Ghaziabad News : इंदिरापुरम थाना पुलिस ने एक बड़े ही शातिर जालसाज गैंग का पर्दाफाश किया है। यह गैंग एक चलते- फिरते कॉल सेंटर का संचालन करता था। शातिर टेली कॉलिंग कें जरिए क्रेडिट होल्डर्स को फोन करके शॅपिंग से मिलने वाले पाइंट्स रिडीम करने के नाम पर क्रेडिट कार्ड में सेंधमारी का काम करते था। गैंग एक टैंपो ट्रेवलर में चलता था। एसीपी इंदिरापुरम स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस ने चैकिंग के दौरान वैशाली सेक्टर-पांच- छह की पुलिया के पास एक टेंपो ट्रेवलर देखा, उसमें कुछ संदिग्ध प्रतीत होने पर पुलिस ने रोककर चैकिंग की तो मिनी बस से 13 कीपैड, मोबाइल फोन, सात एंड्रॉयड फोन, 30 बैट्री बरामद हुईं।
फर्जी नाम पते पर खुलवाते थे बैंक खाते
कुल तीन लोगों के पास इतने सारे मोबाइल देखकर पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो अभियुक्तों ने जालसाजी के काम के बारे में बताया। एसीपी ने बताया कि अभियुक्तों के कब्जे से पुलिस ने चार चेक बुक और रेंट एग्रीमेंट बरामद किए हैं। रेंट एग्रीमेंट का इस्तेमाल कर यह फर्जी पतों पर पैन कार्ड और आधार कार्ड बनवाकर बैंक खाते खुलवाते थे और जालसाजी का पैसा इसी तरह के खातों में भिजवाते थे। बाद में रकम अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते थे।
पाइंट रिडीम के लिए साइट पर क्लिक कराते थे
एसीपी ने बताया कि इनका गैंग क्रेडिट होल्डर्स का डेटा उपलब्ध कराता था। डेटा के आधार पर टेली कॉलिंग के जरिए क्रेडिट कार्ड होल्डर्स को पाइंट रिडीम करने के लिए प्रेरित किया जाता था, ये लोग उसके लिए कार्ड होल्डर्स को लालच देते थे और हेल्म करने के नाम पर पाइंट रिडीम कराने के बहाने एक साइट पर क्लिक करा लेते थे। इसी से ये लोग क्रेडिट कार्ड में सेंधमारी करते हुए पैस निकालकर फर्जी नाम पते पर खोले गए एकाउंट में भेजते थे और उस एकाउंट से अपने एकाउंट में भेज देते थे।
अभियुक्तों में एक केरल का निवासी
एसीपी ने बताया कि पुलिस के हत्थे चढ़े शातिरों मेें एक तिरुअनंतपुरम, केरल का रहने वाला है, सुशांत कुमार नाम का यह शातिर वर्तमान में दिल्ली के नंदविहार इलाके में रहता है। दूसरा अभियुक्त शनि कश्यप, फरुखनगर थाना टीला मोड़ का रहने वाला है। तीसरा अभियुक्त अमन गोस्वामी लोनी बॉर्डर थानाक्षेत्र का रहने वाला है। अभियुक्तों से पूछताछ के आधार पर गैंग के अन्य शातिरों की तलाश में पुलिस छापेमारी कर रही है।
तीनों स्नातक और एक बीएससी आईटी
पुलिस के हत्थे चढ़े तीनों अभियुक्त पढ़े लिखे हैं और बहुत शातिर हैं। इन्होंने पुलिस से बचने के लिए कॉल सेंटर के संचालन का नया तरीका निकाला है। दरअसल कहीं मकान या आफिस किराए पर लेने से मुखबिरी होने का खतरा है। इतने सारे मोबाइल फोन और अन्य सामान देखकर किसी को भी शक होना स्वभाविक है। इसलिए इन लोगों ने ट्रैंपो ट्रेवलर में कॉल सेंटर बना लिया और चलते फिरते कॉलिंग का काम करते रहते थे।
ढाई से तीन करोड़ की कर चुके जालसाजी
एसीपी इंदिरापुरम स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि गैंग पिछले डेढ़-दो साल जालसाजी का यह काम कर रहा था और अब तक ढाई से तीन करोड़ रुपये की जालसाजी कर चुका है। पुलिस ने तीन शातिरों को दबोच लिया है, इनसे पूछताछ के आधार पर गैंग के अन्य शातिरों तक पहुंचने के प्रयास में पुलिस जुटी है।