पहल : उत्तर प्रदेश में नेशनल मोबाइल मेडिकल यूनिट घर बैठे दे रही है नि:शुल्क इलाज की सुविधा

Google Image | उत्तर प्रदेश मे नेशनल मोबाइल मेडिकल यूनिट घर बैठे दे रही है नि:शुल्क इलाज की सुविधा



कोरोना संक्रमण से पूरा उत्तर प्रदेश परेशान है। हर तरफ का हाल बुरा है। उत्तर प्रदेश में ऐसे कई गांव है जहाँ हॉस्पिटल की सुविधा तक नही है। लोग अपना कोरोना का इलाज या कोई और बीमारी का इलाज करवाने बाहर नही जा सकते। अभी इन सब के बीच उत्तर प्रदेश के लोगों को घर बैठे नि:शुल्क इलाज की सुविधा देने में नेशनल मोबाईल मेडिकल यूनिट जीवनदायिनी बन गई है। यह यूनिट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा साल 2019 में शुरू की गई थी। इस चलते-फिरते अस्पताल से अब तक प्रदेश के 45 लाख से अधिक लोगों को नि:शुल्क इलाज दिया जा चुका है। कोविड के समय में 15 लाख से अधिक लोगों की सैंपलिंग और स्क्रीनिंग करने में भी यूनिट ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

नेशनल मोबाईल मेडिकल यूनिट 53 जिलों में कार्य कर रहीं हैं और 170 वाहन में जांच के उपकरणों से लैस हैं। इसमें एक डॉक्टर के साथ एक फार्मासिस्ट, एक लैब टेक्नीशियन और एक स्टॉफ नर्स हर समय मौजूद रहते हैं। यह वैन गांव में एक निश्चित स्थान पर पहुंचता है। फिर बीमार लोगों को इलाज और कई बीमारियों की जांच की सुविधा उन्हीं के गांव में देता है। योगी सरकार ने नेशनल मोबाईल मेडिकल यूनिट से गांव वालों के बीच अपनी अलग पहचान बनाने में सफलता पाई है।

ये एक छोटा सा अस्पताल है जो हर किसी के दरवाजे तक पहुंचता है। इस नेशनल मोबाइल मेडिकल यूनिट की वैन में कई उच्चस्तरीय व आधुनिक उपकरण मौजूद हैं जो इसे और भी खास बना देती हैं। इनमे नेब्यूलॉईजर, इलेक्ट्रिक नीडिलडिस्ट्रायर, ईसीजी मशीन, एम्बू बैग, सेमी आटोमेटिक बायोकेमेस्ट्री एनेलाईज़र, आटोस्कोप, टोनोमीटर, ग्लूकोमीटर, स्टेलाइज़र, व्यू बॉक्स, ड्रेसिंग ड्रम, आपथेल्मोस्कोप, सेंट्रीफ्यूज मशीन, लेरिंजोस्कोप, माइक्रो टाइपिंगसेंट्रीफ्यूज, हीमोग्लोबिन मीटर आदि प्रमुख हैं। कोरोना की एंटीजन जांच, कोरोना वायरस के लक्षणों की जांच के लिए इंफ्रारेड थर्मामीटर आदि भी इसमें रहता है। इस वैन के बाहरी हिस्से में एलईडी लगी है जिसपर गांव-गांव योगी सरकार की लाभकारी योजनाओं का प्रचार भी किया जाता है।

नेशनल मोबाइल मेडिकल यूनिट गांव में जिस स्थान पर लोगों को इलाज मुहैया कराती है उसी स्थान पर  फिर वापस 15 दिनों के बाद लौटती है। जिन रोगियों को डॉक्टर की सलाह से मुफ्त दवाइयां दी गई होती हैं उनका हालचाल लेती है। फॉलोअप के माध्यम से लोगों को बीमारियों से छुटकारा दिलाने का काम करती है। इस दौरान गंभीर रोगियों को बड़े अस्पतालों में इलाज के लिए रेफर करने का काम भी किया जाता है। कोरोना काल में इनके माध्यम से गांव में स्क्रीनिंग का कार्य किया गया जो काफी प्रभावित साबित हुआ एंटीजन के माध्यम से कोरोना की जांच में भी यह सहायक बनी हैं। गांव वाले इसमे आसानी से इलाज करा लेते है।

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