इन राज्यों में हो सकेगा स्टार अनीस का उत्पादन, प्रसिद्ध शोधकर्ता डॉ विक्रम शर्मा की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

शोध: इन राज्यों में हो सकेगा स्टार अनीस का उत्पादन, प्रसिद्ध शोधकर्ता डॉ विक्रम शर्मा की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

 इन राज्यों में हो सकेगा स्टार अनीस का उत्पादन, प्रसिद्ध शोधकर्ता डॉ विक्रम शर्मा की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Tricity Today | वाणिज्यिक कृषि बागवानी क्षेत्र में शोध करने वाले डॉ विक्रम शर्मा

वाणिज्यिक कृषि बागवानी क्षेत्र में शोध करने वाले डॉ विक्रम शर्मा ने चक्री फूल मसाले पर अपना शोध पूर्ण कर लिया है। स्टार अनीस एक ऐसा मसाला है, जिसे मात्र विदेश से मंगवा कर देश की खपत को पूरा किया जाता रहा है। चक्री फूल के कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत भारत में आयात होता है। परन्तु इसका देश में उत्पादन न के बराबर है। दरअसल चक्री फूल एक मसाला ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन औषधि भी है। 

इसका प्रयोग कई आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक व एलोपैथिक चिकित्सा पद्धिति में किया जाता है। इस फूल से कई सौंदर्य प्रसाधन भी बनाए जाते हैं। इस चक्री फूल के मसाले को भारतीय व्यंजनों के अलावा यूरोपीय व अन्य महाद्वीपीय क्षेत्र में भी प्रयोग में लाया जाता है। ये मसाला मुख्यतः चीन, वियतनाम व जापान में पाया जाता है। चीन इसका व्यापार बहुत बड़े पैमाने पर करता है। स्टार अनीस के जंगली प्रजाति के कुछ पौधे देश के अरुणाचल क्षेत्र में भी पाए जाते हैं। मगर आज तक इसका वाणिज्यिक उत्पादन देश में शुरू नहीं हो सका। अरुणाचल क्षेत्र में पाए जाने वाले स्टार अनीस के पौधे अभी तक वाणिज्यिक स्वरूप नहीं ले सके। 

इसके कारण उनका उत्पादन देश की मंडियों तक नहीं पहुंच पाया। दावे जरूर किए गए कि अरुणाचल के अलावा इसके उत्पादन की संभावनाएं नहीं है, जो सरासर गलत है। डॉ शर्मा ने बताया कि उन्होंने इसके शोध व प्रसार के लिए जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व नॉर्थ इस्ट भारत के मध्य क्षेत्रों को उचित पाया है। यहां इसका वाणिज्यिक उत्त्पादन किया जा सकता है। इन क्षेत्रों की जलवायु इसके लिए अत्यधिक उपयुक्त है। इसके अच्छे उत्पादन के लिए ठंड व थोड़ी गर्मी का होना दोनों अनिवार्य है। 

इसके देश मे उत्पादन को बढ़ावा देकर आयात पर नियंत्रण करके, विदेशी पूंजी को देश हित में व अपने देश के युवाओं व किसानों को एक अत्याधुनिक आर्थिक स्वावलंबन से जोड़ा जा सकता है। डॉ विक्रम ने बताया कि उन्होंने एक एकीकृत कृषि बागवानी प्रोजेक्ट पर भी शोध कार्य करके उसका प्रारूप तैयार किया है। डॉ शर्मा ने कहा कि उनका मिशन देश के नौजवानों को कृषि बागवानी से रोजगार के द्वारा आत्मनिर्भर बनाने की तरफ अग्रसर करना है। इससे कृषि को आगामी पीढ़ी उद्योग मान कर आगे बढ़ेगी।

डॉ विक्रम ने एकीकृत कृषि बागवानी में स्टार अनीस, दालचीनी, अवोकेडो, पिस्ता व कॉफ़ी को शामिल किया है। ये अत्याधिक मांग की फसलें है तथा देश में आय के साधन बढ़ा सकती हैं। डॉ शर्मा ने बताया कि हींग का देश मे शोध उन्होंने 2015 में शुरू किया था। यह आज एक मिशन के रूप में आगे बढ़ रहा है। इसमें देश की अग्रणी शोध संस्था डीआरडीओ विशेष रूप से लेह स्थित शोध केंद्र पर हींग के लिए कार्यरत है। डॉ विक्रम शर्मा की मदद ले रही है। डॉ विक्रम ने हिमाचल के मध्य क्षेत्र में कॉफ़ी का सफल प्रयोग 2001 में पूर्ण कर दिया था। वह हिमाचल सरकार से किसानों तक इसकी पौध व वाणिज्यिक उत्पादन के लिए सहायता प्रदान करने की उपेक्षा करते हैं। ताकि इसे वाणिज्यिक रूप में प्रदेश में उगा कर किसान अपने बंजर जमीन से आर्थिक लाभ उठा सकें।

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