Ghaziabad News : राजनगर एक्सटेंशन में रहने वाली एक बच्ची में पोलियो से मिलते- जुलते लक्षण पाए जाने पर स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। स्वास्थ्य विभाग न केवल बच्ची के परीक्षण करा रहा है बल्कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को भी मामले की जानकारी दी गई है। WHO के प्रतिनिधि डा. अभिषेक कुलश्रेष्ठ ने बताया कि बच्ची के परीक्षण पूरे होने के बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी। हम रिपोर्ट आने तक इसे पोलियो का संदिग्ध केस मान रहे हैं।
18 माह की है बच्ची
राजनगर एक्सटेंशन में रहने वाले दंपत्ति की 18 माह की बच्ची को लड़खड़ाकर गिरने के साथ ही पैर में कंपकंपी जैसी शिकायत हुई थी। दंपत्ति बच्ची को लेकर संजयनगर स्थित संयुक्त जिला अस्पताल (DCH) में पहुंचा। बच्ची को देखने वाले बाल रोग विशेषज्ञ डा. एमएल अग्रवाल ने बताया कि उसके माता-पिता के मुताबिक नियमित टीकाकरण समय से पूरा किया गया है इसलिए पोलियो की आशंका तो न के बराबर है। जिले में पोलियो का मामला 2009 में सामने आया था, उसके बाद से कोई मामला सामने नहीं आया है।
एएफपी का केस मान रहे डॉक्टर
डाक्टरों ने लक्षणों के आधार पर एक्यूट फेलोरिस पैरालिसिस (AFP) का मामला मानते हुए काउंसलर के पास रेफर कर दिया। AFP को पोलियो का केस नहीं माना जा सकता। इसके कई कारण हो सकते हैं। AFP यानि तीव्र शिथिल पक्षाघात में 15 वर्ष तक के बच्चों में अचानक मांसपेशियों की टोन कम हो जाती है। इसके संक्रामक और असंक्रामक, कई कारण हो सकते हैं, उनमें से एक कारण पोलियो वायरस भी हो सकता है। कई बार सिर या रीढ़ की हड्डी पर चोट के कारण भी AFP हो सकता है। AFP में टांग और बाजू कमजोर होकर ढीली पड़ने लगती है, यही कारण है कि मामला पोलियो जैसा होने का आभास होता है।
विटामिन- डी की कमी भी हो सकती है जिम्मेदार
काउंसलर मुकेश यादव ने बताया कि बच्ची के मामले में पूरी जानकारी WHO के सर्विलांस अधिकारी डा. अभिषेक कुलश्रेष्ठ को देने के साथ ही जरूरी जांचें कराई जा रही हैं। नियमित टीकाकरण पूरा होने के बाद पोलियो की आशंका नहीं रहती। वैसे भी पोलियो देश से खत्म हो चुका है लेकिन फिर भी सभी जांच कराई जा रही हैं। उन्होंंने कहा कि कई बार जो बच्ची पैदा होने के दौरान अच्छे से नहीं रोते, उन्हें इस तरह की समस्या हो जाती है। विटामिन - डी की कमी भी एक कारण हो सकती है।