Ghaziabad News : सुबह, यह शब्द ही कुछ पॉजीटिव और अच्छा होने का संदेश देता है, लेकिन नाहल गांव के जाकिर और उसकी पत्नी मोहसिना के लिए सुबह के मायने अब ऐसे नहीं रह गए हैं। 24 अगस्त की सुबह इनकी जिंदगी में ऐसी मनहूस बनकर आई कि उस दिन के बाद से जाकिर और मोहसिना को मानों हर सुबह काटने को दौड़ती है, बल्कि यूं कहा जाएं कि 24 अगस्त के बाद ही हर सुबह पहले से ज्यादा कटखनी होती दिख रही है।
रविवार की सुबह झकझोर भी गई
रविवार की सुबह एक बार फिर जाकिर और मोहसिना को झकझोर कर चली गई, जब दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती उसके तीसरे बच्चे जुनैद ने भी जिंदगी से हार मान ली। इससे पहले 26 अगस्त को जाकिर के 12 वर्षीय बेटे फैजान और 28 अगस्त को 15 वर्षीय बेटी नाहिदा भी इसी अस्पताल में जिंदगी की जंग हार गई थी। चार बच्चों में से केवल छोटा जैद बचा है, जो चाची के आंचल में होने के कारण बच गया।
जाकिर पत्नी को लेकर अस्पताल में था
नाहल गांव में जाकिर अपने चार छोटे-छोटे बच्चों को मेहनत मजदूरी कर पाल रहा था। जाकिर पत्नी मोहसिना बीमार पड़ गई। मोहसिना को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। 23 और 24 की रात थी। जाकिर पत्नी मोहसिना की देखभाल करने के लिए अस्पताल में रुका था।
चारों छोटे-छोटे बच्चे घर में थे
घर में उसके चारों छोटे-छोटे बच्चे थे, इनमें सबसे बड़ी नाहिदा 15 साल की थी। वह फैजान और जुबैर को अपने साथ बैड पर लेकर सो गई थी। बच्चों की चाची खैरून सबसे छोटे जैद को सोने के लिए अपने कमरे में ले गई। 24 अगस्त की सुबह करीब पांच बजे कमरे में शॉर्ट सर्किट होने से आग लग गई। नाहिदा, फैजान और जुबैर को आग ने अपनी चपेट में ले लिया, धुंआ बाहर आने पर लोगों को घटना की जानकारी हुई, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।
कमरे में तीनों बच्चे बुरी तरह झुलस गए थे
जाकिर के भाई तालिब ने पड़ोसियों की मदद से बिजली का कनेक्शन काट तीनों बच्चों को जैसे - तैसे कमरे से निकाला था। तीनों बुरी तरह झुलस गए थे, नजदीकी निजी अस्पताल ने तुरंत तीनों को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। बच्चे सफदरजंग अस्पताल पहुंचाए गए और उपचार भी शुरू हो गया, लेकिन
फैजान और नाहिदा के बाद जुबैर ने भी दम तोड़ा
26 अगस्त को फैजान और फिर 28 अगस्त को नाहिदा की मौत हो गई। चिकित्सकों तमाम प्रयासों के बाद भी उनकी जान नहीं बचा सके। जुबैर ने उसी अस्पताल में रविवार की सुबह दम तोड़ दिया। चार बच्चों के भरे पूरे परिवार से केवल जैद ही बचा है, जो घटना वाली रात अपनी चाची के साथ सोया था।