Ghaziabad News : तमाम अभियान चलाए जाने के बाद भी निजी बसों की स्थिति नहीं सुधर पा रही है। स्थिति यह है कि गाजियाबाद में 630 बसें अनफिट हैं। हालांकि वाराणसी का डेटा और चौंकाने वाला है। वहां सूबे में सबसे अधिक 687 बसें अनफिट हैं। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि अनफिट बसों को सड़कों न दौड़ने दिया जाए। उन्नाव में हुए सड़क हादसे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बसों की फिटनेस को लेकर सख्त निर्देश जारी किए थे, लेकिन कुछ दिन डग्गामार बसों की धरपकड़ हुई, उसके बाद सब शांत हो गए।
कांवड़ यात्रा के बाद होगी सख्ती
मामले में आरटीओ प्रवर्तन केडी सिंह का कहना है कि कांवड़ यात्रा संपन्न होने के बाद सख्ती से अभियान चलाया जाएगा। फिटनेस के बिना एक भी बस को सड़क पर नहीं आने दिया जाएगा। उन्होंने कहा जनपद में कांवड़ यात्रा के चलते बड़े स्तर पर वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित और परिवर्तित किया गया है।कांवड़ यात्रा के चलते फिलहाल स्कूल भी बंद हैं। ऐसे में अभियान को स्थगित रखा गया है, हालांकि अभी भी यदि किसी अनफिट बस की सड़क पर दौड़ने की शिकायत मिलेगी तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डीजल वाहनों की अवधि 10 साल
अभियान में बसों के रजिस्ट्रेशन, फिटनेस सर्टिफिकेट और इंश्योरेंश आदि की जांच करने के साथ ही चालक के पास वैद्य लाईसेंस की उपलब्ध सुनिश्चित की जाएगी। निर्धारित समय सीमा के बाद भी यदि कोई बस सड़क पर मिली तो उसे सीजकर स्क्रैप कराने की कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी। समयावधि पार कर चुकी बसों के स्वामियों को नोटिस भेजे जा रहे हैं। एनसीआर में बसों समेत सभी डीजल वाहनों के लिए 10 साल की अवधि निर्धारित है।
685 बसों की हुई जांच
आरटीओ ने बताया कि बसों की फिटनेस के संबंध में मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद जिले में 685 बसों की जांच की गई है। इनमें से 658 बसें फिट मिलीं, बाकी 27 मानकों के हिसाब से सही नहीं पाई गईं। इसके अलावा 103 बसें आवंटित रूट पर नहीं मिलीं। 90 बसें सीज की गईं और 15.56 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया।