Chandigarh News : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला का 89 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने गुरुग्राम स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। ओमप्रकाश चौटाला लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से राजनीतिक जगत में शोक की लहर है। ओमप्रकाश चौटाला भारतीय राजनीति में एक विशिष्ट पहचान रखते थे।
पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार
ओमप्रकाश चौटाला उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की पांच संतानों में सबसे बड़े थे। उनका जन्म 1 जनवरी 1935 को हुआ था। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। शुरुआती शिक्षा के बाद ओम प्रकाश चौटाला ने पढ़ाई छोड़ दी थी, लेकिन 2013 में शिक्षक भर्ती घोटाले के दौरान तिहाड़ जेल में रहते हुए उन्होंने 86 वर्ष की उम्र में 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की थी। आज, 20 दिसंबर की शाम तक उनका पार्थिव शरीर सिरसा जिले के पैतृक गांव चौटाला लाया जाएगा, जहां अंतिम दर्शन के लिए उसे रखा जाएगा। इसके बाद गांव में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
हरियाणा के सीएम ने जताया दुख
ओम प्रकाश चौटाला के परिवार में उनके पुत्र अजय सिंह चौटाला और अभय सिंह चौटाला हैं, जो हरियाणा की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उनके पोते दुष्यंत चौटाला हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनके निधन पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, "इनेलो सुप्रीमो एवं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला का निधन अत्यंत दुःखद है। मेरी ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। उन्होंने प्रदेश और समाज की जीवनपर्यंत सेवा की। देश व हरियाणा प्रदेश की राजनीति के लिए यह अपूरणीय क्षति है।"
जानिए ओमप्रकाश चौटाला का राजनीतिक सफर
ओमप्रकाश चौटाला ने अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत 1968 में की थी। उन्होंने पहली बार अपने पिता देवीलाल की पारंपरिक सीट ऐलनाबाद से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उनका मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी के उम्मीदवार लालचंद खोड़ से हुआ। हालांकि, इस चुनाव में चौटाला को हार का सामना करना पड़ा। चुनाव में हारने के बावजूद चौटाला ने हार स्वीकार नहीं की। उन्होंने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का रुख किया। करीब एक साल की सुनवाई के बाद, कोर्ट ने लालचंद की सदस्यता रद्द कर दी। इसके बाद, 1970 में ऐलनाबाद सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें ओमप्रकाश चौटाला ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल कर विधायक बने।
90 में से 60 सीटों पर जीत दर्ज की...
1987 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में लोकदल ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 90 में से 60 सीटों पर जीत दर्ज की। इस जीत के बाद ओमप्रकाश चौटाला के पिता चौधरी देवीलाल ने दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 1989 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में जनता दल की सरकार बनी और वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने। देवीलाल ने इस सरकार में उपप्रधानमंत्री का पद संभाला। इसके बाद, दिल्ली में लोकदल के विधायकों की बैठक बुलाई गई, जिसमें सर्वसम्मति से ओमप्रकाश चौटाला को हरियाणा का मुख्यमंत्री चुना गया।
पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया