सिगरेट पर लगी लार से हुई हत्यारे की पहचान, 7 हत्याओं को 9 साल में मिला इंसाफ

गाजियाबाद नरसंहार कांड में सजा-ए-मौत : सिगरेट पर लगी लार से हुई हत्यारे की पहचान, 7 हत्याओं को 9 साल में मिला इंसाफ

सिगरेट पर लगी लार से हुई हत्यारे की पहचान, 7 हत्याओं को 9 साल में मिला इंसाफ

Tricity Today | गिरफ्तार आरोपी

Ghaziabad : खून की होली खेलने वाले हत्यारोपी को करीब 9 साल बाद गाजियाबाद की अदालत ने अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कारोबारी परिवार के 7 लोगों की नृशंस हत्या में एडीजे-19 अदालत ने दोषी पूर्व ड्राइवर राहुल वर्मा को फांसी की सजा सुनाई है। पूर्व ड्राइवर को शक था कि घर में 25-30 लाख रुपए रखे हुए हैं। इन्हीं रुपयों को लूटने के लिए वह घर में घुसा और जाग होने पर पूरे परिवार को एक-एक कर मार डाला था। राहुल वर्मा को दोषी साबित करने में फोरेंसिक रिपोर्ट बेहद अहम बनी। घर से मिले खून के सैंपल और राहुल के गमछे-जूते पर मिले खून के सैंपल मैच हो गए। घर में मौजूद फुट प्रिंट का राहुल के जूते से मिलान हो गया।

वो 21 मई 2013 की काली रात
घटनास्थल से मिले सिगरेट के टुकड़े पर लगी लार भी राहुल की पाई गई। राहुल वर्मा का दोस्त प्रशांत श्रीवास्तव खुद इस केस में सरकारी गवाह बना। सामूहिक नरसंहार से पहले राहुल ने प्रशांत से कहा था कि रात (21 मई 2013) को लूट करेंगे, जिसमें हमें 25-30 लाख रुपए मिल सकते हैं, लेकिन ऐन वक्त पर प्रशांत पलट गया और किसी काम से प्रयागराज जाने की बात कहकर उसने राहुल का साथ नहीं दिया। राहुल को सजा दिलाने में प्रशांत के इस बयान की अहम भूमिका रही। राहुल वर्मा ने सारे कत्ल एक ही चाकू से किए। सातों के शरीर पर घाव का साइज एक जैसा था। यह चाकू डासना गेट बाजार में एक दुकान से 80 रुपए में खरीदा गया था। पुलिस ने इस चाकू विक्रेता के भी बयान दर्ज किए।

दामाद सचिन मित्तल ने करवाया मुकदमा दर्ज
घंटाघर कोतवाली क्षेत्र की नई बस्ती में खल चूरी एवं प्रॉपर्टी कारोबारी सतीश चंद गोयल का परिवार रहता था। 21 मई 2013 की रात सतीश चंद गोयल, पत्नी मंजू गोयल, पुत्र सचिन गोयल, पुत्रवधु रेखा, पौत्र अमन, हनी और पौत्री मेघा की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। सामूहिक हत्याकांड की जानकारी सबसे पहले उस कम्पाउंडर को हुई, जो सतीश चंद गोयल को किडनी बीमारी के चलते इंजेक्शन लगाने के लिए 22 मई की सुबह घर आया था। सतीश चंद गोयल के दामाद सचिन मित्तल ने उनके पूर्व ड्राइवर राहुल वर्मा के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने जब राहुल को गिरफ्तार किया तो पूछताछ में खुलासा हुआ कि उस रात वह लूट के इरादे से छत के रास्ते घर में घुसा था। परिवार के सदस्यों के जाग जाने पर पहचाने जाने के डर से उसने सभी की हत्या कर दी थी।

ऐसे किया सामूहिक नरसंहार
पूछताछ में राहुल वर्मा ने यह भी बताया कि 21 मई 2013 की वारदात से 15 दिन पहले कारोबारी सतीश चंद गोयल के घर से करीब साढ़े चार लाख रुपए चोरी हुए थे। सतीश इस बात का शक अपने ड्राइवर राहुल पर करते थे और इसी वजह से उन्होंने उसको नौकरी से हटा दिया था। राहुल को इस बात की जानकारी थी कि सतीश चंद गोयल की किडनी ट्रांसप्लांट होनी है और इसके लिए घर में 25-30 लाख रुपए रखे हुए हैं। इन्हीं रुपयों को लूटने के लिए वह 21 मई की रात घर में घुसा था, जब यह सामूहिक नरसंहार किया गया।

40 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में पेश की
जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश चंद्र शर्मा ने बताया कि अगस्त 2013 में इस मामले में पुलिस ने करीब 40 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी। नवंबर 2013 में यह केस कोर्ट में ट्रायल पर आ गया। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने कुल 28 गवाह पेश किए। सारी बहस पूरी होने के बाद एडीजे-19 कोर्ट ने 30 जुलाई 2022 को राहुल वर्मा को दोषी करार दिया था। एक अगस्त सोमवार की दोपहर कोर्ट ने इस मुकदमे में अपना फैसला पढना शुरू किया। अदालत ने इस मामले के एकमात्र दोषी राहुल वर्मा को सामूहिक हत्याकांड का दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने राहुल को आईपीसी 302 में फांसी की सजा 50 हजार जुर्माना, आईपीसी 394 में 10 साल सजा, 30 हजार जुर्माना, आईपीसी 411 सजा 3 साल 10 हजार जुर्माना और आर्म्स एक्ट में 3 साल की सजा 10 जुर्माना की सजा सुनाई।

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