गाजियाबाद वालों के लिए बुरी खबर, मेट्रो विस्तार का प्रस्ताव रद्द

Ghaziabad Metro Project : गाजियाबाद वालों के लिए बुरी खबर, मेट्रो विस्तार का प्रस्ताव रद्द

गाजियाबाद वालों के लिए बुरी खबर, मेट्रो विस्तार का प्रस्ताव रद्द

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Ghaziabad News : गाजियाबाद शहर में रहने वालों के लिए अच्छी खबर नहीं है। शहर में मेट्रो ट्रेन के विस्तार को झटका लगा है। वैशाली से आगे बढ़कर मोहननगर और साहिबाबाद तक प्रस्तावित मेट्रो के विस्तार की परियोजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। इससे वसुंधरा जैसे पॉश इलाकों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बाट जो रहे लाखों लोगों की परेशानी बढ़ेगी। फिलहाल दिल्ली से गाजियाबाद में चल रही मेट्रो वैशाली से आगे नहीं बढ़ेगी।

गाजियाबाद वालों ने इस प्रोजेक्ट के लिए आंदोलन किया था

दिल्‍ली से गाजियाबाद में वैशाली तक मेट्रो करीब एक दशक से चल रही है। लेकिन यह आगे नहीं बढ़ रही है। करीब एक साल पहले इसका एक्सटेंशन साहिबाबाद तक मंजूर हो गया था। अब यूपी सरकार ने मेट्रो प्रशासन से इस बारे में फिर से रिपोर्ट मांग ली है। इस बार विस्तार रिपोर्ट मांगी है। जिसमें परियोजना पर होने वाले निवेश की जानकारी मांगी गई है। आपको बता दें कि स्थानीय लोगों ने इस मेट्रो लाइन का विस्तार करने की मांग करते हुए करीब एक साल तक प्रदर्शन किया था।

रोजाना 37 हजार यात्रियों को होता फायदा

आपको बता दें कि वैशाली से मोहननगर तक प्रस्तावित मेट्रो कॉरिडोर की लंबाई केवल 5.04 किलोमीटर है। इसका निर्माण एलिवेटेड किया जाना है। इस रूट पर 4 स्टेशन प्रह्लादगढ़ी, वसुंधरा सेक्टर-14, साहिबाबाद और मोहन नगर शामिल हैं। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने इस प्रॉजेक्ट की अनुमानित लागत 1808.22 करोड़ रुपये आंकी थी। प्रोजेक्ट की डीपीआर पांच साल पहले तैयार हो चुकी है।

इस मेट्रो का साहिबाबाद स्टेशन मेरठ आरआरटीएस का स्टेशन भी होगा

इस कॉरिडोर की खास बात यह है कि इसका साहिबाबाद मेट्रो स्टेशन और दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस का स्टेशन एक साथ होंगे। दोनों ट्रेन के लिए कॉमन एंट्री और एक्जिट होंगे। उस समय किए गए सर्वे के अनुसार इस ट्रैक के बनने से रोजाना 37,438 यात्रियों को लाभ मिलता। इसकी लंबे समय से मांग चल रही थी। स्थानीय लोगों ने मंत्री और अफसरों से मिलकर अपनी मांग रखी थीं। आपको बता दें कि इन दोनों रूटों पर मेट्रो विस्तार की मांग को लेकर लोग लखनऊ गए थे। कई बड़े अधिकारियों और मंत्रियों तक से मिले थे। इसमें संघर्ष समिति से लेकर फेडरेशन ऑफ एओए और  कई पार्षद शामिल थे। लोगों का कहना है कि कोई भी अन्य परियोजना मेट्रो की जगह नहीं ले सकती है। लेकिन अब मेट्रो एक्‍सटेंशन का प्रस्‍ताव रद्द होने के बाद लोगों में मायूसी छा गई है।

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