बड़ी खबर : पीएम नरेन्द्र मोदी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करने पहुंचे, जलाभिषेक से पहले गंगा में लगाई डुबकी

Social Media | गंगा में लगाई डुबकी



Varanasi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। वहां पर श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरीडोर का लोकार्पण करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक से पहले गंगा में लगाई डुबकी और मां गंगा का आशिर्वाद लिया। ये प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है।  यह कॉरिडोर बनने के बाद अब गंगा घाट से सीधे कॉ‍रिडोर के रास्‍ते बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं। काशी को दुनिया के सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है। दो हजार वर्ग मीटर में फैले काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए लोगों को तंग गलियों से होकर आना पड़ता था। लेकिन इस दिव्य और भव्य कॉरीडोर के लोकार्पण के बाद लोग अब बड़ी आसानी से बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे।

मान्यता है कि भगवान विश्वनाथजी यहां ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में निवास करते हैं। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। अब काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए आने-वाले श्रद्धालुओं को गलियों और तंग संकरे रास्तों से होकर नहीं गुजरना पड़ेगा। लंबे समय से इस परियोजना पर काम किया जा रहा था और लगभग तीन वर्ष में बाबा विश्वनाथ के पूरे परिसर का कायाकल्प हो गया। इसकी कुल लगात 900 करोड़ रुपए है। अब बाबा विश्वनाथ मंदिर का विस्तार गंगा तट तक है। काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन से पहले गंगा स्नान या फिर आचमन की मान्यता है। अब श्रद्धालु गंगा स्नान कर गंगा जल लेकर सीधे बाबा भोलेनाथ के दर्शन कर सकेंगे और सब कुछ मंदिर के प्रांगण में ही होगा।

लगभग सवा 5 लाख स्क्वायर फीट में बना काशी विश्वनाथ धाम बनकर पूरी तरह तैयार है। इस भव्य कॉरिडोर में छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं। इस कॉरिडोर को लगभग 50,000 वर्ग मीटर के एक बड़े परिसर में बनाया गया है। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर को तीन भागों में बांटा गया है। इसमें चार बड़े-बड़े गेट और प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं। इनमें काशी (Varansi) की महिमा का वर्णन किया गया है। इसके अलावा इस कॉरिडोर में मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, तीन यात्री सुविधा केंद्र, चार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपरपस हॉल, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी जैसी सुख-सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई है।

इसमें चुनार के गुलाबी पत्थर मकराना के सफेद मार्बल और वियतनाम के खास पत्थरों का इस्तेमाल किया गया। ढाई सौ साल के बाद मंदिर का पहली बार जीर्णोद्धार हुआ। इस कॉरिडोर के बनने के बाद श्रद्धालु गंगा किनारे से ही बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे। काशी विश्वनाथ धाम में महादेव के प्रिय पौधे रुद्राक्ष, बेल पारिजात, वट और अशोक लगाए जाएंगे। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में अगर गोदौलिया वाले गेट से कोई अंदर जायेगा तो यूटिलिटी भवन, सिक्योरिटी ऑफिस मिलेगा। बाबा विश्‍वनाथ मंदिर के लिए प्रसाद तैयार हो रहा है, जो 8 लाख से अधिक परिवारों में वितरित होगा। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण और पुनर्निमाण को लेकर कई तरह की धारणाएं हैं।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास
इतिहासकारों के मुताबिक काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण अकबर के नौरत्नों में से एक राजा टोडरमल ने कराया था। वाराणसी स्थित काशी विद्यापीठ में इतिहास विभाग में प्रोफेसर रह चुके डॉक्टर राजीव द्विवेदी ने बीबीसी को बताया, 'विश्वनाथ मंदिर का निर्माण राजा टोडरमल ने कराया, इसके ऐतिहासिक प्रमाण हैं और टोडरमल ने इस तरह के कई और निर्माण भी कराए हैं। हालांकि यह काम उन्होंने अकबर के आदेश से कराया, यह बात ऐतिहासिक रूप से पुख्ता प्रमाण नहीं है। राजा टोडरमल की हैसियत अकबर के दरबार में ऐसी थी कि इस काम के लिए उन्हें अकबर के आदेश की जरूरत नहीं थी। कहा जाता है कि करीब सौ साल बाद औरंगजेब ने इस मंदिर को ध्वस्त करा दिया था। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का 1780 में जीर्णोद्धार महारानी देवी अहिल्या बाई होल्कर ने कराया था। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने 1853 में मंदिर के शिखर सहित अन्य स्थानों पर सोना लगवाया था। अब 241 वर्ष बाद इस मंदिर को नए अवतार में दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जा रहा है। 

बाबा विश्वनाथ मंदिर का महत्व
काशी को सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। ये ज्योतिर्लिंग मंदिर गंगा नदी के पश्चिम घाट पर स्थित है। काशी को भगवान शिव और माता पार्वती का सबसे प्रिय स्थान माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन मात्र से ही पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  8 मार्च 2019  को किया था। एक अध्यादेश के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिर परिक्षेत्र को विशिष्‍ट क्षेत्र घोषित किया था। जिसके बाद आसपास के कई भवनों को अधिग्रहित किया गया था।

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