सीआईडी ने नोएडा से अमित गुर्जर को किया गिरफ्तार, 100 करोड़ के घोटाले में पहली गिरफ्तारी

महामेधा अर्बन को-ऑपरेटिव घोटाला: सीआईडी ने नोएडा से अमित गुर्जर को किया गिरफ्तार, 100 करोड़ के घोटाले में पहली गिरफ्तारी

सीआईडी ने नोएडा से अमित गुर्जर को किया गिरफ्तार, 100 करोड़ के घोटाले में पहली गिरफ्तारी

Google Image | 100 करोड़ के घोटाले में पहली गिरफ्तारी

  • 100 करोड़ रुपए के घोटाले में सीआईडी ने अमित गुर्जर को गिरफ्तार किया है
  • क चेयरमैन समेत 24 आरोपियों के विरूद्ध घंटाघर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई
  • 27 फरवरी 2001 को बैंकिंग कारोबार की अनुमति प्रदान की गई
Ghaziabad News: गाजियाबाद में महामेधा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक में 100 करोड़ के घोटाले में सीआईडी लखनऊ की मेरठ ब्रांच को बड़ी सफलता मिली है। टीम ने नोएडा के प्रॉपर्टी डीलर अमित गुर्जर को गिरफ्तार किया है। अमित ने सूरजपुर में इस बैंक की ब्रांच खुलवाई थी। प्रकरण की जांच में भूमिका सामने आने पर सीआईडी टीम ने गुर्जर को दबोचा है। इस गिरफ्तारी के बाद कई रसूखदारों और ऋणधारकों पर जांच की आंच आने की संभावना बढ़ गई है। बैंक घोटाले में घंटाघर कोतवाली में दो दर्जन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। 

महामेधा अर्बन कोऑपरेटिव बैंक का मुख्यालय नई बस्ती, गाजियाबाद में था। इस बैंक की गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में ब्रांच खोली गई थीं। बैंक में 100 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच के सिलसिले में सीआईडी की मेरठ ब्रांच ने अमित गुर्जर पुत्र महीपाल गुर्जर निवासी नोएडा सेक्टर-40 को गिरफ्तार किया है। 2020 में सहकारिता उत्तर प्रदेश के सहायक आयुक्त देवेंद्र सिंह ने इस प्रकरण में बैंक चेयरमैन समेत 24 आरोपियों के विरूद्ध घंटाघर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बाद में इस मामले की जांच सीआईडी को स्थानांतरित कर दी गई थी। लखनऊ सीआईडी की मेरठ क्षेत्रीय अनुसंधान शाखा के आईओ देवेंद्र सिंह ने बताया कि सरकारी अस्पताल के पास से अमित गुर्जर को पकड़ा गया है। 

2017 में बैंक का लाइसेंस निरस्त हुआ
केस में यह पहली गिरफ्तारी है। वह रिपोर्ट में नामजद नहीं था। मगर विवेचना में इसकी भूमिका प्रकाश में आई थी। अमित गुर्जर से पूछताछ के बाद अब कुछ रसूखदारों पर भी शिकंजा कसने की उम्मीद बढ़ गई है। घोटाले से जुड़े रसूखदारों की गिरफ्तारी के बाद रिकवरी हेतु उनकी संपत्ति अटैच करने की प्रक्रिया में भी तेजी आएगी। सहकारिता विभाग के तत्कालीन सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक देंवेंद्र सिंह ने सितंबर 2020 में इस मामले में केस दर्ज कराया था। रिपोर्ट के मुताबिक महामेधा बैंक को आरबीआई द्वारा 27 फरवरी 2001 को बैंकिंग कारोबार की अनुमति प्रदान की गई। बैंक द्वारा गबन और वित्तीय अनियमितताओं के कारण आरबीआई ने 11 अगस्त 2017 को बैंक का लाइसेंस निरस्त कर दिया। 

विशेष ऑडिट कराने की अनुमति मिली
27 जून 2018 को विशेष ऑडिट कराने की अनुमति प्रदान की गई। ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद  28 जनवरी 2019 को गबन के दोषियों पर रिपोर्ट दर्ज कर रिकवरी के आदेश दिए गए थे। इस प्रकरण में बैंक के पूर्व सभापति पप्पू भाटी, उसके भाई राज सिंह भाटी निवासी अशोक नगर गाजियाबाद, प्रबंध कमेटी के सचिव ईएस ल्यूक, पूर्व सभापति अशोक कुमार चौहान, पूर्व बैंकिंग निदेशक एमएल चावला, वरिष्ठ प्रबंधक पंकज गुप्ता, शास्त्री नगर शाखा प्रबंधक ताराचंद शर्मा, शाखा प्रबंधक सुख सागर अपार्टमेंट गांधी नगर अभिषेक कुमार पांडेय, सचिव ब्रजवीर सिंह, शाखा प्रबंधक चंद्र प्रकाश सिंह, निदेशक उमेश भाटी, सभापति सुनीता भाटी, शाखा प्रबंधक राजनगर एक्सटेंशन अरविंद कुमार सिंह, शाखा प्रबंधक सौरभ जौहरी, शाखा प्रबंधक विकाल सिंहल को आरोपी बनाया गया।

बैंकिंग की सशर्त मंजूरी दी थी
इनके साथ मुख्य प्रबंधक सोनवीर सिंह, शाखा प्रबंधक सेक्टर-23 संजय नगर विनय गोयल, शाखा प्रबंधक सुशांत शर्मा, शाखा प्रबंधक कपिल मल्होत्रा, शाखा प्रबंधक अजयवीर सिंह, शाखा प्रबंधक सुरेश चंद शर्मा, ऋणधारक सुनील भाटी, शिवकुमार शर्मा और लहरू शर्मा को पुलिस ने नामजद किया था। पूर्व सभापति पप्पू भाटी की सितंबर 2009 में मौत हो चुकी है। आरबीआई ने महामेधा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक को गाजियाबाद, हापुड़ और गौतमबुद्ध नगर में बैंकिंग की सशर्त मंजूरी दी थी। शुरूआती दौर में ही बैंक अनियमितताओं को लेकर चर्चा में आ गया था। बैंक के नाम से एक अखबार का प्रकाशन भी शुरू किया गया। मगर बाद में यह भी बंद हो गया था।

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