LNJP हॉस्पिटल से युवती का शव गायब, 10 दिन बाद भी पुलिस-प्रशासन को नहीं मिला सुराग, भाई कर रहे इंतजार

लापरवाही की हद : LNJP हॉस्पिटल से युवती का शव गायब, 10 दिन बाद भी पुलिस-प्रशासन को नहीं मिला सुराग, भाई कर रहे इंतजार

LNJP हॉस्पिटल से युवती का शव गायब, 10 दिन बाद भी पुलिस-प्रशासन को नहीं मिला सुराग, भाई कर रहे इंतजार

Google Image | LNJP हॉस्पिटल

  • राजधानी के कोविड डेडीकेटेड हॉस्पिटल लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल (LNJP) की मोर्चरी से एक शव गायब हो गया है
  • पिछले 10 दिनों से पुलिस और हॉस्पिटल प्रबंधन युवती के शव की तलाश में जुटे हैं
  • डॉक्टरों ने कहा कि गलती से किसी और डेड बॉडी के बदले उनकी बहन का शव दे दिया गया है
  • 15 अप्रैल को युवती को दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश (LNJP) हॉस्पिटल लाए थे
देश की राजधानी दिल्ली कोरोना वायरस महामारी के साथ-साथ सिस्टम की लापरवाही की वजह से भी बेहाल है। अस्पताल-ऑक्सीजन, बेड और इलाज के बाद भी दिल्ली में निवासियों का संघर्ष जारी है। राजधानी के कोविड डेडीकेटेड हॉस्पिटल लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल (LNJP) की मोर्चरी से एक शव गायब हो गया है। पिछले 10 दिनों से पुलिस और हॉस्पिटल प्रबंधन युवती के शव की तलाश में जुटे हैं, लेकिन अब तक कामयाबी नहीं मिली है। डेड बॉडी का पता नहीं चला है। पुलिस अब इस मामले में कानूनी सुझाव ले रही है। उसके बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।

दूसरे शव से अदला-बदली की बात कही
मृतका के भाई सिद्धार्थ ने बताया कि वह अपनी बहन का शव लेने खुद मोर्चरी गए थे। वहां रखी सारी लाशों की एक-एक कर शिनाख्त की। लेकिन उनमें से कोई उनकी बहन का शव नहीं था। युवती की मौत को एक महीने से ज्यादा बीत चुके हैं। मगर परिवार को यह पता नहीं है कि उसका अंतिम संस्कार हुआ है या नहीं। पहले अस्पताल के डॉक्टरों ने यह कहा कि गलती से किसी और डेड बॉडी के बदले उनकी बहन का शव दे दिया गया है। लेकिन हॉस्पिटल प्रबंधन के पास इसका जवाब नहीं है कि जिस डेड बॉडी से अदला-बदली हुई थी, वह लाश अब कहां है?

15 अप्रैल को हुई थी मौत
पीड़ित सिद्धार्थ ने बताया कि पिछले महीने उनका पूरा परिवार कोरोना वायरस से संक्रमित हो गया था। उनकी बहन का नोएडा के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। हालत बिगड़ने पर 15 अप्रैल को वह अपनी बहन को दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश (LNJP) हॉस्पिटल लाए थे। मगर यहां पहुंचते-पहुंचते बहन की मौत हो गई। दुखद यह था कि उस वक्त सिद्धार्थ के परिवार में सभी कोरोना वायरस की चपेट में थे। घर में सिद्धार्थ के अलावा मां-बाप और एक भाई हैं। परिजनों ने लोकनायक अस्पताल की मोर्चरी में युवती का शव रखवा दिया। डॉक्टरों ने 2 दिन बाद आकर डेड बॉडी ले जाने के लिए कहा। 

7 मई को शव लेने पहुंचे तो पता चला
मगर कोरोना वायरस की वजह से पूरे परिवार की हालत बिगड़ती चली गई। माता-पिता हॉस्पिटल में भर्ती थे। दोनों भाइयों को घर पर आइसोलेशन में रखा गया था। इस वजह से कोई 2 दिन में शव लेने अस्पताल नहीं पहुंच सका। आइसोलेशन से बाहर आने के बाद 7 मई को सिद्धार्थ एलएनजेपी हॉस्पिटल पहुंचे। 3-4 घंटे तक अस्पताल में बैठे रहे। लेकिन उन्हें किसी ने कोई जानकारी नहीं दी। सिर्फ उन्हें इंतजार करने के लिए कहा गया। जब लंबे इंतजार के बाद उन्होंने वजह पूछी, तो स्टॉफ ने बताया कि उनकी बहन का शव नहीं मिल रहा है। दोनों भाइयों ने खुद मोर्चरी में जाकर हर डेड बॉडी का चेहरा देखा। उन्हें लगा कि शायद इनमें से कोई शव उनकी बहन का होगा। 

कानूनी पहलु पर विचार कर रही पुलिस
लेकिन उनमें से कोई चेहरा उनकी बहन का नहीं था। उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। दिल्ली पुलिस के एडिशनल डीसीपी रोहित मीणा ने बताया कि हॉस्पिटल प्रबंधन से इस बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। सीसीटीवी फुटेज और दूसरे माध्यमों से तथ्यों का सत्यापन किया जा रहा है। साथ ही मामले में कानूनी सलाह मांगी गई है। मिलने पर इसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। उधर पीड़ित परिवार इस गम में है कि उनकी बहन का दाह संस्कार हो पाया है या नहीं!

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