New Delhi : भारतीय जनता पार्टी ने अपनी नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है। बड़ी बात यह है कि इसमें पार्टी की वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश से सांसद मेनका गांधी और उनके बेटे सांसद वरुण गांधी को जगह नहीं मिली है। 80 सदस्यों वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी समेत अन्य सभी वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया है। दरअसल मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार के बाद से ही वरुण गांधी बागी तेवर अपनाए हुए थे। यूपी के लखीमपुर खीरी में हुए कांड के बाद उन्होंने राज्य सरकार से पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी। माना जा रहा है कि इन्हीं वजहों से वरुण और मेनका गांधी को कार्यसमिति में जगह नहीं मिली है।
दरअसल केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल गठन से पहले यह उम्मीद जताई जा रही थी कि भारतीय जनता पार्टी नए चेहरों को मौका देगी। भाजपा ने नए चेहरों को शामिल भी किया। लेकिन यूपी से सांसद वरुण गांधी को दरकिनार कर दिया। जबकि दूसरे दलों से आए तमाम नेताओं को मोदी कैबिनेट में जगह दी गई। इसके बाद से ही वरुण गांधी नाखुश हैं। जानकारों का कहना है कि उनकी मां मेनका गांधी भी पार्टी के मामलों में कम सक्रिय हैं। जबकि पार्टी संगठन स्तर पर सक्रिय लोगों को ज्यादा महत्व दे रही है। इस वजह से उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल नहीं किया गया है।
कैबिनेट विस्तार में जगह नहीं मिली
मोदी कैबिनेट से पहले तक वरुण गांधी केंद्र सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचा रहे थे। तमाम बड़े अखबारों में आर्टिकल्स और कॉलम के जरिए सरकार की उपलब्धियां गिना रहे थे। तमाम मौकों पर उन्होंने दावा किया था कि मौजूदा केंद्र सरकार ने सराहनीय कार्य किया है। देश के लोगों को एक सशक्त और मजबूत नेतृत्व मिला है। लेकिन कैबिनेट विस्तार के बाद से वह कमोबेश शत्रुघ्न सिन्हा की राह पर चल निकले हैं। फिलहाल वरुण गांधी पूरी तरह पार्टी से कटे हुए हैं। इसी वजह से राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उन्हें मौका नहीं मिला है।
सीएम को लिखा खत
विगत दिनों यूपी के लखीमपुर खीरी में हुए कांड के बाद सबसे पहले वरुण गांधी ने सोशल मीडिया पर अपने नाम से बीजेपी शब्द हटा दिया था। उसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक खत लिख कर प्रकरण की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पूरे घटनाक्रम की जांच एसआईटी को सौंपी है। एक टीम का गठन किया गया है और लखीमपुर खीरी मामले की जांच की जा रही है। लेकिन उनके बागी तेवर किसी से छिपे नहीं रहे। संगठन स्तर पर यह माना गया कि वरुण गांधी पार्टी लाइन से बाहर जा रहे हैं।