दमदार रहा राजनीतिक सफर, जानिए पिता की विरासत को कैसे आगे बढ़ाया

हरियाणा के 5 बार सीएम रहे ओमप्रकाश चौटाला : दमदार रहा राजनीतिक सफर, जानिए पिता की विरासत को कैसे आगे बढ़ाया

दमदार रहा राजनीतिक सफर, जानिए पिता की विरासत को कैसे आगे बढ़ाया

tricity today | हरियाणा के पूर्व सीएम ओपी चौटाला

Chandigarh News : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला का निधन हो गया है। वे 89 वर्ष के थे। शुक्रवार को वे गुरुग्राम स्थित अपने घर पर थे, तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद, उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां लगभग आधे घंटे बाद दोपहर 12 बजे उनका निधन हो गया। ओम प्रकाश चौटाला के पिता चौधरी देवीलाल ताऊ हरियाणा के लोगों के दिलों पर राज करते थे। हरियाणा के अलावा देश की सियासत में बोलबाला था। आइये जानते हैं ओपी चौटाला ने ताऊ देवीलाल की विरासत को कैसे आगे बढ़ाया और जानें उनके पांच बार सीएम बनने के दिलचस्प किस्से।

 हरियाणा की राजनीति में रखा कदम...
चौधरी देवीलाल की पांच संतानों में ओमप्रकाश चौटाला चौथे नंबर के बेटे थे और उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभाला। देवीलाल के अन्य बेटे प्रताप चौटाला, रणजीत सिंह और जगदीश चौटाला थे। जब देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने, तो ओमप्रकाश चौटाला ने उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में हरियाणा की राजनीति में कदम रखा। ओमप्रकाश चौटाला ने 1989 से 1991 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। हालांकि, 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और इसके बाद उनकी राजनीतिक यात्रा थोड़ी मंद पड़ी। लेकिन 1999 में ओमप्रकाश चौटाला ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की मदद से हरियाणा में सरकार बनाई और 2005 तक मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत रहे।

पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया
पहली बार 2 दिसंबर 1989 को 171 के लिए 
दूसरी बार 12 जुलाई को 1990 में 5 दिन के लिए
तीसरी बार 22 मार्च 1991 को 1 साल के लिए
चौथी बार 24 जुलाई 1999 करीब 1 साल के लिए
पांचवीं बार 2 मार्च 2000 पांच साल के लिए

ताऊ देवीलाल के उपप्रधानमंत्री बनने के बाद बने सीएम
1987 के विधानसभा चुनाव में लोकदल ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 90 सीटों में से 60 पर जीत हासिल की। इस जीत के बाद ओमप्रकाश चौटाला के पिता चौधरी देवीलाल ने दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके दो साल बाद, 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में केंद्र में जनता दल की सरकार बनी और वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने। देवीलाल ने इस सरकार में उपप्रधानमंत्री का पद संभाला। इसके बाद, लोकदल के विधायकों की एक बैठक दिल्ली में आयोजित की गई, जिसमें ओमप्रकाश चौटाला को हरियाणा का मुख्यमंत्री चुन लिया गया।

सीएम पद के लिए विधायक बनना जरूरी
2 दिसंबर 1989 को ओमप्रकाश चौटाला ने पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उस समय वे राज्यसभा के सदस्य थे और मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्हें छह महीने के भीतर विधायक बनना जरूरी था। इस उद्देश्य के लिए उनके पिता, चौधरी देवीलाल ने उन्हें अपनी पारंपरिक सीट महम से चुनाव लड़वाने का निर्णय लिया। हालांकि, इस चुनाव के खिलाफ खाप पंचायत ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।  27 फरवरी 1990 को महम विधानसभा सीट पर चुनाव हुआ, जो हिंसा और बूथ कैप्चरिंग का शिकार हो गया। चुनाव आयोग ने आठ बूथों पर दोबारा वोटिंग कराने का आदेश दिया। जब दोबारा वोटिंग हुई, तो हिंसा फिर से भड़क उठी। इसके बाद, चुनाव आयोग ने पूरी चुनाव प्रक्रिया को रद्द कर दिया। 27 मई 1990 को फिर से चुनाव की तारीखें तय की गईं, लेकिन वोटिंग से कुछ दिन पहले निर्दलीय उम्मीदवार अमीर सिंह की हत्या हो गई।

केवल साढ़े 5 महीने में देना पड़ा इस्तीफा
ओमप्रकाश चौटाला ने महम विधानसभा सीट पर चुनावी रणनीति के तहत अमीर सिंह को डमी कैंडिडेट के रूप में खड़ा किया था, ताकि दांगी के वोट को काटा जा सके। अमीर सिंह और दांगी दोनों एक ही गांव मदीना के निवासी थे। चुनाव के दौरान अमीर सिंह की हत्या हो गई और हत्या का आरोप दांगी पर लगाया गया। जब पुलिस दांगी को गिरफ्तार करने के लिए उनके घर पहुंची, तो दांगी के समर्थक भड़क गए। पुलिस और समर्थकों के बीच संघर्ष हुआ और पुलिस ने भीड़ पर गोलियां चला दीं। इस गोलीबारी में 10 लोगों की मौत हो गई, जिससे स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई। महम में हुई हिंसा का शोर संसद तक पहुंच गया। ओमप्रकाश चौटाला ने 2 दिसंबर 1989 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन महम चुनाव में हिंसा और विवाद के बाद, केवल साढ़े 5 महीने में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद, ओमप्रकाश चौटाला की जगह बनारसी दास गुप्ता को हरियाणा का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया।

दूसरी बार 5 दिन में दिया इस्तीफा
कुछ दिन बाद ओमप्रकाश चौटाला ने दड़बा सीट से उपचुनाव जीत लिया। इसके बाद बनारसी दास गुप्ता को 51 दिन बाद मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया। ओमप्रकाश चौटाला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री का पद संभाला। हालांकि, महम हिंसा का मामला शांत नहीं हुआ। प्रधानमंत्री वीपी सिंह भी चाहते थे कि जब तक ओमप्रकाश चौटाला के खिलाफ चल रहे केस का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक वह मुख्यमंत्री पद पर न रहें। इस दबाव के चलते, ओमप्रकाश चौटाला को केवल 5 दिन बाद ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद, ओमप्रकाश चौटाला ने मास्टर हुकुम सिंह फोगाट को मुख्यमंत्री बनाया।

15 महीने के भीतर फिर दिया इस्तीफा
7 नवंबर 1990 को वीपी सिंह की सरकार गिर गई।  इसके बाद जनता दल के चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री बना दिया गया, जबकि देवीलाल को उपप्रधानमंत्री बनाया गया। मार्च 1991 में, देवीलाल ने ओमप्रकाश चौटाला को तीसरी बार हरियाणा का मुख्यमंत्री बना दिया, लेकिन इस फैसले से राज्य में पार्टी के कई विधायक नाराज हो गए। कुछ विधायकों ने पार्टी छोड़ दी और 15 दिनों के भीतर ही सरकार गिर गई। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। 15 महीने के भीतर, ओमप्रकाश चौटाला को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

1999 में चौथी बार फिर बने सीएम
1996 में चौधरी देवीलाल ने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) नाम से एक नई पार्टी बनाई। इसके बाद 1999 में जब हरियाणा के मुख्यमंत्री बंसीलाल की सरकार गिर गई, ओमप्रकाश चौटाला सक्रिय हो गए। उन्होंने बंसीलाल की पार्टी के कुछ विधायकों को तोड़कर एक नई सरकार बनाई। इसके परिणामस्वरूप, 24 जुलाई 1999 को ओमप्रकाश चौटाला चौथी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने।

2000 में बने 5वीं बार सीएम
साल 2000 में हरियाणा में फिर से विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें ओमप्रकाश चौटाला ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया। इस चुनाव में इनेलो ने मुफ्त बिजली और कर्ज माफी का वादा किया, जिसे जनता के बीच व्यापक समर्थन मिला। इस आधार पर इनेलो ने अकेले ही बहुमत हासिल किया और 2000 में ओमप्रकाश चौटाला ने पांचवीं बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

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