Tricity Today | गाजियाबाद में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पैरेंट्स नाराज
Ghaziabad News: कोरोना काल के दौरान प्राइवेट स्कूलों ने बच्चों से पूरी फीस जमा करवाई थी। जिसे पेरेंट्स एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद कोर्ट ने पेरेंट्स एसोसिएशन के हक में फैसला सुनाते हुए कोरोना काल में जमा कराई गई फीस में से 15 प्रतिशत वापस करने या अगली फीस में समायोजित करने का आदेश दिया था। लेकिन, 6 माह बीत जाने के बाद भी प्राइवेट स्कूलों की तरफ से फीस समायोजित नहीं की गई है। इस बात से नाराज गाजियाबाद पैरेंट्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आज गाजियाबाद जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना दिया।
प्राइवेट स्कूल कोर्ट के आदेश की कर रहे अवहेलना
गाज़ियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने आज कोरोना काल की 15 प्रतिशत फीस वापसी को लेकर शिक्षाधिकारियों के लचीले रवैये से आजिज आकर जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर धरना दिया। एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक त्यागी ने बताया कि उन्होंने 7 दिन के अंदर कोरोना काल की 15 प्रतिशत फीस वापस कराने के लिये जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है। न्यायालय ने 6 जनवरी 2023 के अपने आदेश में प्रदेश के अभिभावकों को कोरोना काल में शिक्षा सत्र 2020-21 की 15 प्रतिशत फीस वापसी का आदेश जारी किया गया था, लेकिन आदेश को आये 6 महीने से ज्यादा का समय बीत गया। लेकिन, उसे अब तक अमल में नहीं लाया गया।
प्रशासन का निराशाजनक रवैया
हाईकोर्ट के आदेश के पालन कराने में जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारी का रवैया बेहद ढुलमुल रहा है। इस बाबत जिला प्रशासन और जिला विद्यालय निरीक्षक को फीस वापसी को लेकर 6 महीने के दौरान 4 बार ज्ञापन दिया जा चुका है। उसके बाद भी अभिभावक खाली हाथ हैं। विवेक त्यागी ने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि जिले के शिक्षाधिकारी निजी स्कूलों के चौकीदार बनकर कार्य कर रहे हैं।
पेरेंट्स ने दो वर्षों तक किया संघर्ष
इस आदेश को लाने के लिए अभिभावकों ने कोर्ट में 2 साल से भी ज्यादा समय तक संघर्ष किया जिसके बाद 15 प्रतिशत फीस वापसी का आदेश अभिभावकों के पक्ष में आया गाजियाबाद का जिला प्रशासन और जिला विद्यालय निरीक्षक माननीय न्यायालय के आदेश का पालन कराने में पूरी तरीके से फेल है। केवल मीटिंग के दौरान खाना पूर्ति का दौर जारी है जिसके कारण 6 महीने से भी ज्यादा का समय निकल गया अब समय आ गया है कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ शासन को सख्त कदम उठाना चाहिए एसोसिएशन ने एक बार फिर 15 प्रतिशत फीस वापसी के आदेश को लेकर जिलाधिकारी को अवगत कराया है।
CDO भी दे चुके है स्कूलों पर कार्रवाई का आदेश
25 मई को मुख्य विकास अधिकारी विक्रमादित्य सिंह मलिक ने जिला स्तरीय शुल्क नियामक समिति की बैठक ली। जिसमे जिला विद्यालय निरीक्षक ने कहा कि जिले के 132 विद्यालयों ने न्यायालय के आदेश के बाद 15 प्रतिशत फीस अगले सत्र की फीस में समायोजित कर दी है। साथ ही 44 स्कूलों ने डीआईओएस कार्यालय को कोई सूचना नही दी है। जिस पर मुख्य विकास अधिकारी ने आदेश की अवहेलना करने वाले 44 स्कूलों पर दंडात्मक कार्रवाई करने के स्पष्ट आदेश दिए।
नोएडा में भी जारी है विरोध
नोएडा में आल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष यतेंद्र कसाना का कहना है कि नोएडा के कुछ स्कूलों ने कोर्ट के आदेश का पालन किया है। उसने फीस रिफंड करने या एडजेस्ट करने की जानकारी दे दी है। लेकिन, अधिकतर ने अब तक कोर्ट के आदेश पर ध्यान नहीं दिया है। इस बात की लगातार कोशिश की जा रही है कि पैरेंट्स को कोरोना काल के दौरान जमा की गई फीस का 15 फीसदी रिफंड मिल जाए या वह एडजेस्ट कर लिया जाए। प्रशासन भी इस ओर से उदासीन है। उन्होंने कहा कि वह शीघ्र ही इस मसले पर जिलाधिकारी से मुलाकात करेंगे।
निजी स्कूलों को 4 वर्ष की बैलेंस शीट व प्रॉफिट एंड लॉस को दाखिल करने का आदेश दिया गया।
निजी स्कूलों को टीचर्स व स्टाफ सैलरी का सम्पूर्ण विवरण और कितनी सैलरी कमी की गयी है जमा करने का आदेश दिया गया।
निजी स्कूलों के प्रति दिन परिचालन में हुए खर्चे में कितनी कमी आई है इसका विवरण मांगा गया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा निजी स्कूलों को स्टे केवल शिक्षा सत्र 2020-21 में विद्यालय छोड़ चुके विधार्थियों के रिफंड पर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो विधार्थी स्कूल में पढ़ रहे है उनकी शिक्षा सत्र 2020-21 की 15 प्रतिशत फीस का समायोजन अथवा रिफंड करने पर निजी स्कूलों को कोई स्टे नहीं दिया गया।