Noida Desk : दिल्ली और नोएडा के 60 से अधिक स्कूलों को बम की धमकी वाले मेल मिलने से अभिभावकों और छात्रों में दहशत फैल गई। शुरूआती जांच में बम की धमकी का रूस से कनेक्शन सामने आया है। जांच एजेंसियों को शक है कि स्कूलों में धमकी भरे ईमेल के पीछे किसी एक शख्स का नहीं, बल्कि किसी संगठन का हाथ है। साजिश के तार विदेश से जुड़े हो सकते हैं। साजिश के तहत आज का दिन और वक्त सुनिश्चित किया गया था। सभी स्कूलों को एक साथ और एक वक्त पर करीब-करीब एक जैसा ईमेल भेजा गया। IP एड्रेस विदेश में मौजूद एक ही सर्वर का निकला है। साजिश की तह तक जाने के लिए इंटरपोल की मदद ली जा रही है।
दोषियों को नहीं जाएगा बख्शा
दिल्ली एलजी वीके सक्सेना ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने बम की धमकी वाले ईमेल के स्रोत का पता लगा लिया है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। शांति और सद्भाव को बाधित करने के लिए कड़ी सजा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि बम की धमकी अफवाह है, घबराने की कोई बात नहीं। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस पूरी तरह सतर्क है।
गौतमबुद्ध नगर और दिल्ली पुलिस का बयान
गौतमबुद्ध नगर पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह ने कहा कि शहर के सभी स्कूल पूरी तरह सुरक्षित हैं और वहां के सभी बच्चे सकुशल हैं। उन्होंने अभिभावकों से अपील की है कि उन्हें किसी भी तरह की अफवाह पर विश्वास न करें और परेशान होने की जरूरत नहीं है। पुलिस ने सभी स्कूलों की गहन जांच की है और कहीं से भी कोई बम या संदिग्ध वस्तु बरामद नहीं हुई है। दिल्ली पुलिस ने पुलिस ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी भरे ईमेल मिले थे। हमने प्रोटोकॉल के अनुसार उन सभी स्कूलों की गहन तलाशी ली, लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला।"
गृह मंत्रालय का बयान
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस धमकी को अफवाह बताते हुए लोगों से शांत रहने की अपील की है। गृह मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए लिखा, "यह धमकी सिर्फ अफवाह है। घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। दिल्ली पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई कर रही हैं।"
यह है पूरा मामला
बता दें कि दिल्ली और नोएडा शहर के 80 से अधिक स्कूलों को उनके परिसर में बम रखने की धमकी भरा ईमेल मिलने के बाद बुधवार सुबह अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय पुलिस को ईमेल के बारे में सूचित किया गया और सभी स्कूलों को खाली करा लिया गया। ठीक यहीं हाल गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम में मौजूद डीपीएस स्कूल का भी रहा। वहां भी स्कूल मैनेजमेंट ने अभिभावकों को स्कूल बुलाकर उन्हें बच्चे सौंप दिए।