Ghaziabad News : डिजिटल अरेस्ट के नाम पर साइबर क्रिमिनल्स खूब ठगी कर रहे हैं। हैरत की बात यह है कि शातिर अच्छे पढ़े लिखे और संपन्न लोगों को भी निशाना बनाने में कामयाब हो जा रहे हैं। अब वसुंधरा में रहने वाले एक सिविल इंजीनियर से 27 लाख रुपए ठगने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। सेक्टर- पांच स्थिल ऑलिव काउंटी में रहने वाले इंजीनियर को ढाई करोड़ रुपये की मनी लॉड्रिंग का संदिग्ध बताते हुए पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखते हुए एकाउंट ऑडिट के नाम पर रकम ट्रांसफर करा ली। इंजीनियर को बाद में जब यह बात समझ में आई कि उसके साथ ठगी हो गई, तब पीड़ित ने साइबर थाने में मुकदमा दर्ज कराया।
पहले क्रेडिट कार्ड के बकाये की बात कही
ऑलिव काउंटी में रहने वाले सिविल इंजीनियर शशांक शेखर के मोबाइल पर अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने खुद को एसबीआई से बताते हुए क्रेडिट के 1,09,669 रुपये के बिल का भुगतान न किए जाने की बात कही। शशांक ने कहा उनके पास कुछ बकाया नहीं है। इस पर दिल्ली पुलिस को कॉल कनेक्ट की बात कहते हुए कथित दिल्ली पुलिस के एसआई रवि कुमार से बात कराई गई। कथित एसआई ने उनसे काफी देर तक बात की और तमाम जानकारी भी हासिल कर ली। उसके बाद कथित सीबीआई अफसर नितिन पंवार लाइन पर आ गया।
मनी लॉड्रिंग के नाम पर डराया
सीबीआई अफसर ने पीड़ित से कहा कि आपके खाते से 2.59 करोड़ रुपये की मनी लॉड्रिंग होने के साक्ष्य मिले हैं। शशांक ने कहा कि मनी लॉड्रिंग से उनका कोई लेना देना नहीं है। इस पर कथित सीबीआई अफसर ने एक लिंक भेजकर वारंट देखने की बात कही। शशांक ने लिंक पर क्लिक किया तो उनके नाम का वारंट स्क्रीन पर था। वारंट देखकर वह बुरी तरह डर गए। कॉलर ने कहा, ज्यादा होशियार बनने की कोशिश करोगे तो तुम्हे जेल जाना पड़ेगा। जांच में सहयोग करोगे तो बचाव हो सकता है।
ऑनलाइन जांच के नाम पर डिजिटल अरेस्ट किया
शातिरों ने शशांक से कहा कि जांच में सहयोग करने के लिए आपको स्क्रीन पर रहना पड़ेगा। 13 नवंबर से कथित जांच को जो सिलसिला शुरू हुआ वह 27 लाख रुपये ट्रांसफर कराने के बाद ही थमा। कथित सीबीआई अफसर ने कहा कि आपका मामला बड़ा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। आपके खाते का ऑडिट होगा। बैंक में जो राशि है वह आपको ट्रांसफर करनी होगी, जो ऑडिट पूरा होने के बाद मिलेगी, ऑडिट में तीन दिन का समय लगेगा।
16 नवंबर को 27 लाख ट्रांसफर किए
बुरी तरह डर गए शशांक ने 16 नवंबर को अपने खाते से 27 लाख रुपये बताए गए खाते में ट्रांसफर कर दिए। 17 नवंबर को पीड़ित ने कॉलर से संपर्क करने का प्रयास किया तो संपर्क नहीं हो पाया। वह कई दिन तक यह नहीं समझ पाए कि उनके साथ क्या हुआ है। बाद में ठगी की बात समझ में आने पर वह साइबर क्राइम थाने पहुंचे और तहरीर दी। एडीसीपी सच्चिदानंद का कहना है कि पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पीड़ित के द्वारा उपलब्ध कराए खाता नंबर और मोबाइल नंबर के आधार पर शातिरों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है।