जीडीए ने इस जर्जर बहुमंजिला बिल्डिंग को खाली करने का दिया नोटिस, निवासी पहुंचे हाईकोर्ट, जानें पूरा मामला

बड़ी खबरः जीडीए ने इस जर्जर बहुमंजिला बिल्डिंग को खाली करने का दिया नोटिस, निवासी पहुंचे हाईकोर्ट, जानें पूरा मामला

जीडीए ने इस जर्जर बहुमंजिला बिल्डिंग को खाली करने का दिया नोटिस, निवासी पहुंचे हाईकोर्ट, जानें पूरा मामला

Google Image | जर्जर हो चुकी बिल्डिंग को लेकर विवाद है

 
 
  • सभी 10 फ्लोर पर बने 79 फ्लैट में मरम्मत बेहद जरूरी है
  • साल 2019 में इस इमारत का थर्ड पार्टी ऑडिट कराया गया
  • 79 फ्लैट्स में अब भी हजारों निवासी जान खतरे में डाल कर रह रहे हैं
 
 
Ghaziabad News: गाजियाबाद डेवलपमेंट अथॉरिटी (GDA) ने शहर की हाईराइज सोसाइटी वाली इलाके की एक बहुमंजिला इमारत को खाली करने का नोटिस भेजा है। इसमें बिल्डिंग की जर्जर हालत का हवाला दिया गया है। नोटिस में कहा गया है कि जब तक इस इमारत की मरम्मत का काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक इसे रहने के लिए अयोग्य माना गया है। इसलिए सभी निवासी वैकल्पिक उपाय देखें और बिल्डिंग की स्थिति ठीक होने तक दूसरे ठिकाने की तलाश करें। हालांकि सोसाइटी की आरडब्ल्यूए ने इस पर आपत्ति जताई है। इस संबंध में एक याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है।

अलकनंदा टॉवर का है मामला
मामला गाजियाबाद के वैशाली क्षेत्र के अलकनंदा टावर से जुड़ा है। साल 2018 में जांच के बाद गाजियाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने अलकनंदा टावर के सभी 10 फ्लोर पर बने 79 फ्लैट में मरम्मत का सुझाव दिया था। जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि यह इमारत इसमें रहने वाले लोगों के लिए असुरक्षित है। साथ ही इसकी वजह से टॉवर के आसपास की दूसरी बिल्डिंग पर भी खतरा मंडरा रहा है। म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने साल 2019 में इस इमारत की थर्ड पार्टी ऑडिट कराया। 

थर्ड पार्टी ऑडिट के बाद मिले सुझाव
इसकी जिम्मेदारी जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को सौंपी गई थी। विभाग ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि इस इमारत की नींव मजबूत है, लेकिन इसके ऊपरी निर्माण को देखते हुए इसे तुरंत मेंटेनेंस की आवश्यकता है। इस रिपोर्ट को जारी हुए डेढ़ साल से ज्यादा वक्त बीत गया है। मगर यहां के 79 फ्लैट्स में अब भी हजारों निवासी जान खतरे में डाल कर रह रहे हैं। दरअसल मुरादनगर में हुए श्मशान घाट हादसे के बाद गाजियाबाद जिला प्रशासन और प्राधिकरण ऐसी सभी चिन्हित इमारतों के मेंटेनेंस और मरम्मत को लेकर कारवाई कर रहा है। 

खर्च को लेकर खींचतान है
इसी सिलसिले में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के चीफ इंजीनियर वीएन सिंह ने 6 मार्च को अलकनंदा टॉवर्स के आरडब्लूए को नोटिस भेजा है। इसमें कहा गया है कि टॉवर की रिपेयरिंग और मेंटेनेंस में 3.5 करोड़ रुपए का खर्चा आएगा। क्योंकि इसमें से कुछ फ्लैट अथॉरिटी के हैं, इसलिए उनकी रिपेयरिंग का खर्चा प्राधिकरण उठाएगा। इस नोटिस में कहा गया है कि निजी फ्लैट ऑनर अपने-अपने फ्लैट्स के मेंटेनेंस और मरम्मत के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं। ऐसे में अगर कोई हादसा होता है, तो इसकी जिम्मेदारी नागरिकों की होगी।

जिम्मेदारी को लेकर है विवाद
अलकनंदा टॉवर्स की आरडब्ल्यूए ने प्राधिकरण के इस नोटिस पर आपत्ति दर्ज कराया है। आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों का कहना है कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण मेंटेनेंस की जिम्मेदारी आरडब्लूए को अब तक नहीं सौंपी है। इससे पहले साल 2011 में प्राधिकरण ने ही मेंटेनेंस करवाया था। हालांकि आरडब्ल्यूए के अधिकारियों की निगरानी में कार्य पूरा हुआ था। आरडब्ल्यूए के पदाधिकारी अमित कुमार ने इस बारे में बात की। उन्होंने कहा कि पूरी बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। तुरंत इसकी मरम्मत होनी चाहिए। लेकिन गाजियाबाद विकास प्राधिकरण हजारों लोगों की जिंदगियों के साथ खेल रहा है। 

आरडब्ल्यूए ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की याचिका
अलकनंदा टॉवर के लोगों ने प्राधिकरण के दावे को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इस पर सुनवाई हो रही है। अगर अथॉरिटी दावा कर रही है कि उन्होंने मेंटेनेंस का जिम्मा आरडब्ल्यूए को सौंप दिया था, तो कुछ वक्त पहले ही सोसाइटी में फॉयर फाइटिंग सिस्टम प्राधिकरण ने क्यों लगवाया। यहां तक कि विकास प्राधिकरण ने हाल ही में इस टॉवर के 23 फ्लैट को बेचने का विज्ञापन भी दिया था। उन्होंने कहा कि विकास प्राधिकरण के दावों की पुष्टि के लिए हमने आरटीआई से जवाब मांगा था। इसमें हमें कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। हमारी आरटीआई के जवाब में हमें एक लेटर मिला है, लेकिन उस पर ऑफिशियल स्टैम्प तक नहीं लगा है। 

आपसी खींचतान में फंसी है हजारों जिंदगियां
आरडब्लूए और जीडीए की आपसी खींचातानी में हजारों लोगों की जान खतरे में है। इस विषय पर प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अलकनंदा टॉवर के निवासियों के पास सिर्फ दो ही विकल्प हैं। या तो वे बिल्डिंग की मरम्मत में आने वाले खर्चे का भुगतान करें। अन्यथा इस इमारत को किसी बिल्डर को सौंपकर नई बिल्डिंग बनाई जाए। इस तरह हर फ्लैट ऑनर को नया फ्लैट मिल जाएगा। बिल्डर को भी कुछ फ्लैट्स मिल जाएंगे। इनके जरिए डेवलपर अपनी लागत और मुनाफा कमा सकता है।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.