Ghaziabad News : सिटी फारेस्ट के निर्माण के दौरान उसमें शामिल की गई किसान की प्राइवेट जमीन को लेकर विवाद और बढ़ गया है। शासन ने नगर निगम से रिपोर्ट मांगी है कि जब सिटी फारेस्ट विकसित किया जा रहा था तब किसान से उसकी जमीन को इसमें शामिल करने के लिए सहमति ली गई थी या नहीं, अब नगर निगम को इसका जवाब भेजना है।
2012 में सिटी फारेस्ट
बता दें कि वर्ष 2012 में सिटी फारेस्ट को नगर निगम की जमीन पर विकसित किया गया था। उस समय जीडीए के तत्कालीन वीसी संतोष कुमार यादव की कोशिश से यह सिटी फारेस्ट विकसित किया गया था। इस सिटी फारेस्ट के बीच में करीब 14 बीघा जमीन प्राइवेट भी शामिल है जिसे लेकर अब विवाद और बढ़ गया है। इस मामले में केस हाईकोर्ट में चल रहा है। किसान ने इस प्रकरण में नगर निगम, और यूपी सरकार को भी प्रार्थी बनाया हुआ है। अब इस प्रकरण को लेकर परेशानी यह है कि किसान कब्जा किए जाने के दिन से लेकर अब तक अपनी फसल का मुआवजा भी नगर निगम से मांग कर रहा है जो कई करोड़ रुपये में है। इसी को लेकर अब नगर निगम प्रशासन की टेंशन बढ़ रही है।
हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
सिटी फारेस्ट में प्राइवेट जमीन को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद गत दिनों प्रदेश के नगर विकास विभाग के विशेष सचिव ने भी सिटी फारेस्ट का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने जीडीए और नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी। अब यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है जिसे लेकर अब शासन ने निगम को पत्र लिखा है। पत्र में निगम से पूछा है कि क्या सिटी फारेस्ट में प्राइवेट किसान की जमीन शामिल करने के लिए उससे लिखित में सहमति ली गई थी या नहीं।