ट्रैफिक के बीच 'यमदूत' बनकर दौड़ा गायों का झुंड, जिम्मेदार कौन?

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे : ट्रैफिक के बीच 'यमदूत' बनकर दौड़ा गायों का झुंड, जिम्मेदार कौन?

ट्रैफिक के बीच 'यमदूत' बनकर दौड़ा गायों का झुंड, जिम्मेदार कौन?

Tricity Today | गायों का झुंड

Ghaziabad News : दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर गाजियाबाद में बीते एक सप्ताह के दौरान आठ लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। लगातार लोग मर रहे हैं लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। आखिर इन मौतों की जिम्मेदारी कौन लेगा? सिस्टम में बैठे लोगों की नजर में इंसानी जान की कीमत सस्ती हो चली है। मंगलवार को भी एक यूपी पुलिस के सिपाही की मौत इसी एक्सप्रेस वे पर हो गई। लगाता है किसी को इसकी कोई फिक्र ही नहीं है। इस दुर्घटना के कुछ घंटो बाद ही एक्सप्रेस वे एक गायों का झुंड यम के दूत बनकर ट्रैफिक के बीच दौड़ता नजर आया। गनीमत रही कोई हादसा नहीं हुआ। गायों के झुंड को हाईवे से हटाने के लिए यहां पर कोई नहीं है। अव्यवस्था का आलम यह है कि हाईवे पर कोई भी कहीं से भी आ जाता है। चाहे इंसान हो या पशु इस हाईवे पर सब दौड़ लगा रहे हैं। बीते एक सप्ताह में आठ की मौत
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर मंगलवार को कार से टकराकर सुशील कुमार नाम के एक सिपाही की मौत हो गई। पिछले हफ्ते मंगलवार को इसी एक्सप्रेसवे पर मेरठ के एक ही परिवार के 6 लोगों की मौत हो गई थी। मंगलवार को भी एक सिपाही की जान चली गई। जिस कार से सिपाही सुशील की मोटरसाइकिल टकराई थी, उस कार को एक महिला चला रही थी। वहीं विजय नगर के पास रैश ड्राइविंग के चलते बीटेक के एक छात्र की मौत हो गई। युवक की पहचान कृष्णांशु चौधरी के रूप में हुई है।

देश का सबसे चौड़ा एक्सप्रेसवे 
दिल्ली से मेरठ के बीच बनकर तैयार हुए इस एक्सप्रेसवे को देश का सबसे चौड़ा एक्सप्रेसवे कहा जाता है। दिल्ली-मेरठ के बीच बने इस एक्सप्रेसवे की कई खासियत हैं, लेकिन अपनी खूबी के साथ आजकल यह दुर्घटनाओं के लिए ज्यादा बदनाम हो रहा है। 14 लेन का यह एक्सप्रेसवे देश का सबसे चौड़ा एक्सप्रेसवे है। दिल्ली और मेरठ के बीच की दूरी इस एक्सप्रेसवे की वजह से मात्र 45 मिनट में पूरी हो जाती है। एनसीआर के 2 बड़े शहरों दिल्ली और मेरठ के बीच की यात्रा अवधि को कम करने के लिए इसे बनाया गया है। यह एक्सप्रेसवे पूरी तरह सिग्नल फ्री है। साथ ही इसका निर्माण चार चरणों में पूरा हुआ था।

दिल्ली से डासना तक 16 लेन चौड़ा
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और एनएच-91 डासना तक 16 लाइन का है। इस एक्सप्रेसवे में कई खूबियां होने के बावजूद यह लोगों की जान के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। कभी यहां रॉन्ग साइड से आती गाड़ियां दिखाई देती हैं। तो कई बार कार की लाइन में मोटर साइकिल सवार दिखाई दे जाते हैं। पूरे एक्सप्रेसवे को संभालने के लिए पुलिस स्टाफ हर समय उपलब्ध नहीं होता है। यही कारण है कि लोग यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए वाहनों को मनमुताबिक चलाते हैं। जिस वजह से दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे हादसों का एक्सप्रेसवे बनकर रह गया है।

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