Ghaziabad : आज 26 सितंबर को गाजियाबाद में काला दिवस मनाया जा रहा है। आरक्षण विरोधी आंदोलन में छात्र युवराज और संजय कौशिक ने अपनी जान गवां दी थी। दोनों छात्रों की याद में सोमवार को गाजियाबाद के सभी बाजार को बंद रखने का निर्णय लिया गया है। कल ही के दिन छात्र मुल्तानी मल मोदी डिग्री कालेज में एकत्र होंगे और वहां से जुलूस के रूप में गोविंदपुरी पहुंचेंगे। इसके बाद राज चौपले पर अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा जाएगा और छात्र अपना विरोध प्रकट करेंगे।
1990 की यह घटना
यह घटना 26 सितंबर 1990 की है जब आरक्षण विरोधी आंदोलन में मुल्तानी मल मोदी डिग्री कालेज के छात्र युवराज सिंह और संजय कौशिक आंदोलन का हिस्सा बने थे। उसी दौरान पुलिस की गोली लगने से उनकी मौत हो गई थी। उसी दिन से मुल्तानी मल मोदी डिग्री कालेज के छात्र 26 सितंबर को काला दिवस मनाते आ रहे हैं। आज के दिन गोविंदपुरी से लेकर मोदीनगर का मुख्य बाजार भी बंद रखा जाता है। इसमें वर्तमान, पूर्व छात्रों के अलावा राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोग भी हिस्सा लेते हैं।
छात्रों को बलिदानी का दर्जा दिलाने की कोशिश
मुल्तानी मल मोदी डिग्री कालेज में युवराज सिंह की एक प्रतिमा और गोविंदपुरी में अग्रसेन गेट के निकट छात्र संजय कौशिक की प्रतिमा भी बनवाई गई है। आज के दिन छात्र कालेज में स्थापित युवराज सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर जुलूस की शुरुआत करते हैं। छात्र संजय कौशिक की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए वापस राज चौपले पर पहुंचते हैं और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर अपना विरोध जताते हैं। इतने वर्षो से यह छात्र दोनों छात्रों को बलिदानी का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे हैं।
वह दर्दनाक दिन और आंदोलन
आरक्षण विरोधी आंदोलन के उस भयावह दृश्य के साक्षी सुरेंद्र त्यागी ने बताया कि 1990 में आरक्षण विरोधी आंदोलन तेज था। छात्र मुल्तानी मल मोदी कालेज में एकत्र हुए थे। योजना थी कि थाने पर पहुंचकर अधिकारियों को ज्ञापन देकर अपना विरोध जताया जाएगा, लेकिन पुलिस ने घेर कर छात्रों पर सीधे फायर कर दिया। इसमें छात्र युवराज और संजय कौशिक की जान चली गई। इसके विरोध में मोदीनगर में उबाल आ गया। ट्रेन और वाहनों में आग लगाने के साथ ही लोग सड़कों पर उतर आए। इसकी गूंज देशभर में गई थी। चौतरफा निंदा होने पर मोदीनगर तत्कालीन उप प्रधानमंत्री देवीलाल आए और उन्होंने जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आश्वासन देकर किसी तरह स्थिति को नियंत्रण में कराया था। वह भयावह घटना आज भी भूली नहीं जाती है।