Tricity Today | पार्षद प्रत्याशी को पुलिस ने किया गिरफ्तार
Ghaziabad News : जिला बदर अपराधी मुस्तकीम चौधरी आम आदमी पार्टी से वार्ड-63 से पार्षद का चुनाव लड़ रहा था। इस बात का खुलासा तब हुआ, जब उसके कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। हरकत में आई पुलिस ने शनिवार रात में प्रत्याशी को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी एक हफ्ते पहले ही जिला बदर घोषित हुआ था, जिसके तहत उसको 6 महीने तक जिले की सीमा में नहीं दिखना चाहिए था। इस कानून को तोड़ने के आरोप में उसकी गिरफ्तारी हुई है।
अब एक नया मुकदमा दर्ज होगा
साहिबाबाद एसीपी भास्कर वर्मा ने बताया कि शनिवार को एक प्रत्याशी द्वारा आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन करने के संबंध में सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ। पुलिस ने तुरंत मुकदमा दर्ज किया। प्रत्याशी की पहचान मुस्तकीम निवासी गांव पसोंडा थाना टीला मोड़ के रूप में हुई। जांच में पता चला कि यह व्यक्ति जिला बदर अपराधी भी है। त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मुस्तकीम को गिरफ्तार कर लिया है। व्यक्ति गुंडा अधिनियमों का उल्लंघन कर रहा है। उसके विरुद्ध एक नया मुकदमा दर्ज करके आगे की कार्रवाई की जा रही है।
22 अप्रैल पुलिस ने दी थी जिला बदर की जानकारी
पुलिस ने 22 अप्रैल को एक प्रेस नोट मीडिया के वॉट्सएप ग्रुप में डाला था। इस प्रेस नोट में उन 16 लोगों के नाम थे, जिन्हें अदालत ने 18 और 19 अप्रैल को छह माह के लिए जिला बदर घोषित किया है। इस सूची में मुस्तकीम चौधरी का नाम तीसरे नंबर पर है। पुलिस ने प्रेस नोट में ये भी लिखा- उक्त गुंडों का जनता में इतना भय व्याप्त है कि जनता का कोई भी व्यक्ति इनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने का साहस नहीं जुटा पाता है। इसके जनपद गाजियाबाद की सीमाओं से बहिष्कान (जिला बदर) के बाद ही भयमुक्त, अपराधमुक्त एवं शांतिपूर्ण माहौल बन सकेगा।
नामांकन रद्द हो सकता है
टीला मोड़ थाना प्रभारी चंद्रकांत पांडेय ने बताया कि मुस्तकीम चौधरी इस इलाके से पार्षद का चुनाव लड़ रहा है। वो आम आदमी पार्टी का प्रत्याशी है। नियम के अनुसार मुस्तकीम को छह महीने तक जिले की सीमा के अंदर कहीं भी दिखाई नहीं देना चाहिए। उसने गुंडा अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। थाना प्रभारी ने बताया कि पुलिस अब ये पता करेगी कि मुस्तकीम ने नामांकन पत्र कब जमा किया है। अगर नामांकन पत्र जिला बदर घोषित होने के बाद जमा हुआ है तो ये देखा जाएगा कि उसने इस मुकदमे की जानकारी उसमें दर्ज की है या नहीं। अगर इस मुकदमे का ब्योरा शपथ पत्र में दर्ज नहीं मिला तो जानकारी छिपाने के कारण नामांकन पत्र भी रद्द हो सकता है।