आईवीएफ नियमों का घोर उल्लंघन, एक महिला के अंडे दो अन्य में किए प्रत्यारोपित, तीनों ही अंजान

दिल्ली एम्स से बड़ी खबर :  आईवीएफ नियमों का घोर उल्लंघन, एक महिला के अंडे दो अन्य में किए प्रत्यारोपित, तीनों ही अंजान

आईवीएफ नियमों का घोर उल्लंघन, एक महिला के अंडे दो अन्य में किए प्रत्यारोपित, तीनों ही अंजान

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New Delhi : देश की राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के आईवीएफ केंद्र में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। एम्स की एक डॉक्टर पर आरोप लगा है कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन कर एक महिला को बिना बताए उसके अंडे दो अन्य महिलाओं के गर्भधारण के लिए इस्तेमाल किए। दिल्ली मेडिकल काउंसिल का कहना है कि इस दौरान दोनों महिलाओं को भी इस बात की जानकारी नहीं दी गई कि उन्हें किसी और महिला के अंडे मिले हैं। दिल्ली मेडिकल काउंसिल के आदेश के बाद अब राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने भी अपने फैसले में माना है कि इस मामले में आईसीएमआर की गाइडलाइन का उल्लघंन हुआ है। आयोग ने इस संबंध में एम्स के प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर नीता सिंह को चेतावनी जारी की है। इससे पहले दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने अपने आदेश में डॉक्टर नीता सिंह का लाइसेंस एक महीने के लिए रद्द करने का आदेश दिया था। डॉक्टर नीता ने एनएमसी के सामने इस फैसले पर अपील की थी।

विवादों में एम्स की डॉ. नीता सिंह
दिल्ली मेडिकल काउंसिल को मिली शिकायत के मुताबिक, एम्स में अगस्त 2017 में आईवीएफ के जरिए मां बनने आई सुनीता (बदला नाम) के 30 अंडे आईवीएफ के लिए रखे गए। इसके बाद एंब्रियोलॉजिस्ट से डॉक्टर नीता सिंह ने 30 अंडों में से 14 अंडे लिए और सात-सात अंडे दो अलग-अलग महिलाओं के लिए भ्रूण बनाने में इस्तेमाल किए। इन अंडों को दो अन्य महिलाओं के पति के स्पर्म के साथ निषेचित किया और फिर आईवीएफ में तैयार हुए ये भ्रूण उन महिलाओं के गर्भ में प्रत्यारोपित कर दिए। दिल्ली मेडिकल काउंसिल को शिकायत मिली कि इस दौरान न तो उस महिला को जानकारी दी गई, जिसके अंडे लिए गए और न ही उन महिलाओं को बताया गया, जिनके गर्भधारण के लिए अंडे प्रत्यारोपित किए गए हैं।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने चेतावनी
इस मामले में दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने जांच बिठाई और आदेश दिया कि डॉक्टर नीता सिंह ने नियमों का उल्लंघन किया। इसलिए एक महीने के लिए उनके दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्टर से उनके लाइसेंस को रद्द किया जाता है। इस मामले में डॉक्टर नीता सिंह ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग में अपील की। उन्होंने कहा कि दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने बिना उनका पक्ष सुने फैसला सुना दिया है। उन पर लगे आरोप गलत हैं। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग इस मामले में मई 2023 में सुनवाई की, जिसमें डॉक्टर नीता सिंह ने अपना पक्ष रखा। इसके बाद 18 जुलाई 2023 को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की एथिक्स एवं मेडिकल पंजीकरण बोर्ड ने फैसला दिया। उसमें लिखा है कि डॉक्टर नीता सिंह के रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी के क्षेत्र में योगदान दिया है। उनका मकसद गरीब मरीज की मदद करना था, लेकिन इस दौरान नियमों का उल्लघंन हुआ है। ऐसे में डॉक्टर नीता सिंह को भविष्य में बेहद सावधान रहने की चेतावनी दी जाती है। इस बाबत डॉक्टर नीता सिंह को ईमेल, फोन और व्हाट्सएप के जरिए कई बार उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

यह बड़ी चिंता की बात

दिल्ली मेडिकल काउंसिल के सचिव डॉक्टर गिरीश त्यागी ने बताया कि एम्स के आईवीएफ केंद्र पर एक महिला के अंडे उसे बिना बताए दो अन्य महिलाओं में प्रत्यारोपित किए गए थे। दोनों महिला गर्भवती भी हो गई थीं। यह आईसीएमआर की गाइडलाइन का उल्लघंन है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने इस मामले में डॉक्टर नीता सिंह को एक महीने के लिए अपने रजिस्टर से उनके प्रैक्टिस करने के लाइसेंस को रद्द किया था। अब राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने भी डॉक्टर को चेतावनी जारी की है। एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में ऐसा होना बड़ी चिंता की बात है।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के आदेश का कर रहे हैं पालन 

एम्स दिल्ली के मीडिया विभाग की इंचार्ज प्रोफेसर रीमा दादा ने बताया कि यह मामला हमारे संज्ञान में आया था। हम राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के ऑर्डर का पालन कर रहे हैं।

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