गाजियाबाद प्राधिकरण ने 8 महीनों में ढूंढी 300 करोड़ की लापता भूमि, जानिए कैसे हुई थी जमीन गुम

बड़ी खबर : गाजियाबाद प्राधिकरण ने 8 महीनों में ढूंढी 300 करोड़ की लापता भूमि, जानिए कैसे हुई थी जमीन गुम

गाजियाबाद प्राधिकरण ने 8 महीनों में ढूंढी 300 करोड़ की लापता भूमि, जानिए कैसे हुई थी जमीन गुम

Google Image | गाजियाबाद प्राधिकरण

Ghaziabad News : जीडीए का लैंड बैंक काफी मजबूत हो गया है। 7-8 माह की मशक्कत के बाद एक लाख वर्ग मीटर से अधिक भूमि को खोज लिया गया है। 3 अरब से ज्यादा की यह भूमि अब महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन में काम आ सकेगी। इस भूमि पर आवासीय और व्यावसायिक योजनाएं साकार की जा सकेंगी। इस भूमि का जनहित में उपयोग करने के लिए विचार-विमर्श चल रहा है। 

इस कारण गुम हुई थी जमीन
दरअसल, जीडीए ने कई दशक पहले विभिन्न योजनाओं के लिए भूमि का अधिग्रहण किया था। अधिग्रहण प्रक्रिया के बाद काफी भूमि पर जीडीए कब्जा नहीं ले पाया था। कारण यह था कि इस भूमि को चिन्हित नहीं किया जा सका था। जीडीए उपाध्यक्ष कृष्णा करूणेश के निर्देश पर इस सिलसिले में कवायद शुरू की गई थी। 

इन इलाकों में मिली भूमि
जीडीए के तहसीलदार और प्रवर्तन जोन-3 के प्रभारी दुर्गेश सिंह के प्रयास के बाद 7-8 माह में एक लाख वर्ग मीटर से ज्यादा यह भूमि इंदिरापुरम, वैशाली, भोवापुर, राजनगर आदि कॉलोनियों में ढूंढ ली गई है। इस भूमि की अनुमानित लागत 300 करोड़ रुपए से ज्यादा आंकी गई है। जीडीए के पास इन जमीनों का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं था, मगर फाइलों को खंगालने और जमीनों के खसरा-खतौनियों के मिलान करने के बाद जमीनोंं को खोज निकाला गया। जीडीए अब इन जमीनों पर कोई भी आवासीय एवं अन्य योजनाएं ला सकता हैं।

भौतिक रूप से नहीं मिला था कब्जा
जीडीए की वर्तमान में शहर में 19 कॉलोनियां है, इनमें इंदिरापुरम के बाद सबसे बड़ी विकसित होने वाली मधुबन-बापूधाम कॉलोनी है। वैशाली और इंदिरापुरम के बाद कौशांबी, भोवापुर, राजनगर आदि कॉलोनियों के लिए अधिगृहीत की गई जमीनों में इन कॉलोनियों में जमीन अधिग्रहण में शामिल थी। मगर वह कब्जा लेने के दौरान छूट गई। इन जमीनों का मुआवजा भी जीडीए द्वारा सालों पहले बांटा जा चुका है। मगर भौतिक रूप से इन जमीनों पर अभी तक भी कब्जा नहीं लिया जा सका है। 

300 करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीन
जीडीए टीमों द्वारा पूर्व में करोड़ों रुपए की जमीनों को कब्जामुक्त कराया गया था। ऐसे में अब इन कॉलोनियों में 300 करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीनों को ढूंढने के बाद कोई भी योजना लाई जा सकती है। जीडीए उपाध्यक्ष कृष्णा करूणेश का कहना है कि जमीन का पूरा लैंड बैंक बनाने के लिए जमीनों की कॉलोनीवार तलाश कराई गई तो तहसीलदार के प्रयास से यह जमीन मिल सकी। इन जमीनों पर योजनाएं लाने की प्लानिंग की जाएगी। 

1 लाख वर्गमीटर से अधिक भूमि
बेशकीमती यह जमीन जीडीए के अधिग्रहण में शामिल होने के बाद भी इन पर कब्जा नहीं लिया जा सका। वैशाली, इंदिरापुरम, राजनगर, कौशांबी, भोवापुर और चिकंबरपुर में योजनाओं के लिए अधिगृहीत की गई जमीनों से इन कॉलोनियों में जमीन छूट गई थी। खास बात यह है कि इन जमीनों का पूर्व में मुआवजा भी दिया जा चुका है मगर जीडीए रिकॉर्ड में इन जमीनों का पता नहीं लग पा रहा था। पिछले 7 और 8 माह में अथक प्रयास से 1 लाख वर्गमीटर से अधिक यह 300 करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीनों को ढूंंढ निकाला गया। जीडीए उपाध्यक्ष के निर्देश पर अधिग्रहण में छूटी जमीनों को तलाशने का लगातार प्रयास किया जा रहा हैं। जीडीए इन करोड़ों रुपए की जमीनों पर कोई भी योजना ला सकेगा।

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