दादरी पावर प्लांट में सिर्फ एक दिन का कोयला बचा, दिल्ली-एनसीआर में बढ़ेगा बिजली का संकट, पढ़ें खबर

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दादरी पावर प्लांट में सिर्फ एक दिन का कोयला बचा, दिल्ली-एनसीआर में बढ़ेगा बिजली का संकट, पढ़ें खबर

Google Image | सभी पावर प्लांट्स में कोयले की भारी किल्लत

Delhi-NCR : देश की राजधानी दिल्ली समेत पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बिजली आपूर्ति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। दरअसल सभी पावर प्लांट्स में कोयले की भारी किल्लत है। जानकारी के मुताबिक दादरी में स्थित एनटीपीसी में सिर्फ 1 दिन का कोयला स्टॉक में बचा है। जबकि यहां से राजधानी दिल्ली को 728 मेगावाट की बिजली सप्लाई होती है। इसके अलावा गौतमबुद्ध नगर में भी विद्युत संकट बढ़ेगा। क्योंकि दादरी प्लांट से जिले को भी आपूर्ति होती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर नेशनल कैपिटल रीजन के सभी पावर प्लांट को पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध कराने की मांग की है।

जानकारी के मुताबिक दिल्ली को बिजली की आपूर्ति कराने वाले अन्य पावर प्लांट झज्जर और चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन में सिर्फ 1 दिन का कोयला स्टॉक में है। जबकि सिंगरौली में 4 दिन और मेजिया में कोयला पूरी तरह समाप्त हो गया है। झज्जर से दिल्ली को 693 मेगावाट, चंद्रपुरा से 300 मेगावाट, सिंगरौली से 150 मेगावाट और मेजिया से 100 मेगावाट की बिजली मिलती है। कोयले की कमी का असर गौतमबुद्ध नगर में भी दिखाई दे रहा है। ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में आज से 2 से 5 घंटे तक की बिजली कटौती होगी। नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (NPCL) ने इस बारे में निवासियों को सूचना दे दी है।

केजरीवाल ने लिखी चिट्ठी
हालांकि राजधानी दिल्ली में हालत ज्यादा गंभीर है। समस्या की गंभीरता को देखते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को खत लिखकर कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की मांग की है। केजरीवाल ने लिखा है कि अगस्त और सितंबर के बाद ये लगातार तीसरा महीना है, जब बिजली उत्पादन पर असर पड़ रहा है। उन्होंने केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (CERC) की तरफ से बनाए गए नियम का हवाला देते हुए कहा है, पावर प्लांट को 10 से 20 दिन का कोयले का स्टॉक रखना होता है। लेकिन 5 पावर प्लांट के पास 1 दिन से भी कम का कोयला बचा है। इसका असर गैस स्टेशन पर पड़ रहा है। अगर ऐसे ही हालात बने रहे तो दिल्ली में भीषण बिजली संकट देखने को मिल सकता है।

बारिश ने बिगाड़ा खे
दरअसल देश में 135 पावर प्लांट्स कोयले से चलते हैं। इनमें से 107 पावर प्लांट्स के पास सिर्फ 4 दिन का कोयला बचा है। हालांकि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है। मगर इस साल सितंबर महीने में देश में नॉर्मल से 27 फीसदी ज्यादा बारिश हुई। इस बारिश की वजह से कई कोयला खदानों में पानी भर गया। वहां हफ्तों तक खनन का काम ठप्प रहा। कोयला खदानों से निकाल कर पावर प्लांट्स तक नहीं पहुंच सका। इसके चलते पावर प्लांट्स में कोयले की किल्लत हो गई है। इसका असर विद्युत उत्पादन और आपूर्ति पर पड़ रहा है।

बढ़ी है खपत
हालांकि इस साल विद्युत की खपत भी पिछले तीन महीनों के दौरान बढ़ी है। ऊर्जा मंत्रालय के एक आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में अगस्त-सितंबर महीने में बिजली की कुल खपत 10 हजार 660 करोड़ यूनिट प्रति महीना थी। मगर ये आंकड़ा 2021 में बढ़कर 12 हजार 420 करोड़ यूनिट प्रति महीने हो गया है। इसके चलते पावर प्लांट्स (Power Plants) में कोयले की खपत भी 2021 के अगस्त-सितंबर महीने में 2019 के मुकाबले 18 प्रतिशत तक बढ़ी है। उत्पादन में कमी और ज्यादा खपत से पावर कट हो रहा है।

केंद्रीय मंत्रालय ने गिनाईं चार वजहें
केंद्र सरकार ने बिजली संकट की चार वजहें गिनाई हैं। बिजली मंत्रालय ने इस बारे में एक बयान जारी किया है। उसमें कहा गया है कि कोयले की आपूर्ति की कमी के पीछे वजहें हैं। मंत्रालय के आयातित कोयले की कीमतों में बढ़ोत्तरी के चलते भी सप्लाई में कमी आई है। जिन चार वजहों का जिक्र केंद्रीय मंत्रालय ने किया है, उसमें अर्थव्यवस्था में सुधार के चलते बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि, कोयला खदान क्षेत्रों में भारी बारिश, आयातित कोयले की कीमत में वृद्धि और महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों मं  बिजली कंपनियों पर भारी बकाया है।

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