पुरुष फैसला लेते हैं लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं होती हैं। रोही समेत आसपास के 6 गांवों का विस्थापन हुआ है। इसका सबसे ज्यादा असर इन गांव की बहू-बेटियों के जीवन पर पड़ने वाला है। विस्थापित हुए 3,003 किसान परिवारों में से अधिकांश जेवर टाउनशिप में पहुंच चुके हैं। ग्रामीण जीवन छोड़कर आई महिलाएं क्या सोच रही हैं? उनकी नई दिनचर्या कैसी है? रोही गांव की एक पढ़ी-लिखी बहू पूजा सिंह से इन्हीं मुद्दों पर खास बातचीत हुई। पेश हैं प्रमुख अंश...
- पूजा सिंह जी! सबसे पहले अपने परिवार और व्यक्तिगत जीवन के बारे में कुछ सामान्य जानकारियां दीजिए?
मैं रोही गांव की बहू हूं। मेरे पति शैलेंद्र प्रताप सिंह एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर हैं। वह एमबीए तक पढ़े हैं। मैं ग्रेजुएट हूं। मेरी उम्र करीब 30 वर्ष है। करीब 9 साल पहले हम दोनों की शादी हुई थी। मेरे दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी हैं। परिवार में सास और ससुर हैं। मेरे पति अपने माता-पिता के इकलौते बेटे हैं। ससुर सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं।
- जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए आपके परिवार की कितनी जमीन का अधिग्रहण हुआ है? इससे मिले मुआवजे का आप लोगों ने किस तरह उपयोग किया है?
हमारे परिवार के पास ज्यादा जमीन नहीं थी। परिवार मुख्य रूप से नौकरी पेशा है। मेरे ससुर भी नौकरी करते थे और अब पति भी कंपनी मैनेजर हैं। हमारी केवल 6 बीघा जमीन का भूमि अधिग्रहण हुआ था। जो मुआवजे की धनराशि मिली, उसे हमने कृषि भूमि में ही निवेश कर दिया। अब दोगुनी यानी 12 बीघा जमीन खेतीबाड़ी के लिए खरीद ली है। हमारी शादी के दौरान ऑल्टो कार खरीदी गई थी। अब हम लोग एक बड़ी कार खरीदने वाले हैं। जेवर टाउनशिप में हम लोगों ने गांव के पुराने घर मुकाबले अच्छा घर बनाया है। मेरा मानना है कि एयरपोर्ट के लिए हुए भूमि अधिग्रहण से ना केवल हमें बल्कि हमारे पूरे गांव को बड़ा लाभ मिला है।
- महिलाएं घर चलाने वाली होती हैं। आपकी दिनचर्या पर विस्थापन का क्या असर पड़ा है? गांव और टाउनशिप में रहन-सहन कितना आलहदा है?
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सभी की लाइफ स्टाइल में अच्छा बदलाव आया है। अब लोग अच्छे घरों में रह रहे हैं। गांव में जो सुविधाएं नहीं मिल रही थीं, वह सारी सुविधाएं टाउनशिप में मिल रही हैं। हम सभी के बच्चे अच्छे स्कूलों में दाखिल हो गए हैं। बिजली 24 घंटे मिल रही है। अच्छी सड़क है। टाउनशिप के बाहर ही बड़ा अस्पताल है। पहले गांव में पूरा घर पक्का नहीं होता था। साफ सफाई और दूसरे कामों में ज्यादा वक्त लगता था। अब शहरों जैसे घर बन गए हैं, जिन्हें से संवारना बेहद आसान है। एयरपोर्ट केवल हमारे गांव के निवासियों की हालत में सुधार नहीं लाएगा, बल्कि आसपास के तमाम गांवों की तस्वीर और तकदीर बदल देगा। यह बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है। जिसका सभी को भरपूर फायदा मिलेगा।
- खासतौर से महिलाओं के जीवन स्तर पर इस प्रोजेक्ट का क्या प्रभाव आपको देखने के लिए मिल रहा है?
मैं इस सवाल का जवाब दो हिस्सों में देना चाहूंगी। पहला यह कि एयरपोर्ट परियोजना का फायदा महिलाओं को तत्कालिक रूप से भी मिल रहा है। जीवन स्तर में सुधार हो रहा है। दीर्घकालिक लाभ भी होंगे। मसलन, अब गांव की लड़कियां बेहतर ढंग से पढ़-लिख सकेंगीं। उन्हें कामकाज करने के ज्यादा अवसर मिलेंगे। मुझे लगता है कि हम बहू बेटियां आत्मनिर्भर बनेंगी। मुझे सरकार से एक शिकायत भी है। गांव में 15-20 परिवार ऐसे हैं, जिनके बेटे नहीं हैं। केवल बेटियां हैं। बेटे वाले परिवारों को रहने के लिए अलग-अलग भूखंड दिए गए हैं। मतलब, परिवार में जितने बेटे हैं, उतने ही प्लॉट मिले हैं, लेकिन जिन परिवारों में बेटियां हैं, उन्हें केवल एक भूखंड दिया गया है। बेटियों के नाम पर सरकार ने कोई लाभ नहीं दिया है। जब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेटियों को मजबूत बनाना चाहते हैं तो राज्य सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए था।