जी-20 सम्मेलन से रोडवेज को हुआ 60 लाख रुपये का घाटा

Ghaziabad News :  जी-20 सम्मेलन से रोडवेज को हुआ 60 लाख रुपये का घाटा

जी-20 सम्मेलन से रोडवेज को हुआ 60 लाख रुपये का घाटा

Google Image | UP Roadways

Ghaziabad News : दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान रोडवेज बसों का संचालन नहीं होने से रोडवेज को करीब 60 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। दिल्ली में 8 से 10 सितंबर तक हुए जी-20 सम्मेलन की वजह से गाजीपुर और लोनी बॉर्डर को बंद कर दिया गया था। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के कौशांबी, लोनी, पुराना बस अड्डा गाजियाबाद, तीन बस डिपो हैं। कौशांबी डिपो से रोडवेज को करीब 254 बसों का संचालन होता है। यहां से रोजाना करीब 25 से 30 हजार यात्री सफर करते थे।

क्या है पूरा मामला
8 सितंबर से दिल्ली में शुरू हुए सम्मेलन के कारण गाजीपुर में लोनी बॉर्डर को बंद कर दिया गया था। रोडवेज को इस सम्मेलन की वजह से पिछले तीन दिन में करीब 60 लाख रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है। रोडवेज के अधिकारियों का कहना है कि रविवार को सम्मेलन की समाप्ति होने के बाद सोमवार से स्थिति सामान्य हुई। रूट डायवर्जन होने की वजह से बसों का संचालन अन्य मार्ग से किया गया। ऐसे में यहां की बसों में रोजाना 7 से 8 हजार यात्रियों ने ही सफर किया। इससे बसों में यात्रियों की कम संख्या की वजह से राजस्व में कमी आई। सामान्य दिनों में रोजाना करीब 35 लाख रुपए का राजस्व आता था। जो प्रतिदिन केवल 25 लाख रुपए ही आया। इस तरह रोडवेज को रोजाना करीब 10 लाख रुपए का नुकसान झेलना पड़ा।

अधिकारियों का दावा
रोडवेज के गाजियाबाद रीजन के क्षेत्रीय प्रबंधक केसरी नंदन चौधरी ने बताया कि दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन की वजह से 3 दिन में रोडवेज को करीब 60 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। जी-20 सम्मेलन के कारण बसों में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या काफी कम रही। उन्होंने बताया कि सोमवार से स्थिति सामान्य हो गई। लोनी डिपो से 50 बसों का संचालन होता है। इससे रोजाना करीब 19 लाख रुपए का राजस्व आता है। पिछले तीन दिन से रोजाना 11 लाख रुपए का नुकसान राजस्व की प्राप्ति में हुआ। यहां पर 3 दिन में 24 लाख रुपए का राजस्व नुकसान हुआ। इसी प्रकार पुराना रोडवेज बस अड्डा गाजियाबाद डिपो से विभिन्न शहरों के लिए 55 बसों का संचालन किया जाता है। इन बसों से सामान्य दिनों में करीब 13 हजार यात्री सफर करते थे। सम्मेलन शुरू होने के बाद से रोजाना करीब 9,500 यात्रियों ने सफर किया इससे प्रतिदिन करीब 2 लाख रुपये राजस्व का नुकसान झेलना पड़ा। 8 लाख के सापेक्ष करीब 6 लाख का राजस्व ही आया। रोडवेज बसों में डिपो से सफर करने वाले एटा, अलीगढ़, कासगंज, इटावा, कानपुर, फर्रुखाबाद, बरेली, मुरादाबाद, लखनऊ, हल्द्वानी, बदायूं, इसके अलावा लोकल क्षेत्र मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, खुर्जा आदि मार्गों के यात्रियों की भी बसों में कमी रही है।

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