Noida News : नोएडा में फ्लैट रजिस्ट्रीकरण की प्रक्रिया पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अमिताभ कांत समिति (Amitabh Kant Committee) की सिफारिशें लागू करने के बाद नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने 19 बिल्डरों से छूट के पैकेज पर हस्ताक्षर कराकर 180 करोड़ रुपये जमा कराए और फ्लैटों की रजिस्ट्री का रास्ता खोला। हालांकि, बहुत से फ्लैट खरीदार अभी भी रजिस्ट्री के लिए गंभीर नहीं दिख रहे हैं। बिल्डरों का दावा है कि उन्होंने कई खरीदारों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन अधिकांश से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। कुछ खरीदार ऐसे भी हैं जो अभी तक संपर्क में नहीं आए और गायब बने हुए हैं। इस स्थिति में प्राधिकरण की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं।
45 बिल्डरों से किया संपर्क
अमिताभ कांत समिति की अनुशंसाओं के बाद नोएडा प्राधिकरण पर शासन का भारी दबाव है। शासन की ओर से लगातार अपडेट लिया जा रहा है। प्राधिकरण ने चरणबद्ध तरीके से 45 बिल्डरों से संपर्क किया और उनमें से 19 बिल्डरों ने छूट के बाद 25% राशि जमा कराई, हालांकि कुछ ने किस्तों में भुगतान किया। बिल्डरों द्वारा धनराशि जमा कराए जाने के बाद वर्तमान में 1,300 फ्लैट खरीदारों के फ्लैटों की रजिस्ट्री का रास्ता खुल गया है, लेकिन अब तक केवल 425 फ्लैटों की रजिस्ट्री ही हुई है।
सीईओ ने की बिल्डरों के साथ बैठक
नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम. ने बिल्डरों को बुलाकर बैठक की। उन्होंने जानने की कोशिश की कि पैसे जमा कराने के बावजूद रजिस्ट्री क्यों नहीं हो पा रही है। बिल्डरों का कहना है कि कई खरीदारों ने अपने फ्लैट किराए पर दे रखे हैं और रजिस्ट्री के लिए उन्हें अंतिम बकाया भी जमा कराना होगा, जो 5 से 20 लाख रुपये तक हो सकता है। संभव है कि उनके पास फंड की कमी हो और वे बाद में रजिस्ट्री कराना चाहते हों, इसलिए टालमटोल कर रहे हों। इस तरह की दिक्कत आईटीएस निंबस, एक्सप्रेस जेनिथ, ग्रेट वैल्यू सहित कई बिल्डरों के साथ आ रही है।
अमिताभ कांत समिति
नोएडा समेत पूरे दिल्ली-एनसीआर और देशभर में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में एक समिति का गठन 31 मार्च 2023 को किया गया था। समिति में उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के टॉप ब्यूरोक्रेट्स शामिल थे। इस कमेटी को दिल्ली-एनसीआर में अटके प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का रास्ता बताने का जिम्मा दिया गया था। इस कमेटी ने बिल्डर्स से लेकर बायर्स तक की समस्याओं और हर पहलुओं का बारीकी से अध्ययन किया। इसके बाद 24 जुलाई 2023 को अपनी रिपोर्ट सबमिट की। सरकार ने उस रिपोर्ट को गौतमबुद्ध नगर के तीनों विकास प्राधिकरणों को भेजा था। अधिकारियों के मुताबिक, सरकार ने समिति की करीब आधी सिफारिशों को कुछ बदलाव के साथ लागू करने का निर्णय लिया है।