मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे पर अब दौड़ेंगे फर्राटेदार वाहन, घंटो का सफर मिनटों में होगा तय

खुशखबरी : मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे पर अब दौड़ेंगे फर्राटेदार वाहन, घंटो का सफर मिनटों में होगा तय

मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे पर अब दौड़ेंगे फर्राटेदार वाहन, घंटो का सफर मिनटों में होगा तय

Tricity Today | मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे

मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे की 1 अप्रैल से शुरुआत हो गई है। शुक्रवार से एक्सप्रेसवे पर फर्राटा भरना शुरू कर दिया है। दिल्ली से मेरठ तक इस करीब 82 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे पर अब बिना किसी जाम के आप कुल लगभग 45 मिनट में सफर तय कर सकते है। 

मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे पर जगह-जगह पर स्पीड मीटर लगाए गए हैं। जिससे सभी लोग यातायात के नियमों का पालन करते हुए तेज रफ्तार में वाहन ना चलाएं। इस एक्सप्रेसवे पर कार को 100 किमी प्रतिघंटे और मालवाहक वाहनों को 80 किमी प्रतिघंटे अधिकतम की स्पीड से चलने की परमिशन है। दिल्ली से डासना तक यह एक्सप्रेसवे 14 लेन का है, जबकि डासना से मेरठ तक यह 6 लेन का हो जाएगा। इस एक्सप्रेस-वे पर 170 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, जो वाहनों की गति को कैद करेंगे

मेरठ से दिल्ली के बीच बनाए गए एक्सप्रेसवे को गुरूवार को खोल दिया गया। हालांकि अभी दो हिस्सों को ही खोला गया है। यूपी गेट से मेरठ के बीच इस एक्सप्रेसवे पर केवल मेरठ के काशी गांव में 19 बूथों का टोल प्लाजा बनाया गया है। इसके अलावा हर एंट्री और एग्जिट प्वाइंट पर कैमरे की मदद से टोल की वसूली की जाएगी। इस हाइवे पर सराय काले खां, अक्षरधाम, इंदिरापुरम, डूंडाहेड़ा, डासना, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, भोजपुर और परतापुर में चढ़ने और उतरने की सुविधा पब्लिक को मिलेगी। ऐसे में इन सभी प्वाइंटों पर टोल वसूली की सुविधा भी होगी।

दो तरह से होगी टोल टैक्स की वसूली
इस एक्सप्रेसवे पर चलती गाड़ी से टोल टैक्स कट जाएगा। यहां दो तरह से टोल टैक्स की वसूली होगी। हाई सिक्यॉरिटी नंबर प्लेट कैमरे से रीड करके टोल वसूली होगी। फास्टैग से पैसा कट जाएगा। यदि किसी वाहन में एचएसआरपी नहीं है तो उसके नंबर को रीड करने के बाद घर पर चालान भेजा जाएगा। इसके अलावा दूसरे तरीके से टोल टैक्स की वसूली नाके पर फास्टैग के माध्यम से की जाएगी। ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि डीएमई से बाहर निकलने के लिए यूपी गेट, डासना और इंदिरापुरम के अलावा कुछ अन्य स्थानों पर कट हैं। यहां टोल नाका नहीं हैं। यहां से वाहन निकलने से कैमरे के माध्यम से नंबर प्लेट को पढ़कर टोल काट लिया जाएगा। 

ईपीए से बेहतर कनेक्टिविटी
डासना से आगे गांव कल्लूगढ़ी के पास सबसे बड़े गोलचक्कर पर तीन रैंप और दो लूप को बनाकर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (डीएमई) और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (ईपीई) के ट्रैफिक को मैनेज किया गया है। इसमें रैंप तीन को पकड़कर मेरठ से आने वाला ट्रैफिक ईस्टर्न पेरिफेरल से होते हुए पलवल तक चला जाएगा। साथ ही मेरठ से आने वाले किसी ट्रैफिक को कुंडली तक जाना है तो लूप-2 के गोलचक्कर से घूमकर कुंडली की तरफ निकल जाएगा।

ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के ऊपर से गुजरेगा एक्सप्रेसवे
डीएमई से दिल्ली से आने वाला ट्रैफिक कुंडली की तरफ से जाने के लिए रैंप वन से निकल जाएगा। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के पलवल वाली साइड से आने वाला ट्रैफिक लूप-1 वाले गोलचक्कर से घूमकर डीएमई पकड़कर मेरठ की तरफ निकल जाएगा। वहीं अगर कोई कुंडली से आ रहा है तो रैंप-2 को पकड़कर सीधे मेरठ की तरफ निकल जाएगा। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के ऊपर से यहां पर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे गुजरेगा।

जाम और प्रदूषण से मिलेगी राहत
इस एक्सप्रेसवे के चालू होने के बाद दिल्ली-मेरठ हाइवे पर ट्रैफिक लोड काफी कम हो जाएगा। क्योंकि अभी उत्तराखंड जाने वाला ट्रैफिक इसी रास्ते को लेता है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के शुरू होने से उत्तराखंड और मेरठ की तरफ जाने वाला ट्रैफिक यहीं से निकलेगा। मेरठ हाइवे जाम नहीं होगा तो प्रदूषण कम होगा। हाईस्पीड ट्रेन की वजह से अभी यहां पर बहुत अधिक जाम रहता है।

ग्रीन एक्सप्रेसवे पर जाने और आने के लिए होंगे 5-5 लेन
एनएचएआई के अधिकारियों ने बताया कि यूपी गेट से डासना तक आने के बाद जब हम मेरठ वाले ग्रीन एक्सप्रेसवे पर चढ़ेंगे तो हमें पांच लेन मिलेंगे, यदि उतरते हैं तो भी पांच लेन ही मिलेगा। जाम से राहत के लिए टोल बूथ में 100 मीटर की दूरी रखी गई है। पहले दो लेन के दो बूथ बनाए गए हैं। उसके बाद कुछ दूरी पर चलकर तीन लेन के टोल बूथ बनाए गए हैं।

16 महीने देरी से पूरा हुआ प्रॉजेक्ट
दिसंबर 2015 में पीएम नरेंद्र मोदी ने इस प्रॉजेक्ट की आधारशिला रखी थी। तब तीन साल के अंदर यानी नवंबर 2019 तक काम पूरा करने की डेडलाइन तय की गई थी। निजामुद्दीन से यूपी गेट का काम सबसे पहले पूरा हुआ। फिर 30 सितंबर 2019 से डासना से हापुड़ वाले हिस्से का काम पूरा किया गया। लेकिन यूपी गेट से डासना और डासना से मेरठ वाले हिस्से के काम को पूरा करने में 16 महीने का अधिक समय लग गया।

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