नासा के रोवर चैलेंज-2024 के लिए हुआ अरुण का चयन, बने टीम काईज़ेल का हिस्सा

फरीदाबाद से अच्छी खबर : नासा के रोवर चैलेंज-2024 के लिए हुआ अरुण का चयन, बने टीम काईज़ेल का हिस्सा

नासा के रोवर चैलेंज-2024 के लिए हुआ अरुण का चयन, बने टीम काईज़ेल का हिस्सा

Tricity Today | नासा के रोवर चैलेंज-2024 के लिए हुआ अरुण का चयन

Faridabad News : एम3एम फाउंडेशन नासा के ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज-2024 के अनचार्टेड टेरेटरीज में वाईएमआरडी की ‘टीम काईज़ेल’ को सपोर्ट कर रहे हैं। जो 18 से 20 अप्रैल-2024 तक आयोजित होने वाला है। 'टीम काईज़ेल' के सपोर्ट के साथ एम3एम फाउंडेशन उन छात्रों की पहचान और चयन कर रहा है, जो विज्ञान प्रदर्शनियों के के माध्यम से विज्ञान और नवाचार के प्रति जुनून साझा करते हैं। इसमें वो भारत के चयनित जिलों (पानीपत, फरीदाबाद, नोएडा, गुरुग्राम और नूंह) के जिला प्रशासन के साथ सहयोग करके छात्रों की पहचान और चयन करेंगे। इतना ही नहीं, एक छात्र का चयन स्टेम इंगेजमेंट के लिए भी किया जा रहा है। फिर वह टीम काईज़ेल का हिस्सा बनेगा और उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन का अवसर दिया जाएगा।

साइंस मॉडल कंपटीशन 
इसी मिशन को आगे बढ़ाते हुए गुरुवार को जिला शिक्षा विभाग के दफ्तर में साइंस मॉडल कंपटीशन का आयोजन किया गया। जिसमें फरीदाबाद के सरकारी स्कूलों से 60 से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के रूप में जिला शिक्षा अधिकारी आशा दहिया ने शिरकत की। प्रतियोगिता के जूरी मेम्बर के रूप में कृष्ण शर्मा, प्रेसिडेंट एम3एम फाउंडेशन डॉ. ऐश्वर्य महाजन और गोपाल मौजूद रहे।

अरुण कुमार का चयन
अरुण कुमार बेहद सामान्य परिवार से हैं। इनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं। अरुण कुमार 10वीं कक्षा में पढ़ते हैं। उन्होंने इस कंपटीशन में ‘ई-क्रच’ का मॉडल बनाया। इस मॉडल की वजह से उसका चयन किया गया है। इस अवसर पर आशा दहिया ने कहा कि 'नासा में ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज-2024 में भाग लेने वाले सरकारी स्कूल के एक छात्र का 'टीम काईज़ेल' का हिस्सा बनना जिले के लिए गर्व का विषय है। यह उपलब्धि एम3एम फाउंडेशन के सहयोग से संभव हुई है।

नासा का ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज
नासा का ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज (एचईआरसी) एक वार्षिक इंजीनियरिंग डिजाइन प्रतियोगिता है, जो दुनियाभर के छात्रों को चुनौतीपूर्ण इलाकों को पार करने और मिशन-केंद्रित कार्यों को पूरा करने में सक्षम मानव-संचालित रोवर्स को डिजाइन, निर्माण और परीक्षण करने की चुनौती देती है।

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