Greater Noida News : शहर की नामचीन सोशल एक्टिविस्ट कावेरी राणा भारद्वाज ने नोएडा पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है, "पुलिस ने बिना पढ़े एक पीड़िता की शिकायत पर गलत रिपोर्ट लगाई। पीड़िता ने कुछ दिन पहले ही शिकायत दी थी, लेकिन उस पर गौर तक नहीं किया है। दूसरी शिकायत से उठाकर दो महीने पुरानी रिपोर्ट उनकी शिकायत पर चिपका दी है।" कावेरी राणा भारद्वाज ने कहा, "जिले में एसएसपी सिस्टम खत्म करने के बाद कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया। मुख्यमंत्री का फैसला क्रांतिकारी था। हमें लगा था कि अब हालात सुधरेंगे। लेकिन नोएडा में कमिश्नरेट सिस्टम फेल हो गया है। पूरे जिले में अपराध चरम सीमा पर है।"
"पुलिस महिला सुरक्षा को लेकर संजीदा नहीं"
पीड़िता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनसुनवाई पोर्टल के साथ-साथ महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग को भी शिकायत की थीं। कावेरी राणा का कहना है, "इससे साफ पता चलता है कि घरेलू हिंसा जैसे मामलों और महिला सुरक्षा पर नोएडा पुलिस कितनी एक्टिव है, महिलाओं की शिकायत पर फर्जी आख्या बिना पढ़े लगा देते हैं।" वह सवाल करती हैं, "ऐसे हालात में महिला सुरक्षा का जिले में क्या हाल होगा?"
13 दिसंबर को शिकायत की थी
कावेरी राणा ने बताया, "मैंने करीब दो महीने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत डाली थी। उस शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपियों का सीआरपीसी की धारा 151 में चालान काटा था। अब बीते 13 दिसंबर को मैंने अपनी व्यक्तिगत शिकायत जनसुनवाई पोर्टल पर डाली थी। जनसुनवाई पोर्टल के साथ महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग में भी शिकायत की थी।"
"नोएडा पुलिस को एक्शन का डर नहीं"
पीड़िता ने आगे बताया, "इस मामले में नोएडा पुलिस ने आंखें बंद करके काम किया है। पुलिस ने शिकायत को पढ़ा भी नहीं और दो महीने पुराने केस की रिपोर्ट इन नए मामले में लगा दी। नोएडा पुलिस ने गलत जानकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जनसुनवाई पोर्टल पर अपलोड कर दी। मलतब, मामला कुछ और है और जवाब बिना पढ़े कुछ और दे दिया है। इससे पता चलता है कि नोएडा पुलिस को योगी आदित्यनाथ के सख्त एक्शन का डर नहीं है। अब नोएडा पुलिस मुख्यमंत्री से भी ऊपर है।" उन्होंने आगे कहा, "गजब की बात है कि मैंने विरोध दर्ज करवाया तो पुलिस अफसरों ने कहा कि ऐसा तकनीकी कारणों से हो गया है।"
"जिले में 15 आईपीएस तैनात, सबकी आंखें बंद"
कावेरी राणा ने सवाल पूछा है, "क्या नोएडा पुलिस के जिम्मेदार अफसर आंखें बंद करके काम करते हैं? इस जिले में 15 आईपीएस अधिकारी राज्य सरकार ने पोस्ट कर रखें हैं, उसके बावजूद यह हाल है। क्या नोएडा पुलिस को महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग का डर नहीं है? क्योंकि ऐसा तो तभी हो सकता है, जब आपको ना मुख्यमंत्री का डर है और महिला आयोग या मानवाधिकार आयोग को तो कुछ मानते ही नहीं हैं। घरेलू हिंसा जैसे अपराध में यह नोएडा पुलिस की कार्रवाई बेहद शर्मनाक है।"
"नोएडा पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम फेल हो गया"
कावेरी राणा भारद्वाज ने कहा, "जिले में एसएसपी सिस्टम खत्म करने के बाद कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया। मुख्यमंत्री का फैसला क्रांतिकारी था। हमें लगा था कि अब हालात सुधरेंगे। लेकिन नोएडा में कमिश्नरेट सिस्टम फेल हो गया है। पूरे जिले में अपराध चरम सीमा पर है। जिले में 'लॉ एंड ऑर्डर' खत्म है। कमिश्नरेट ने शहर को बर्बाद कर दिया है। इतना अपराध, इतनी ना-सुनवाई और इतना गंदा व्यवहार जिले की जनता के साथ कभी नहीं हुआ, जितना आज हो रहा है। एसएसपी सिस्टम में आम जनता को बोलने का अधिकार था, लेकिन आज लोगों से बोलने का अधिकार छीन लिया गया है।"