केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानून पर आज फिर वार्ता होगी। 20 जनवरी को किसान संगठन और सरकार के बीच दसवें दौर पर बात होने वाली है। यह वार्ता दिल्ली में होगी। किसानों और सरकार के बीच काफी समय से किसान आंदोलन को लेकर वार्ता चल रही है। लेकिन किसान अपनी बात पर अडिग हैं। किसानों का कहना है कि अगर सरकार अपने कृषि कानून को वापस नहीं लेगी तो वह भी आंदोलन से पीछे नहीं हटने वाले। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हो चुकी है।
केंद्र सरकार का कहना है कि सरकार ने जो भी कृषि कानून लागू किए हैं। वह सभी कानून किसानों के हित में है। इसलिए वह वापस नहीं लेंगे। दूसरी ओर किसानों का कहना है कि हमें अपने हित की बात खुद समझनी है। अगर हमारे लिए कानून बनाया गया है तो हमें वह पसंद भी होना चाहिए। जिस कानून को हम चाहते नहीं है। केंद्र सरकार वह कानून हम तक क्यों ठोक रही है।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने का कहना है कि जब किसान हमसे सीधी बात करते हैं तो अलग बात होती है लेकिन जब इसमें नेता शामिल हो जाते हैं, अड़चनें सामने आती हैं। अगर किसानों से सीधी वार्ता होती तो जल्दी समाधान हो सकता था। उन्होंने कहा कि चूंकि विभिन्न विचारधारा के लोग इस आंदोलन में प्रवेश कर गए हैं, इसलिए वे अपने तरीके से समाधान चाहते हैं।
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों के किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले करीब दो महीनों से तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस बीच डिजिटल माध्यम से एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दोहराया कि तीनों कृषि कानून किसानों के लिए लाभकारी होंगे। उन्होंने कहा था कि पिछली सरकारें भी ये कानून लागू करना चाहती थीं लेकिन दबाव के कारण वे ऐसा नहीं कर सकीं। मोदी सरकार ने कड़े निर्णय लिए और ये कानून लेकर आई। जब भी कोई अच्छी चीज होती है तो अड़चने भी आती हैं।