गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के 30 इंजीनियर दोषी करार, जांच में सात दोषमुक्त

स्वर्ण जयंती पुरम में भूखंड आवंटन घोटाला : गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के 30 इंजीनियर दोषी करार, जांच में सात दोषमुक्त

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के 30 इंजीनियर दोषी करार, जांच में सात दोषमुक्त

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Ghaziabad News : गाजियाबाद विकास प्राधिकरण GDA की स्वर्ण जयंती पुरम योजना में 137 भूखंडों का नियम के विरुद्ध आवंटन किए जाने के मामले में 30 इंजीनियरों के खिलाफ शासन में चार्जशीट दाखिल की गई है। इन इंजीनियरों पर जल्द बड़ी कार्रवाई हो सकती है। प्लॉट आवंटन घोटाले में फंसे इंजीनियरों को स्पष्टीकरण के नोटिस जारी किए गए हैं। जबकि सात इंजीनियरों को आरोपों से दोषमुक्त कर किया गया है। जीडीए में तैनात रहे इंजीनियरों की घोटाले में गर्दन फंसी हुई है। भाजपा के पूर्व पार्षद राजेंद्र त्यागी ने स्वर्ण जयंती पुरम के 137 प्लाटों का आवंटन निरस्त होने के बाद इस घोटाले का खुलासा किया था।

यह है पूरा मामला
पूर्व पार्षद राजेंद्र त्यागी ने मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत कर दोषी इंजीनियरों पर कार्रवाई की मांग की थी। आवंटित किए गए इन भूखंडों में से करीब 26 प्लाटों पर बगैर नक्शा पास कराए ही बिल्डिंग बना दी गई। जबकि 40 प्लॉटों पर नक्शे के विपरीत अवैध निर्माण किया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर जांच हुई तो इसमें इंजीनियरों को दोषी पाया गया। इनमें कुल 37 इंजीनियरों को दोषी पाया गया है। दोबारा हुई जांच में इसमें से सात इंजीनियरों को दोषमुक्त कर दिया गया। इस पूरे मामले में मेरठ मंडल के कमिश्नर द्वारा तीसरी जांच की गई, इसमें उन्होंने कई इंजीनियरों को दोषी करार दिया है। मंडल आयुक्त ने 7 जुलाई 2023 को जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी थी।

सात को किया गया दोषमुक्त
इस मामले में शामिल रहे सहायक अभियंता वकील अहमद समेत करीब एक दर्जन इंजीनियरों की चार्जशीट जारी कर दी गई है। 15 दिन में शासन में इन्हें अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए गए हैं। जीडीए में तैनात रहे अवर अभियंता आरसी वर्मा, सुनील त्यागी, मोहम्मद कमर, मनोज अग्रवाल, नरेश त्यागी, राजबली सिंह पारस, अनिल कुमार, आशू, निमिष गुप्ता, राम सागर वर्मा, विवेक शर्मा, श्याम मोहन शुक्ला, सीके मित्तल, सत्येंद्र श्रीवास्तव, अशोक त्यागी, बी शुक्ला, केपी यादव, टीएन सिंह को दोषी ठहराया गया है। जबकि प्लॉट आवंटन में जांच के बाद 7 इंजीनियरों को दोषमुक्त कर दिया है। इनमें लखनऊ विकास प्राधिकरण में तैनात सहायक अभियंता अजय गोयल को कमिश्नर ने दोष मुक्त पाया है।

सेवानिवृत हो चुके है अधिकांश आरोपी
मेरठ मंडल आयुक्त ने सात लोगों को क्लीन चिट दे दी है। शासन ने साथ इंजीनियरों को दोष मुक्ति पाए जाने पर उन्हें पदोन्नति दे दी है, लेकिन अजय गोयल की दोबारा जांच के आदेश दिए गए हैं। इसके खिलाफ वह हाईकोर्ट गए हैं। कोर्ट ने उनकी जांच रोक दी है। निर्दोष साबित होने के बावजूद उनकी पदोन्नति नहीं हो पा रही है। जबकि उन्हीं के समक्ष दूसरे आरोपियों को दोष मुक्त कर शासन ने पदोन्नति दे दी है। वहीं दोषी सहायक अभियंता वकील अहमद, किशन सिंह, शिव कुमार, पंकज शर्मा, प्रमोद कुमार शर्मा रिटायर हो चुके हैं। एपी सिंह, विवेक शर्मा, धीरज सिंह, सेवानिवृत्ति ए आर राही सेवानिवृत्ति हीरालाल यादव, जयपाल सिकरवार, अरुण कुमार शर्मा, धर्मवीर सिंह को जिम्मेदार बनाया गया है। इनमें से अधिकांश रिटायर हो चुके हैं।

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