मौत के मलबे से जिदंगी की जंग जीत कर लौटा अंश, बताई आपबीती, आपकी आंखे भी नम हो जाएंगी

गाजियाबाद श्मसान घाट हादसा : मौत के मलबे से जिदंगी की जंग जीत कर लौटा अंश, बताई आपबीती, आपकी आंखे भी नम हो जाएंगी

मौत के मलबे से जिदंगी की जंग जीत कर लौटा अंश, बताई आपबीती, आपकी आंखे भी नम हो जाएंगी

Tricity Today | गाजियाबाद श्मसान घाट हादसा

मौत के मलबे से जिंदगी की जंग जीतने वाले अंश की कहानी आंखों को नम कर देती है। अंश आर्य ने सिर्फ 14 साल की उम्र में मौत को इतने करीब से देखा है, कि शायद वह इसे ताउम्र न भूल सके। मुरादनगर श्मशान घाट में हुए हादसे में अंश भी वहां मौजूद था। जब श्मशान घाट की कमजोर दीवारें और मौत की छत गिरी तो अंश भी उसके नीचे दब गया। पर उसने हिम्मत नहीं हारी। छत गिरने के तुरंत बाद उसने अपने चचेरे भाई को कॉल किया। अंश ने अपने भाई से कहा, ‘भैया जल्दी आ जाओ। मुझे बचा लो, श्मशान घाट की छत गिर गई है। मैं अंदर दबा हुआ हूं। सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही है।‘ इसके तुरंत बाद उसके परिजन श्मशान घाट पहुंच गए। तकरीबन 35 मिनट की मुश्किल लड़ाई के बाद अंश को बाहर निकाला जा सका। उसके भाई के मोबाइल में उन दोनों की कॉल रिकॉर्डिंग अब भी मौजूद है।

बताते चलें कि गत रविवार को गाजियाबाद जिले के मुरादनगर में एक श्मशान घाट की बेदम दीवारें और उन पर टिकी छत भरभरा कर गिर गई थी। इस हादसे में 25 लोगों की मौत हो गई। दर्जनों घायल हैं और उनका इलाज चल रहा है। रविवार को अंश अपने पड़ोसी जयराम के अंतिम संस्कार में शामिल होने श्मशान घाट गया था। अंश के पिता यूपी पुलिस में दारोगा हैं और फिलहाल बदायूं में तैनात हैं।  अंश उस खौफनाक मंजर को याद कर अब भी सिहर उठता है। 

उसने बताया कि, ‘जयराम के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी हो गई थी। हम लोग घर वापस आने की तैयारी कर रहे थे। मृतक जयराम के परिजन श्मशान घाट के गलियारे के बाहर हैंडपंप पर साफ-सफाई कर रहे थे। हल्की फुल्की बारिश हो रही थी। इसलिए सब लोग गलियारे में जमा हो गए। बारिश की बूंदे छत से नीचे आ रही थीं। इसी दौरान खूब जोर से बादल गरजने की आवाज आई। हमारे ऊपर की छत हिलने लगी। जो लोग गलियारे में किनारे की तरफ खड़े थे, वह भाग कर बाहर निकल गए। पर अंश समेत ज्यादातर लोग गलियारे के बीच में थे। इससे पहले की लोग कुछ समझ पाते, छत भरभरा कर उनके ऊपर गिर गई।‘

अंश ने बताया कि, ‘वह एक बाइक के पास खड़ा था। जब छत गिरी तो उसका ज्यादा हिस्सा बाइक पर गिरा। इस वजह से अंश को थोड़ी जगह मिल गई। उसने तुरंत अपना मोबाइल निकालकर अपने भाई अभिषेक को कॉल किया और हादसे की जानकारी दी। पर अंश ने रेस्क्यू के पहुंचने का इंतजार नहीं किया। वह धीरे-धीरे खिसक कर करीब पांच फीट बाहर की तरफ पहुंचा। वहां से उसे बाहर की दुनिया धुंधली सी दिखाई दी। अंश जोर-जोर से चिल्लाने लगा। तकरीबन 35 मिनट की मशक्कत के बाद उसे मलबे से बाहर निकाला जा सका। अंश को रीढ की हड्डी में चोट आई है। हालांकि प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उसे घर भेज दिया है। पर डॉक्टर एमआरआई कर अंश के घावों की सही हालत का पता लगाएंगे।

जिंदगी के लिए करीब 35 मिनट के खौफनाक संघर्ष के दौरान अंश ने मौत को बिलकुल करीब से महसूस किया। इस दौरान उसने दूसरे लोगों को भी मौत से लड़ते देखा। उसने बताया कि उसके बगल में एक इंसान बिल्कुल लहूलुहान हालत में पड़े थे। उस व्यक्ति के मुंह से खून रिस रहा था। अंश ने उनसे पूछा कि क्या वह ठीक हैं, तो उन्होंने सिर्फ हां कर जवाब दिया। वह व्यक्ति कुछ बोल नहीं पा रहे थे। अंश ने बताया कि वह हिलडुल भी नहीं पा रहे थे। अंश उस दर्दनाक मंजर को याद कर अब भी सिहर उठता है।

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