यमुना में छोड़ा गया 5.25 लाख क्यूसेक पानी, बागपत में बाढ़ आई, गौतमबुद्ध नगर में चिंता बढ़ी

High Alert : यमुना में छोड़ा गया 5.25 लाख क्यूसेक पानी, बागपत में बाढ़ आई, गौतमबुद्ध नगर में चिंता बढ़ी

यमुना में छोड़ा गया 5.25 लाख क्यूसेक पानी, बागपत में बाढ़ आई, गौतमबुद्ध नगर में चिंता बढ़ी

Tricity Today | खेत में पानी

Noida | Baghpat : यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। दरअसल, उत्तराखंड के पहाड़ों और सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के ऊपरी जिलों में भारी बारिश हो रही है। जिसके चलते हथिनी कुंड बैराज से यमुना नदी में 5.25 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। बागपत जिले के तटवर्ती गांवों में बाढ़ आ गई है नदी के किनारे वाली ज्यादातर खेती-बाड़ी डूब चुकी है। मंगलवार की सुबह तक यह पानी गौतमबुद्ध नगर की सीमा में प्रवेश कर जाएगा। लिहाजा, गौतमबुद्ध नगर में भी सिंचाई विभाग ने हाईअलर्ट जारी किया है।

बागपत में किसानों पर आई भारी मुसीबत
यमुना किनारे खेती करने वाले किसानों के लिए पानी मुसीबत बन गया है। क्योंकि जिले के टांडा, कोताना, खेड़ा हटाना, निवाड़ा, बागपत और काठा गांवों में यमुना खादर में उगाई गई किसानों की 400 बीघा से अधिक सब्जी व चारे की फसल डूब गई हैं। जिसने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। सिंचाई विभाग के अफसरों ने कहा कि पहाड़ों पर बारिश होने के चलते हथनीकुंड बैराज से पिछले दो दिन में चार लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है। उधर रविवार रात से 24 घंटे में यमुना में हथनीकुंड बैराज से सवा लाख क्यूसेक पानी और छोड़ा गया। जिससे यमुना नदी किनारों की तरफ बढऩे लगी है और यमुना खादर में उगाई गई सब्जी, ज्वार, ढांचे की फसल जलमग्र होने लगी है।

बागपत के इन गांवों पर छाया बाढ़ का संकट
यमुना किनारे पर कटान भी शुरू हो गया है। जिसके चलते टांडा, बदरखा, शबगा, जागोस, कोताना, खेड़ा इस्लामपुर, सुल्तानपुर हटाना, नैथला, फैजपुर निनाना, निवाड़ा, सिसाना, बागपत, काठा, पाली, साकरौद में कटान होने से किसानों को लाखों रुपये का  नुकसान उठाना पड़ रहा है। दिल्ली में भी बढेगा जलस्तर। यमुना में अगले दो दिन बाद एक लाख से अधिक जलस्तर बढ़ने से दिल्ली वासियों के साथ साथ किसानों को भी परेशानी होगी।       

बागपत में इन किसानों की डूबी फसल
यमुना का जलस्तर बढ़ते ही किसानों की परेशानी बढ़ गई। जिसमें बागपत के पक्का घाट के समीप यमुना खादर में खेती करने वाले किसान विशाल की 10 बीघा लौकी, इशाकी की 10 बीघा लौकी व सीताफल, हाजी इस्लाम की 16 लौकी, भूरे की सात बीघा फसल चारे, निसार की 12 बीघा बेबीकॉन व तीन बीघा लौकी की फसल डूब गई।

डूब गई 12 बीघा बेबीकॉन की फसल
खेती में अच्छे मुनाफे के लिए इस बार तीन बीघा लौकी व 12 बीघा बेबीकॉन की फसल उगाई थी। जिससे अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद थी, लेकिन जलस्तर बढऩे से अच्छी आमदनी के सपने भी जलमग्र हो गए। निसार, किसान।

उधार लेकर उगाई थी फसल
यमुना नदी में 13 बीघा जमीन पर उधार रुपये लेकर लौकी की फसल उगाई थी। जिसके डूबने से अब लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। संजय, किसान।

यमुना के जलस्तर पर बाढ़ चौकियों से  नजर रखी जा रही है। फसल डूबने के मामले में मौके पर जाकर दिखवाया जाएगा। अभी यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से काफी नीचे है। किसी भी गांव में बाढ़ का खतरा नहीं है। उत्कर्ष भारद्वाज, एक्सईएन सिंचाई।

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