गाजियाबाद की बेटी को 9 साल बाद मिला इंसाफ, दहेज के लोभियों ने ली थी जान, जानें क्या था पूरा मामला

बुलंदशहर: गाजियाबाद की बेटी को 9 साल बाद मिला इंसाफ, दहेज के लोभियों ने ली थी जान, जानें क्या था पूरा मामला

गाजियाबाद की बेटी को 9 साल बाद मिला इंसाफ, दहेज के लोभियों ने ली थी जान, जानें क्या था पूरा मामला

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

बुलंदशहर की एक अदालत ने गाजियाबाद की बेटी को मरणोपरांत न्याय दिया है। मामले में दोषी पति को सात साल कैद की सजा मिली है। जिले की एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट कक्ष संख्या दो की अदालत ने पति को गुनहगार माना है। पति को दहेज के लिए पत्नी का उत्पीड़न करने और उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने जैसे संगीन दोष लगे हैं। दोषी ने मृतका की मौत से जुड़े सबूत भी मिटा दिया था। कोर्ट ने इस मामले में भी आरोपी योगेश  को 7 वर्ष की कैद और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। 

अभियोजन पक्ष ने पूरी वारदात के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिला गाजियाबाद के ग्राम  सदरपुर, थाना कवि नगर निवासी राजवीर सिंह ने 21 जनवरी, 2012 को  अगौता थाने में रिपोर्ट दर्ज कराया था। उन्होंने बताया कि उनकी पुत्री दीना का विवाह  बुलंदशहर के योगेश के साथ हुआ था। शादी के बाद से ही उनकी बेटी को कम दहेज लाने के लिए ससुराल में प्रताड़ित किया जाता था । पिता ने बताया था कि 19 जनवरी, 2012 को पति योगेश और ससुर बिजेंदर के  उत्पीड़न से तंग आकर दीना ने आत्महत्या कर ली। सबूत मिटाने के लिए पति और ससुर ने उसे जला दिया। 

पुलिस ने पति योगेश और ससुर बिजेंदर के विरुद्ध आईपीसी की धारा 306 और 201 के तहत रिपोर्ट दर्ज किया था। बाद में योगेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। एडीजे फास्ट ट्रैक न्यायाधीश ब्रजेश कुमार ने सबूतों और गवाहों के मद्देनजर योगेश को पत्नी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने व सबूत मिटाने का दोषी करार दिया। ससुर को संदेह का लाभ देते  हुए बरी कर दिया गया। एडीजे ने योगेश को 7 वर्ष की कैद की सजा सुनाते हुए 10 हजार रुपये  का जुमार्ना भी लगाया है।

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