ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में टुकड़े-टुकड़े गैंग : 6% आबादी प्लॉटों पर गैंग की नज़र, प्राधिकरण में खेल रहे बड़ा खेला

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Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में टुकड़े-टुकड़े गैंग सक्रिय है। यह गैंग किसानों से 6% आबादी के प्लॉट नक्शा-11 के जरिए सस्ते दामों पर खरीदता है। इसके बाद खरीदे गए प्लॉट के छोटे-छोटे टुकड़े करवाकर बेच देता है। इस तरह का खेला आजकल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लैंड विभाग, 6% आबादी विभाग और प्लानिंग विभाग में खूब खेला जा रहा है। छोटे प्लॉट कराकर यह गैंग लाखों के प्लॉट करोड़ों में बेच देता है। इस तरह के सैकड़ों मामले प्रकाश में आ चुके हैं।

6% आबादी के प्लॉट को सस्ते दामों पर खरीद लेता है गैंग
प्राधिकरण किसान की जमीन अधिग्रहण करता है और किसान को आबादी विस्तार के लिए 6% आबादी के भूखंड विकसित करके देता है। यह भूखंड किसान को इसलिए दिए जाते हैं कि भविष्य में उनके परिवार की संख्या बढ़ेगी, जिससे बढ़े परिवार कस सामने बसने की समस्या खड़ी ना हो। लेकिन किसान के 6% आबादी के भूखंडों पर टुकड़े-टुकड़े गैंग की नजर गड़ गई हैं। यह गैंग किसानों के नक्शा-11 पर ही 6% आबादी के प्लॉट सस्ते दामों पर खरीद लेता है। किसान को कहा जाता है कि प्राधिकरण में कहां धक्के खाओगे। यह बात सही भी है। प्राधिकरण आसानी से किसानों को 6% भूखंड का आवंटन और कब्जा नहीं देता है। इसलिए किसान टुकड़े-टुकड़े गैंग के झांसे में आ जाते हैं और नक्शा-11 पर ही सस्ते पैसों में प्लॉट लुटवा बैठते हैं। इसके बाद यह गैंग 60 से 2,500 वर्ग मीटर तक के प्लॉट्स के टुकड़े करवाते हैं।

यह गैंग प्लॉटों को चौड़ी सड़कों के किनारे लगवा लेता है
अभी हाल ही में कई मामले एसीईओ अमनदीप डुली की पकड़ में आए थे। ढाई हजार वर्ग मीटर के एक प्लॉट के 17 टुकड़े करा लिए गए। इसी तरह यह गैंग हजार, पंद्रह सौ, दो हजार और ढाई हजार वर्ग मीटर के प्लॉट को सस्ते में किसानों से खरीद लेता है। इसके बाद इन प्लॉटों के 100, 150, 200, 250, 300, 500, 600 और 700 वर्ग मीटर तक के टुकड़े करवाता है। इसके बाद प्लॉट के टुकड़ों को प्लानिंग विभाग शहर के आवासीय सेक्टरों के पास बेस्ट लोकेशन पर लगवा लेता है। कई ऐसे मामले भी हैं कि इस टुकड़े-टुकड़े गैंग ने इन प्लॉटों को 60, 70, 80 मीटर चौड़ी सड़कों के किनारे लगवा लिया है। वहीं, कुछ प्लॉट कॉर्नर पर लगवा लिए हैं। कई प्लॉट टू साइड ओपन और 3 साइड ओपन रोड पर लगवा लिए हैं।

प्राधिकरण में पिछले कई सालों से चल रहा है यह खेला
बात यहीं तक खत्म नहीं होती, इन प्लॉटों को कमर्शियल और आवासीय प्लॉट के बराबर में लगवा लिया जाता है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में तो इस गैंग ने शहर के मास्टर प्लान को बदलवा दिया है। चेरी काउंटी हाऊसिंग सोसायटी के पीछे कमर्शियल बेल्ट में आबादी भूखंड लगवाकर बेच डाले हैं। इस तरह लाखों की कीमत के प्लॉट रातोंरात करोड़ों के हो जाते हैं। इस तरह का खेला प्राधिकरण में पिछले कई सालों से चल रहा है, लेकिन अधिकारियों ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है। कई लुटे-पिटे किसान इस खेल को तब समझ पाए, जब वह टुकड़े-टुकड़े गैंग को प्लॉट बेच चुके थे।

किसान को गैंग से बचने के लिए समिति का गठन किया जाये
इस मामले की शिकायत किसान अधिकार संघर्ष समिति के अध्यक्ष रूपल राठी ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और मेरठ मंडल के आयुक्त सुरेंद्र सिंह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है। उनकी मांग है कि इस तरह किसान को टुकड़े-टुकड़े गैंग की लूट से बचाया जाए। जो असली किसान हैं, उसी के प्लॉट के टुकड़े किए जाएं। किसान के परिवार को जिन-जिन सदस्यों के नाम से प्लॉट के टुकड़े करवाने हैं, एक समिति गठित करके उसके सामने पेश किया जाए। उसकी पहचान होने पर ही भूखंड के टुकड़े असली किसान के नाम किए जाएं। जिससे कि किसान अपने पुरखों की बची आबादी को बचा सकें। असली किसान को प्राधिकरण उपखण्ड पॉलिसी का लाभ मिल सके।

क्या है प्रधिकरण की उपखण्ड पॉलिसी
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी दीपक अग्रवाल ने 18 अप्रैल 2016 को एक कार्यालय आदेश जारी किया था। आदेश में साफ तौर पर लिखा गया है कि प्राधिकरण की 104वीं बोर्ड बैठक के एजेंडा नंबर तीन में भूखंडों के विभाजन की व्यवस्था है। जिसके तहत अधिकतम चार खंड किए जा सकते हैं। उपखण्ड का न्यूनतम क्षेत्रफ़ल 120 वर्गमीटर होना चाहिए। ग्रेटर नोएडा में इस पॉलिसी का उल्लंघन करके अंधाधुंध विभाजन किए जा रहे हैं। जिसमें उपखंडों की संख्या 17 तक है। पिछले दिनों पतवाड़ी गांव में एक भूखंड के 16 हिस्से करवाए गए हैं। इनका क्षेत्रफल 60 वर्गमीटर तक है। अधिकांश भूखंड 10-12 टुकड़ों में विभाजित किए जा रहे हैं। जिससे छोटे-छोटे भूखंडों की कीमत बढ़ जाती है। टुकड़े-टुकड़े गैंग इन भूखंडों को बाजार में ऊंची कीमतों पर बेचकर करोड़ों के वारे-न्यारे कर रहा है। महज 10-12 हजार रुपये प्रति वर्गमीटर प्लाट खरीदकर 50 हजार रुपये प्रति वर्गमीटर तक बेच रहा है। एक तरह से शहर में अवैध कॉलोनियां बसाई जा रही हैं।

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