यूपी समेत पूरे देश में एक जुलाई से लागू होंगे ये 3 कानून, लाखों अफसरों को सरकार देगी ट्रेनिंग

बड़ा फैसला : यूपी समेत पूरे देश में एक जुलाई से लागू होंगे ये 3 कानून, लाखों अफसरों को सरकार देगी ट्रेनिंग

यूपी समेत पूरे देश में एक जुलाई से लागू होंगे ये 3 कानून, लाखों अफसरों को सरकार देगी ट्रेनिंग

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New Delhi/Uttar Pradesh : आगामी 1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होने जा रहे हैं। इसके लिए सरकार ने अपने सभी संसाधनों के साथ पूरे जोश और तैयारी से कदम उठाए हैं। केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय आपराधिक रिकॉर्ड ब्यूरो, पुलिस अनुसंधान ब्यूरो और राष्ट्रीय सूचना संचार सेवा ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों और संबंधित सेवाओं के सवा छह लाख से ज्यादा लोगों को नए नियमों की ट्रेनिंग दी है। पिछले छह महीनों में इन प्रशिक्षु अधिकारियों को जांच के नए औजारों और सुविधाओं के साथ पुख्ता सबूत जुटाने की ट्रेनिंग सक्षम और दक्ष ट्रेनरों ने दी है।

मंत्रालयों के विशेषज्ञों की अहम भूमिका
सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के न्याय और गृह विभाग, कारागारों, अभियोजन अधिकारियों, कानून के छात्रों, शिक्षा विभाग, महिला और बाल विकास विभाग, सहकारिता और ग्रामीण विकास विभाग के साथ पुलिस रिकॉर्ड से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को इन संहिताओं और कानून की जटिलताओं से निपटने के तकनीकी स्रोतों की जानकारी दी गई। इस कार्य में विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संचार और पंचायती राज मंत्रालयों के विशेषज्ञों ने भी अपनी भूमिका निभाई।

फोटोग्राफी से लेकर सबूत जुटाने की दी गई ट्रेनिंग
अधिकारियों को अपराध स्थल की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी, साक्ष्य जुटाने के अचूक तरीकों, बयान दर्ज करने में तकनीक का प्रयोग और मानवाधिकारों का ध्यान रखने का प्रशिक्षण दिया गया। एनआईसी ने ई-कोर्ट्स के लिए न्याय श्रुति, ई-साक्ष्य और ई-समन जैसे मोबाइल ऐप विकसित किए हैं, जिनके इस्तेमाल की भी ट्रेनिंग दी गई। इन सबके लिए 250 से ज्यादा सत्र वेबिनार और सेमिनार के जरिए आयोजित किए गए, जिसमें 50,000 से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित किया गया।

17 बार वार्तालाप सीरीज का आयोजन
कानून और संहिताओं से जुड़े प्रशिक्षण कोर्स में लगभग ढाई लाख अधिकारियों ने नामांकन कराया है। आम नागरिकों को नए कानूनों के प्रति जागरूक बनाने के लिए आयोजित वेबिनार और सेमिनार में 40 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े। पीआईबी और सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने देश के नागरिकों के लिए 17 बार वार्तालाप सीरीज का आयोजन किया।

नए कानूनों के साथ आएंगी नई चुनौतियां
तीनों नए कानूनों का असर एक जुलाई के बाद से दिखना शुरू होगा। हालांकि, कई दिग्गज न्यायविदों ने इन संहिताओं में मौजूद खामियों के प्रति सरकार और समाज को आगाह किया है। सुप्रीम कोर्ट के वकील समर सिंह के अनुसार, न्यायविदों के सुझावों और अपत्तियों पर अब तक कोई ठोस समाधान नहीं हुआ है। नए कानूनों के साथ नई चुनौतियां भी सामने आएंगी।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
तीन नए आपराधिक कानून लागू होने से तीन दिन पहले मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट विशेषज्ञों की समिति का गठन कर इन तीनों विधि संहिताओं का विस्तृत अध्ययन कराए ताकि इनमें मौजूद दोषों का समुचित परिष्कार हो सके। तब तक इनके क्रियान्वयन पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है। पिछले साल 25 दिसंबर को संसद के दोनों सदनों से पारित इन तीनों संहिताओं के विधेयक पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिए थे। लेकिन सरकार ने इनको एक जुलाई से लागू करने की अधिसूचना जारी की थी। सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका अंजली पटेल और छाया मिश्रा ने दायर की है।

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