाश भी सेना में हैं। उनके दो छोटे भाई जितेंद्र और हरीश बॉक्सिंग सीख रहे हैं। सतीश के पिताजी किरणपाल सिंह यादव एक सामान्य किसान हैं और उनकी माताजी गुड्डी देवी घरेलू महिला हैं। सतीश यादव की शादी ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिसरख गांव में हुई है। उनके ससुर रामनिवास यादव और सास बाला देवी हैं। सविता यादव ने बताया कि उनके गांव बिसरख में भी खुशियों का माहौल है। लोगों को सतीश की कामयाबी पर बेहद फक्र है और सभी चाहते हैं कि वह स्वर्ण पदक जीतकर वापस लौटें।
ओलंपिक में भारत के पहले सुपर हैवीवेट मुक्केबाज
सतीश कुमार यादव का जन्म 4 मई 1989 को बुलंदशहर के पचौता गांव में एक किसान परिवार में हुआ। वह शौकिया मुक्केबाज हैं। उन्होंने 2014 के इंचियोन एशियाई खेलों में में सुपर हैवीवेट वर्ग में कांस्य पदक जीता था। अब वह सुपर हैवीवेट वर्ग में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बन चुके हैं।
डब्ल्यूडब्ल्यूई, अंडरटेकर और जॉन सीना का नाम सुना था
बुलंदशहर के एक किसान के घर पैदा हुए। सतीश कुमार अपने बड़े भाई जयप्रकाश की तरह सेना में शामिल होना चाहते थे। उन्होंने 2008 में एक सिपाही के रूप में सेना ज्वाइन की। वह कुमाऊं रेजिमेंट रानीखेत चले गए। जहां उन्हें एक मुक्केबाजी शिविर के दौरान उनकी ऊंचाई के चलते चुना गया। सेना ने उनसे इस खेल को आजमाने का आग्रह किया। वह यह भी नहीं जानते थे कि उस समय बॉक्सिंग क्या होती है। वह सोचते थे कि डब्ल्यूडब्ल्यूई बॉक्सिंग है और उन्होंने अंडरटेकर और जॉन सीना के बारे में सुना था।
अर्जुन पुरस्कार और एशियाई खेल में कांस्य मिला
उन्हें 2018 में भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। सबसे पहले बाई आई एशियाई खेल 2014 की। सतीश कुमार आगे बढ़ने में विफल रहे। 91 किग्रा मुक्केबाजी में सिल्वर हासिल कर पाए थे। अब उनके सामने अपने करियर का शानदार प्रदर्शन करने का मौक़ा है। मुक्केबाज सतीश कुमार 7 बार नेशनल चैंपियनशिप जीती है।