पूर्व विधायक गुड्डू पंड़ित को 12 साल पुराने मामले में 14 महीने की सजा

बुलंदशहर से बड़ी खबर : पूर्व विधायक गुड्डू पंड़ित को 12 साल पुराने मामले में 14 महीने की सजा

पूर्व विधायक गुड्डू पंड़ित को 12 साल पुराने मामले में 14 महीने की सजा

Tricity Today | पूर्व विधायक गुड्डू पंड़ित को

Bulandshahr News : डिबाई विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक गुडडू पंडित को बुलंदशहर की विशेष एमपी एमएलए कोर्ट ने 12 साल पुराने मामले में 14 माह कारावास की सजा सुनाई है। गुड्डू पंडित पर आरोप था कि उन्होंने प्रतिद्वंद्वी राकेश शर्मा पर चुनाव में नहीं लड़ने का दबाव बनाया था और उनकी बात नहीं मानने पर एनकाउंटर कराने की धमकी दी थी। उन पर आरोप सिद्ध होने के बाद कोर्ट ने शुक्रवार को 12 साल पुराने मामले में उनको सजा सुनाई है। बता दें कि भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित को बुलंदशहर की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने पिछले हफ्ते ही दोषी सिद्ध कर दिया था। गुड्डू पंडित सपा और बसपा के टिकट पर डिबाई से 2 बार विधायक रह चुके हैं।

यह था पूरा मामला
वर्ष 2011 में हलपुरा के राकेश शर्मा ने पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि डिबाई विधानसभा सीट से विधायक गुड्डू पंडित के विरोध में वो प्रचार-प्रसार कर रहे थे। यही बात गुड्डू पंडित को पंसद नहीं आई, क्योंकि गुड्डू पंडित चाहते थे कि वो चुनाव न लड़ें, इसलिए उसे जान से मरवाने की धमकी भी दी।

फोन पर धमकियां हुईं रिकॉर्ड
पूर्व विधायक गुड्डू पंडित ने राकेश को कई बार फोन पर धमकियां दी थीं। इन्हें पीड़ित राकेश शर्मा ने रिकॉर्ड कर लिया और सबूत के तौर पर सीडी बनाकर पुलिस को दे दी। पुलिस को दी शिकायत बाद भी फिर से उन्हें धमकाया गया। बता दें कि पूर्व विधायक गुड्डू पंड़ित नोएडा के गिझोड़ गांव के रहने वाले हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री के लड़के को हराकर आए थे चर्चाओं में
बुलंदशहर के डिबाई विधानसभा क्षेत्र से गुड्डू पंडित दो बार विधायक रह चुके हैं। साल 2007 में डिबाई विधानसभा से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजू भैया को भारी मतों से हराकर उत्तर प्रदेश की राजनीतिक चर्चाओं में आए थे। गुडडू पंडित पहले बसपा सरकार में विधायक रहे। वहीं साल 2012 में डिबाई विधानसभा से ही समाजवादी पार्टी की साइकिल पर चढ़कर चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए। फिर साल 2017 में राष्ट्रीय लोकदल के सिंबल पर चुनाव लड़ा और भाजपा से हार गए। साल 2022 में गुड्डू पंडित ने टिकट की आस लगाई थी, किन्तु उनकी वहां दाल नहीं गल सकी। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का प्रयास किया, लेकिन किन्हीं वजहों से उनका नामांकन ही रद्द हो गया था।

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