जीडीए बोर्ड बैठक में हुआ हस्तांतरण, अब निगम करेगा रखरखाव

आखिर गाजियाबाद नगर निगम की हुई इंदिरापुरम योजना : जीडीए बोर्ड बैठक में हुआ हस्तांतरण, अब निगम करेगा रखरखाव

जीडीए बोर्ड बैठक में हुआ हस्तांतरण, अब निगम करेगा रखरखाव

Tricity Today | मंडलायुक्त सेल्वा कुमारी जे. की मौजूदगी में इंदिरापुरम योजना का हस्तांतरण नगरायुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक को करते जीडीए वीसी अतुल वत्स।

Ghaziabad News : गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) की 166वीं बोर्ड बैठक में आज एक निर्णय लिया गया। मेरठ में मंडलायुक्त कार्यालय में हुई बैठक के दौरान नगर निगम ने इंदिरापुरम योजना को अपना लिया। जीडीए वीसी अतुल वत्स ने मंडलायुक्ज सेल्वा कुमार जे. की मौजूदगी में योजना के हस्तांतरण संबंधी दस्तावेज को नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक के हवाले कर दिया। बता दें कि डेढ़ दशक इंदिरापुरम योजना जीडीए और नगर निगम के बीच फुटबॉल बनी हुई थी। जीडीए बार-बार रखरखाव के लिए योजना को ट्रांसफर करने का प्रस्ताव तैयार कर नगर निगम को भेजता, लेकिन नगर निगम हर बार कोई न कोई पेंच फंसाकर उसे यू टर्न देता।

मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कर चुके थे हस्तक्षेप
दिसंबर, 2023 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने जीडीए को निर्देश दिया था कि इंदिरापुरम योजना को रखरखाव के लिए नगर निगम को सौंपा जाए। इस संबंध में दिसंबर माह के शुरू में प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन नितिन गोकर्ण की ओर से आदेश जारी किए गए थे। आदेश में मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया था कि जीडीए और नगर निगम अपने मतभेदों को दूर कर गाजियाबाद की सात योजनाओं - इंदिरापुरम, स्वर्णजयंतीपुरम, इंद्रप्रस्थ, कोयल एंकलेव, इंदिराकुंज, मधुबन-बापूधाम और तुलसी निकेतन को गाजियाबाद नगर निगम के हवाले किया जाए। मुख्यमंत्री ने योजनाओं के हस्तांतरण के लिए फरवरी, 2024 की समय सीमा भी निर्धारित की थी।

जीडीए का काम केवल योजना विकसित करना
दरअसल जीडीए और आवास एवं विकास परिषद का काम केवल योजना को विकसित करना है, उनका रखरखाव नगर निगम के जिम्मे आता है। एक बार योजना को पूर्ण रूप से विकसित घोषित करने के बाद योजना का ट्रांसफर नगर निगम को कर दिया जाता है, लेकिन उपरोक्त सात योजना वर्षों बाद भी नगर निगम हस्तांतरित नहीं हो सकीं। इंदिरापुरम योजना को 2009 में विकसित घोषित करने के बाद हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। मुख्यमंत्री के दखल के बाद एक संयुक्त कमेटी ने इंदिरापुरम का सर्वे किया था ताकि हैंडओवर की नियम शर्तें उसी के मुताबिक बनाई जा सकें। लेकिन सर्वे पूरा होते- होते लोकसभा चुनाव आ गए और मामला खटाई में चला गया।

मंडलायुक्त मिली जिम्मेदारी
सर्वे के बाद नगर निगम ने सड़कों और सीवर के लिए 180 करोड़ रुपये के मोटे बजट की डिमांड कर डाली, जीडीए इतना पैसा देने को तैयार नहीं था। मामले में शासन से मंडलायुक्त सेल्वा कुमार जे. को इंदिरापुरम योजना हैंडओवर कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई। 165वीं बोर्ड बैठक मंडलायुक्त सभागार में हुई तो मंडलायुक्त ने नगर निगम और जीडीए को इस मामले का हल निकालने के लिए दो सप्ताह का समय दे दिया था। यह बैठक छह अगस्त को मेरठ में हुई थी। उसके ठीक एक माह बाद आज जीडीए बोर्ड की 166वीं बैठक में मंडलायुक्त की मौजूदगी में जीडीए वीसी और नगरायुक्त के बीच योजना के हस्तांतरण की औपचारिक प्रक्रिया पूरी हो गई। अब इंदिरापुरम योजना का रखरखाव देखना नगर निगम की जिम्मेदारी होगी, इसलिए वह इंदिरापुरम योजना से संपत्ति कर वसूलेगा।

1200 एकड़ में फैली है इंदिरापुरम योजना
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने इंदिरापुरम योजना 1200 एकड़ भूमि पर विकसित की है। योजना में करीब  4.50 लाख की आबादी रहती है। इस योजना पर जीडीए ने 1987 में काम शुरू किया था। सबसे पहले 1994 में अहिंसा खंड बसा था, लेकिन योजना में बूम करीब 2002 में उस समय आया था जब तत्कालीन जीडीए अध्यक्ष/ उपाध्यक्ष डीपी सिंह ने प्राइवेट पार्टनर की रूप में ‌शिप्रा सन सिटी का निवेश कराया। उसके बाद योजना इतनी हॉट हुई कि गाजियाबाद को ही हॉट सिटी का दर्जा दिला दिया। 2009 में योजना को पूर्ण विकसित घोषित करने बाद 2011 में जीडीए ने इस योजना को नगर ‌निगम को हस्तातरित करने की कोशिश शुरू की थी।

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