Noida News : हैंसिडा प्रोजेक्ट में कथित फंड डायवर्जन की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम जल्द ही नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय में दस्तावेजों की पड़ताल के लिए फिर से आ सकती है। बीते सोमवार को भी ईडी की टीम ने प्राधिकरण से परियोजना से जुड़े लीज डीड और स्वीकृत मानचित्र सहित अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज हासिल किए थे।
फंड डायवर्जन के पुख्ता सबूत मिले
सूत्रों के अनुसार अब तक की जांच में ईडी को फंड डायवर्जन के ठोस सबूत मिल चुके हैं। सेक्टर-107 में स्थित लोटस-300 परियोजना में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को लेकर ईडी ने पहले ही बिल्डर और प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ के ठिकानों पर छापेमारी की थी। जांच में यह खुलासा हुआ है कि फंड डायवर्जन के बाद परियोजना की जिम्मेदारी से बचने के लिए बिल्डर और उनके सहयोगियों ने निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था।
निदेशक पद पर कर्मचारियों की नियुक्ति
ईडी की जांच में पता चला है कि बिल्डरों ने इस्तीफा देने के बाद अपने कर्मचारियों को हैंसिडा प्रोजेक्ट्स कंपनी का निदेशक बना दिया। ईडी अब इन निदेशकों के बैंक खातों, नौकरी की शुरुआत, संपत्ति और अन्य वित्तीय पहलुओं की गहन जांच कर रही है।
तत्कालीन अधिकारियों की भूमिका पर सवाल
फंड डायवर्जन की इस सुनियोजित साजिश में प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि ईडी की जांच में प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ समेत पांच अन्य अधिकारियों के नाम सामने आए हैं, जिनसे जल्द ही पूछताछ हो सकती है।
निवेशकों के 190 करोड़ रुपए डायवर्ट होने के संकेत
ईडी को इस बात के संकेत मिले हैं कि परियोजना में निवेशकों के लगभग 190 करोड़ रुपए का फंड डायवर्जन किया गया। दस्तावेजों से यह भी पता चला है कि हैंसिडा कंपनी के निदेशक निर्मल सिंह ने 15 जुलाई 2014 को जबकि विदुर भारद्वाज और सुरप्रीत सिंह ने 3 मार्च 2015 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।