गाजियाबाद स्वास्थ्य विभाग की गाड़ी ने सिपाही को मारी टक्कर, मौत

दर्दनाक : गाजियाबाद स्वास्थ्य विभाग की गाड़ी ने सिपाही को मारी टक्कर, मौत

गाजियाबाद स्वास्थ्य विभाग की गाड़ी ने सिपाही को मारी टक्कर, मौत

Google Image | Symbolic Photo

गाजियाबाद नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के एक वाहन ने इंदिरापुरम थाने में तैनात एक सिपाही की जान ले ली। ये हादसा वसुंधरा के बुद चैक पर सुबह करीब आठ बजे उस वक्त हुआ जब सिपाही टीम बाइक 112 की बाइक संख्या 2156 से डयूटी पूरी करके वापस लौट रहा था। पुलिस ने निगम के वाहन को अपने कब्जे में ले लिया है। देखा जाए तो पिछले डेढ साल के भीतर निगम के स्वास्थ्य विभाग क वाहनों से आधा दर्जन से अधिक हादसे हो चुके है। बताते है कि जिस वाहन से ये हादसा हुआ उसे सीएलसी के अंतर्गत कांटेक्ट पर रखा गया, चालक चला रहा था। बताते है कि निगम के स्वास्थ्य विभाग में सीएलसी के माध्यम से कांटेक्ट पर चालक रखे जाने का खेल चल रहा है। कांटेक्ट पर चालक रखे जाने के दौरान उसक अनुभव को नहीं देखा जाता है। केवल पैसे की थैली के वजन को देखा जाता है।

मूल रूप से ग्राम बैना थाना टप्पल जिला अलीगढ़ निवासी सिपाही सुनील कुमार की इन दिनों पीआरवी 2156 पर चालक के रूप में तैनाती थी। शुक्रवार को उनकी दिन में ड्यूटी थी। वह बाइक से ड्यूटी के लिए इंदिरापुरम थाने आ रहे थे। सुबह करीब आठ बजे रास्ते में बुद्धचौक वसुंधरा पर वह नगर निगम के ट्रक की चपेट में आ गए। सूचना पर पहुंची पुलिस आनन-फानन उन्हें पास के निजी अस्पताल में ले गई। डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इंदिरापुरम थाना प्रभारी निरीक्षक संजय पांडेय ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिाए भेज दिया गया है। ट्रक को पकड़ लिया गया है। चालक फरार है। बताया जा रहा है कि जिस वाहन की चपेट में सिपाही आया उसे सीएलसी के माध्यम से कांटेक्ट पर रखे गए सचिन के द्वारा चलाया जा रहा था। सचिन का पिता वसुधंरा जोन में सफाई नायक है।

बता दे कि नगर निगम के 80 फीसदी वाहनों के स्टेयरिंग कांटेक्ट के चालकों के हाथों में है। ये मुददा कई बार उठ चुका है कि कांटेक्ट पर सीएलसी के माध्यम से जिन चालकों को रखा जाता है,उनके अनुभव एवं सर्टिफिकेट की जांच तक नहीं करायी जाती है। वाहन चालक संघ भी कई बार कांटेक्ट पर रखे गए चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस की जांच कराए जाने पर जोर दे चुका है। ये मुददा कई बार उठ चुका है कि कांटेक्ट पर चालक रखे जाने के नाम पर 3 से 5 लाख रूपए की वसूली का खुला खेल चल रहा है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा मिथलेश का कहना था कि पूरे मामले को लेकर अधीनस्थ अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही ये स्पष्ट होगा कि वाहन को वहीं चालक चला रहा था।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.