इस योजना के तहत बनेंगे 3 एक्सप्रेसवे, इन 12 जिलों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा, पूरी जानकारी

दिल्ली-एनसीआर के लिए बड़ी खबर : इस योजना के तहत बनेंगे 3 एक्सप्रेसवे, इन 12 जिलों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा, पूरी जानकारी

इस योजना के तहत बनेंगे 3 एक्सप्रेसवे, इन 12 जिलों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा, पूरी जानकारी

Google Image | Symbolic Photo

Greater Noida : दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों के एक अच्छी खबर है। प्रदूषण को कम करने और विकास को नई रफ्तार देने के लिए नई एलिवेटिड रिंग रोड और दो सर्कुलर रीजनल एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जाएंगे। जिसमें रिंग रोड दिल्ली की सीमा के अंदर और सर्कुलर रीजनल एक्सप्रेसवे (सीआरई) को पैरिफेरल एक्सप्रेसवे के बाहर बनाया जाएगा। 

रीजनल प्लान 2041 में शामिल
एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के रीजनल प्लान 2041 में इन्हें शामिल किया जा रहा है। एनसीआर में शामिल सभी राज्य इनके निर्माण को लेकर सहमत हैं। तीनों सड़क बनने से दिल्ली एनसीआर का प्रदूषण कम होगा और एनसीआर के सभी शहरों को नई कनेक्टिविटी मिलेगी। दिल्ली एनसीआर के लिए एनसीआर प्लानिंग बोर्ड नया मास्टर प्लान 2041 बना रहा है। इसका ड्राफ्ट तैयार हो गया है। 

राजनगर एक्सटेंशन एलिवेटिड रोड और चिल्ला बार्डर की सड़क जुड़ेंगी
मास्टर प्लान में एनसीआर की सड़कों पर पूरा फोकस किया गया है। दिल्ली के यातायात को रफ्तार देने के लिए आउटर रिंग रोड के बाहर नई एलिवेटिड रिंग रोड बनाई जाएगी। अगस्त में हुई बैठक में यूपी ने राजनगर एक्सटेंशन एलिवेटिड रोड और चिल्ला बार्डर से महामाया फ्लाईओवर वाली सड़क को भी जोड़ने की मांग की। इसे भी ड्राफ्ट में जोड़ा जाएगा। इससे गाजियाबाद और नोएडा से दिल्ली की कनेक्टिविटी अच्छी हो जाएगी।

दिल्ली में सफर करने वालों को भी होगा फायदा
इसके साथ ही दिल्ली के अंदर की सड़कों को भी एलिवेटिड रिंग रोड से जोड़ा जाएगा। राजधानी के बाहरी हिस्सो में जाने वाले लोगों को जाम में नहीं फंसना होगा। वे रेडलाइट फ्री एलिवेटिड रोड के सहारे अपना सफर पूरा करेंगे। ईस्टर्न और वेस्टर्न पैरिफेरल एक्सप्रेसवे की सफलता के बाद ने सीआरई बनाने का फैसला लिया गया है। इससे एनसीआर के बाहरी हिस्सों में जाम की समस्या से निजात मिलेगी। 

इन जिलों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा
पहला सीआरई पैरिफेरल एक्सप्रेसवे से करीब 17 किलोमीटर आगे बनाया जाएगा। यह पानीपत से शुरु होगी। इसके बाद शामली, मेरठ, जेवर, नूह, भिवानी, रिवाडी, झज्जर, रोहतक होते हुए पानीपत पहुंचेगी। इससे यूपी, राजस्थान और हरियाणा के कई इलाके आपस में जुड़ जाएंगे। इसके बाद एक और सीआरई बनाया जाएगा। यह सर्कुलर रीजनल एक्सप्रेस वे तीन होगा। यह करनाल से शुरू होगा और इसके बाद मुजफ्फरनगर, गढ़मुक्तेश्वर, नरौरा, अलीगढ़, मथुरा, ढींग, अलवर, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, भिवानी, जींद, कैथल होते हुए करनाल पहुंचेगा। 

सभी से बनेगी स्लिप रोड
एलिवेटिड रिंग रोड और दोनों सीआरई से सभी प्रमुख सड़कों को स्लिप रोड से जोड़ा जाएगा। पैरिफेरल एक्सप्रेस वे के निर्माण के दौरान यमुना एक्सप्रेस वे को  नहीं जोड़ा गया था। ऐसी गलती  को नई सड़कों के निर्माण में नहीं दोहराया जाएगा। मास्टर प्लान में ही प्रावधान किया जाएगा कि तीनों सड़कें यहां से गुजरने वाली सभी प्रमुख सड़कों से जोड़ी जाएं। इससे वेस्ट यूपी में बन रहे गंगा एक्सप्रेस वे, दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे को भी जोड़ा जाएगा। एनसीआर से गुजरने वाले सभी एक्सप्रेस वे और राष्ट्रीय राजमार्गों पर नई सड़कों के सहारे कम दूरी तय करके पहुंचा जा सकेगा। 

प्रदूषण होगा कम
ईस्टर्न और वेस्टर्न पैरिफेरल एक्सप्रेस वे बनने से राजधानी की सड़कों पर करीब एक लाख वाहन कम हो गए हैं। ये पैरिफेरल एक्सप्रेस वे का इस्तेमाल कर रहे हैं। तीनों नई सड़क बनने से दिल्ली के साथ एनसीआर के शहरों का भी प्रदूषण कम होगा। बागपत, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। नई सड़कें उन्हें इससे राहत देंगी।

सबसे ज्यादा है वाहन और भीड़ का दबाव
दिल्ली एनसीआर में वाहन और भीड़ का दबाव सबसे आगे है। एनसीआर की सीमा में 230 शहर और कस्बे शामिल हैं। 13 हजार गांव एनसीआर के अंतर्गत हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक छह हजार गांव की आबादी 2000 से ज्यादा थी। इनमे बढ़ने वाली आबादी और वाहनों की संख्या को देखते हुए नई सड़कों का प्रावधान किया गया है। अकेले दिल्ली में एक करोड से ज्यादा वाहन हैं। नई सड़कों से जाम और प्रदूषण की समस्या से निजात मिलेगी।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.