Ghaziabad News : गाजियाबाद में कुत्तों की संख्या 50 हजार से अधिक है। कुत्तों की नसबंदी पर भले ही नगर निगम के द्वारा प्रति वर्ष एक बड़ी रकम खर्च की जाती है, लेकिन कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन कुत्ते राह चलते लोगों को शिकार बना रहे है। नगर निगम के सेवानिवृत कर्मचारी को कुत्तों के द्वारा जख्मी कर दिया गया। जिला अस्पताल के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो हर रोज कुत्तों के द्वारा काटे जाने के बाद 300 लोग इलाज के लिए पहुंच रहे है। बता दें कि निजी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचने वाले लोगों की संख्या इससे अलग है।
यह है पूरा मामला
निगम के सेवानिवृत्त कर्मचारी संजीव गोयल विवेकानंद नगर में बेटी के यहां मिलने गए थे। जब वे वहां से वापस लौट रहे थे इस दौरान एक कुत्ते ने उन्हें जख्मी कर दिया। देखा जाए तो दिनों दिन कुत्तों के द्वारा लोगों को जख्मी किए जाने की घटनाएं बढ़ रही है। बीते पांच महीनों में सरकारी अस्पतालों में मरीजों को लगाने वाले एआरवी इंजेक्शन की खपत दोगुना हो गई है। पांच महीने पहले तक सरकारी अस्पतालों में रोजाना 100 से 150 लोगों को एआरवी के टीके लगाए जा रहे थे। फिलहाल यह आंकड़ा 300 की संख्या को पार कर गया है। इसके बावजूद जिले के सरकारी अस्पतालों में अभी तक सीरम की व्यवस्था नहीं है। जिले में एमएमजी, कंबाइंड अस्पताल, पांच सीएचसी और आठ पीएचसी पर एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाती है।
एआरवी की कीमत 500 रुपये
विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले 5 महीनों में सभी केंद्रों पर लगने वाली एआरवी की खपत में दोगुना बढ़ोतरी हुई है। एमएमजी और कंबाइंड अस्पताल में ही रोजाना 230 से ज्यादा लोग एआरवी लगवाने पहुंच रहे हैं। जिले में कुत्ते, बंदर और बिल्लियों के काटने के मामलों में 90 प्रतिशत से ज्यादा कुत्ते काटने के होते हैं। रेबीज की वैक्सीन बाजार में 500 रुपए की है। इसकी वजह से लोग सरकारी अस्पतालों में ही एआरवी लगवाने पहुंचते हैं। हालांकि अस्पतालों में दोपहर एक बजे के बाद एआरवी नहीं लगाई जाती है और मरीजों को टिटनेस का इंजेक्शन लगाकर अगले दिन आकर एआरवी लगवाने को कहा जाता है।