गाजियाबाद कहलाएगा पॉन्ड सिटी, इस साल पूरा होगा 45 तालाबों का निर्माण

अच्छी खबर : गाजियाबाद कहलाएगा पॉन्ड सिटी, इस साल पूरा होगा 45 तालाबों का निर्माण

गाजियाबाद कहलाएगा पॉन्ड सिटी, इस साल पूरा होगा 45 तालाबों का निर्माण

Tricity Today | Ghaziabad

गाजियाबाद : आने वाले समय में गाजियाबाद (Ghaziabad) पॉन्ड सिटी कहलाएगा। शहर के विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण को लेकर गाजियाबाद नगर निगम ने पिछले वर्ष जो काम शुरू किया था, उसका असर अब दिखाई देने लगा है। नये तालाबों का निर्माण और पुराने तालाबों के जीर्णोद्धार को नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने प्राथमिकता में शामिल किया था। उसका परिणाम है कि स्वतंत्रता दिवस से पहले शहरवासियों को 11 तालाबों का तोहफा मिलेगा। 

मानसून में हुए बारिश के पानी से कई तालाब भर भी गये हैं। नगर निगम की योजना है कि साल के अंत तक 45 तालाबों के निर्माण और सौंदर्यीकरण का काम पूरा कर लिया जाये। तालाबों का सौदर्यीकरण इस तरह से किया जा रहा है कि भविष्य में सभी तालाब पिकनिक स्पॉट बने। नगर निगम की इस कवायद ने पर्यावरण प्रेमियों को भी खुश होने का अवसर दिया है।

गिरता भू-जल स्तर गाजियाबाद की बड़ी समस्या है। एक रिकॉर्ड के मुताबिक जिले में हर साल ग्राउंड वॉटर औसतन 50-60 सेंटीमीटर नीचे जा रहा है। बीते चार साल में साहिबाबाद गांव क्षेत्र में पानी का स्तर 9.4 मीटर और अर्थला क्षेत्र में 9.22 मीटर नीचे खिसक गया है। नूरनगर, राजनगर एक्सटेंशन क्षेत्र में भी भूजल स्तर 48.31 मीटर नीचे पहुंचने की बात कही जा रही है। गिरते भू-जल स्तर और वाटर रीचार्ज को लेकर पूर्व में एनजीटी द्वारा भी कई आदेश दिये गये हैं। लेकिन उन आदेशों का ठीक से पालन नहीं हुआ और यदि हुआ भी तो धरातल पर उसका प्रभावी असर नहीं रहा। 

गाजियाबाद के म्युनिसिपल कमिश्नर का चार्ज लेने के बाद आईएएस महेंद्र सिंह तंवर ने इको फ्रेंडली डेवलपमेंट को अपने एजेंडे में शामिल करते हुए काम शुरू किया। शहर के गिरते भू-जल स्तर को लेकर विशेषज्ञों के साथ चर्चा की और जल संरक्षण को लेकर योजना तैयार की। इसके बाद तालाबों के निर्माण और उनके सौंदर्यीकरण को लेकर काम शुरू किया। नगरायुक्त ने नगर निगम की सीमा क्षेत्र में स्थित समस्त तालाबों का ब्यौरा मंगाया और खुद मौके पर जाकर उन तालाबों की स्थिति देखी। कहीं तालाब सिर्फ कागजों में मौजूद थे तो कहीं तालाब की जगह कूड़े का ढ़ेर लगा हुआ था। कुछ स्थानों पर तालाब मौजूद था लेकिन वह जलकुंभी और गाद से भरा हुआ था। 

म्युनिसिपल कमिश्नर ने लोगों को तालाब जीर्णोद्धार कार्यक्रम से जोड़ा। स्वयं तालाब में जाकर कीचर, गाद और जलकुंभी को साफ किया। इससे लोगों में जागरूकता के साथ-साथ उत्साह का संचार हुआ। गंदे पानी को साफ करने के लिए एक्सपर्ट की मदद ली और अब मेहनत रंग लाती हुई दिखाई दे रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस योजना के क्रियान्यवन में नगर निगम का पैसा भी खर्च नहीं हुआ। म्युनिसिपल कमिश्नर ने कॉरपोरट के साथ मिलकर सीएसआर फंड के तहत तालाबों का जीर्णोद्धार कराया है।

स्वतंत्रता दिवस पर मिलेगा इन तालाबों का तोहफा
नगर निगम साल के अंत तक शहर में 45 तालाबों का निर्माण और सौंदर्यीकरण का काम पूरा कर लेगा। लेकिन फिलहाल स्वतंत्रता दिवस पर शहर वसियों को 11 तालाबों का तोहफा देगा। इसमें मोरटा शमशान, मकनपुर, रईसपुर-1, रईसपुर-2, रईसपुर-3, रईसपुर टैंक, सदरपुर स्मॉल, नूर नगर, दुहाई और बयाना के तालाब शामिल हैं।

बीच में बनाया आईलैंड
तालाबों का सौदर्यीकरण प्राकृतिक तरीके से किया जा रहा है। तालाब के बीच में एक छोटा आईलैंड बनाया गया है। इस आईलैंड पर पेड़ पौधे और घास लगाये गये हैं। एक दो वर्ष बाद जब पेड़ बड़े हो जाएंगे और तालाब पूरी तरह से पानी से भर जाएगा तो दृश्य बेहद मनोहारी होगा। यह पक्षियों एवं जल जीवों के लिए नैचुरल हैबीटेट (प्राकृतिक आवास) बनेगा। तालाब के चारों ओर पेड़ पौधों के साथ-साथ बेंचे भी लगाई जा रही है।

निगम द्वारा बनाये जा रहे तालाब से होगा फायदा
जल संरक्षण से जुड़े लोग और पर्यावरण विशेषज्ञ बताते हैं कि ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाने के लिए तालाब सबसे कारगर उपाय है। रिपोर्ट बताते हैं कि जिन क्षेत्रों में तालाब होता है वहां का ग्राउंड वाटर लेवल अच्छा होता है। ऐसे में नगर निगम द्वारा शहर में जो 45 तालाब बनाये जाएंगे वह ना सिर्फ ग्राउंड वाटर लेवल को दुरूस्त करेंगे बल्कि जरूरत पडऩे पर तालाबों के पानी का उपयोग कर भू-जल दोहन को भी रोकने में मदद मिलेगी।

कोरोना की वजह से काम प्रभावित
म्युनिसिपल कमिश्नर महेंद्र सिंह तंवर की योजना है कि गाजियाबाद को ताल तलैयों का शहर बनाया जाये। उन्होंने योजना बनाई थी मानसून की बारिश होने से पहले अधिक से अधिक तालाबों का निर्माण पूरा कर लिया जाये। लेकिन कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने काम को प्रभावित किया। म्युनिसिपल कमिश्नर का कहना है कि साल के अंत तक सभी तालाबों का काम पूरा कर लिया जाएगा और उसके बाद झीलों के सौंदर्यीकरण और विकास को लेकर योजना बनाई जाएगी।

चरणबद्ध तरीके से हो रहा कार्य
तालाबों का निर्माण और सौंदर्यीकरण चरणबद्ध तरीके से कराया जा रहा है। जहां पर पुराने तालाब मौजूद है लेकिन उनकी स्थिति खराब थी वहां प्रथम चरण में जलकुंभी की सफाई, द्वितीय चरण में जल साफ एवं तीसरे चरण में घास, पेड़-पौधे एवं सौंदर्यीकरण का काम किया जा रहा है। इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि तालाबों में गंदा पानी ना आये। यदि गांव के नालों का पानी तालाब में आ रहा है तो वह फिल्टर होकर तालाब में पहुंचे इस तरह की व्यवस्था की गई है। जहां पर नये तालाब खुदवाये जा रहे हैं वहां पर पहले चरण में मिट्टी की खुदाई, दूसरे चरण में बारिश एवं अन्य प्राकृतिक स्रोतों से तालाब में जल संचयन और तीसरे चरण में सौंदर्यीकरण का काम कराया जाएगा।

पेड़ पौधे और पानी जीवन के प्रमुख स्रोत हैं। ग्रीन गाजियाबाद के तहत जहां शहर में अधिक से अधिक पौधे लगाये जा रहे हैं और ग्रीनरी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है वहीं, जल संरक्षण के लिए तालाबों का निर्माण कराया जा रहा है। पहले चरण में 11 तालाबों के निर्माण और सौंदर्यीकरण का काम पूरा हो गया है। कोरोना संकट की वजह से तालाब निर्माण का काम भी प्रभावित हुआ। लेकिन साल के अंत तक 45 तालाबों का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। तालाबों के सौंदर्यीकरण के लिए आईलैंड और वाटिकाएं बनाई जा रही हे जिससे कि वह प्राकृतिक रूप से सुंदर दिखे।
- महेंद्र सिंह तंवर, म्युनिसिपल कमिश्नर

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