निठारी के नर पिशाच को तेरहवीं बार फांसी की सजा, मोनिंदर सिंह पंधेर को अनैतिक देह व्यापार के मामले में 5 वर्ष की कैद

BIG BREAKING : निठारी के नर पिशाच को तेरहवीं बार फांसी की सजा, मोनिंदर सिंह पंधेर को अनैतिक देह व्यापार के मामले में 5 वर्ष की कैद

निठारी के नर पिशाच को तेरहवीं बार फांसी की सजा, मोनिंदर सिंह पंधेर को अनैतिक देह व्यापार के मामले में 5 वर्ष की कैद

Tricity Today | सुरेंद्र कोली

Ghaziabad/Noida News : नोएडा के निठारी कांड से जुड़ी बड़ी खबर है। निठारी के नर पिशाच सुरेंद्र कोली को तेहरवीं बार फांसी की सजा सुनाई गई है। इससे पहले 12 मामलों में सुरेंद्र कोली को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। इस तेरहवें केस में उसे शव को छिपाने और हत्या करने के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है। मोनिंदर सिंह पंधेर को अनैतिक देह व्यापार के मामले में 5 वर्ष की कैद दी  गई है।

नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड में विशेष सीबीआई कोर्ट ने दो दिन पहले 16वें मामले में सुरेंद्र कोली को अपहरण, हत्या और दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिया था। जबकि मोनिंदर सिंह पंधेर को इन आरोपों से बरी करते हुए देह व्यापार के मामले में पहली बार दोषी माना। इस घटना में मोनिंदर पंधेर की मदद करने और रिपोर्ट दर्ज करने में देरी करने की आरोपी तत्कालीन दारोगा सिमरनजीत कौर को बरी कर दिया गया है। निठारी कांड में कुल 17 मामले दर्ज किए गए थे। एक मामले में सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंधेर को बरी कर दिया गया है।इस मामले में आज कोर्ट ने सजा सुनाई है। सुरेंद्र कोली को पहली बार सजा-ए-मौत के लिए फांसी कैलान किया गया है। इससे पहले 12 बार सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। सुरेंद्र कोली के मालिक रहे मोनिंदर सिंह पंढेर को इस मामले में 5 वर्ष का सश्रम कारावास सुनाया गया है।

मोनिंदर सिंह पंढेर छह में से तीन मामलों में बरी हुआ
मोनिंदर सिंह पंढेर पर 6 मामले दर्ज थे। वह तीन मामलों में बरी हो चुका है। जबकि दो मामलों में उसे फांसी की सजा मिली है। चौथे मामले में देह व्यापार का दोषी माना गया है। सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। कोली सिर्फ एक मामले में बरी हुआ है। आपको बता दें कि निठारी कांड के एक मामले में बयान से मुकरने के बाद आरोपित बनाए गए नंदलाल के प्रकरण में अंतिम सुनवाई मंगलवार को हुई। अधिवक्ता खालिद खान ने बताया कि वर्ष 2006 में हुए नोएडा के निठारी कांड के एक मामले में नंदलाल गवाह था। वह बयान से मुकर गया था। जिसके बाद तत्कालीन सीबीआई न्यायाधीश रमा जैन ने मामले का संज्ञान लेकर वर्ष 2007 में उसके खिलाफ  परिवाद दर्ज कराया था। बीते शुक्रवार को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-3 की अदालत में आरोपित की डिस्चार्ज अर्जी खारिज कर दी थी।

इस मुकदमे की सुनवाई 319 दिनों में पूरी हुई
यहां उल्लेखनीय है कि सुरेंद्र कोली उत्तराखंड में अल्मोड़ा जनपद का रहने वाला है, जो पहले दिल्ली में एक ब्रिगेडियर के आवास पर खाना बनाता था। फिर 2003 में मनिंदर सिंह पंढेर के पास नोएडा में सेक्टर-31 की उसकी कोठी नम्बर डी-5 में आ गया था। पंढेर का परिवार पंजाब चला गया तो वे दोनों कोठी में रहने लगे। इसी दौरान कोठी की देखभाल की जिम्मेदारी निभाने वाले सुरेंद्र कोली ने कई बच्चियों को अगवाकर उनसे हैवानियत की थी। निठारी कांड के 12वें मामले की सुनवाई सीबीआई विशेष कोर्ट में 319 दिन तक चलीं। दोनों पक्षों की दलीलों और साक्ष्य को देखकर कोर्ट ने नर पिचाश सुरेंद्र कोली को दोषी करार दिया है। जबकि मोनिंदर सिंह पंधेर सबूत के अभाव में बच गया।

13 फरवरी 2009 को पहली बार फांसी की सजा हुई थी
निठारी कांड को लेकर जेपी शर्मा ने बताया कि सीबीआई ने कुल 17 मामले दर्ज किए थे। सभी मामलों में आरोप पत्र पूर्व में ही पेश किए जा चुके हैं। 13 फरवरी 2009 को सबसे पहले सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंधेर को फांसी की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद 12 मई, 2010 को सुरेंद्र कोली को दूसरे मामले में फांसी की सुनाई गई। जिन 11 मामलों में सजा सुनाई गई है, उनमें सुरेंद्र कोली को सभी मामलों में और मोनिंदर सिंह पंधेर को तीन मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई है। विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि मोनिंदर सिंह पंधेर को भले ही इस मामले में बरी कर दिया गया था, लेकिन पूर्व में उसे तीन मामलों में फांसी की सजा हो चुकी है। उसे फिलहाल जेल में रहना होगा।

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