गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में हिंडन सीमांकन को और  समय मांगा, NGT ने एक साल पूर्व दिए थे आदेश, बार-बार बढ़ाना पड़ा वक्त

खास खबर : गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में हिंडन सीमांकन को और समय मांगा, NGT ने एक साल पूर्व दिए थे आदेश, बार-बार बढ़ाना पड़ा वक्त

गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में हिंडन सीमांकन को और  समय मांगा, NGT ने एक साल पूर्व दिए थे आदेश, बार-बार बढ़ाना पड़ा वक्त

Tricity Today | गाजियाबाद में हिंडन का हाल (फाइल फोटा)

Ghaziabad/ Noida News : प्रदूषण और अवैध निर्माण के चलते अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही हिंडन के बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन करना ढेडी खीर साबित हो रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर जनपद में शुरू हुआ सीमांकन कार्य पूरा करने के लिए अब उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जुलाई, 2025 तक का समय मांगा गया है। मई में जवाब दाखिल करते हुए सरकारी की ओर से चुनावी व्यवस्तता के चलते कार्य पूरा न हो पाने की बात कहते हुए जुलाई तक काम पूरा करने की बात कही गई थी, प्रदेश सरकार की मांग पर एनजीटी ने तीन माह का समय दिया था। लेकिन 18 अक्टूबर को सरकार की ओर से इस कार्य के लिए जुलाई, 2025 तक का समय मांगा गया है।

अगले दो माह में पूरा होगा ड्रोन सर्वे
17 अक्टूबर को एनजीटी के समक्ष पेश जवाब में कह‌ा गया है कि चिन्हांकन के लिए ड्रोन सर्वे कराया जा रहा है। छह टीमें सर्वे ऑफ इंडिया के निर्देशन में काम कर रही हैं। अगले दो महीनों में दोनों जिलों में नदी के किनारे 850 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का सर्वेक्षण पूरा कर लिया जाएगा। 'प्रत्येक टीम प्रति माह लगभग 75 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करेगी। हमने पहले ही लगभग 30 वर्ग किलोमीटर का सर्वेक्षण कर लिया है, बाकी का सर्वेक्षण 31 दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद, दोनों जिलों में हिंडन के दोनों ओर बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन करने के लिए पोल लगाए जाएंगे।

सीमांकन जुलाई, 2025 तक पूरा होने की उम्मीद
सिंचाई विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जुलाई 2025 तक हमें काम पूरा होने की उम्मीद है। दिसंबर तक ड्रोन सर्वे पूरा होने के बाद "ड्रोन सर्वेक्षण डेटा को डिजिटल सतह मॉडल (DSM), डिजिटल एलिवेशन मॉडल (DEM) बनाने और कंप्यूटर और ऑर्थोरेक्टीफाइड इमेजनरी (ORI) बनाने के लिए प्रोसेस किया जाएगा। उन्होंने बताया कि डीईएम के जरिए केवल स्थल आकृति का पता चलता है जब‌कि  डीएसएम के द्वारा सतह पर मौजूद वस्तुएं जैसे कोई निर्माण, बिलली के पोल या पेड़ आदि भी प्रदर्शित होते हैं।  यह प्रोसेस पूरा करने के लिए कम से कम छह माह का समय लगेगा।

दोनों जिलो में मात्र 52.5 किमी लंबा तटबंध
याचिका करता आलोक कुमार का कहना है कि रिपोर्ट के मुताबिक हिंडन बाढ़ क्षेत्र का 65 प्रतिशत क्षेत्र संरक्षित है, लेकिन यह आंकड़ा केवल कागजी है, वास्तविक स्थिति यह है कि गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर जनपद में हिंडन 104 किमी की लंबाई में बहती है और तटबंध मात्र 52.5 किमी लंबे हैं। 42.5 किलोमीटर लंबा तट बंध गौतमबुद्धनगर में आता है और गाजियबाद में मात्र 10 किमी। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में बाढ़ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हो गए, फार्म हाउस बन गए, निर्माण के चलते नदी का प्रवाह बाधित हो रहा है।

छेड़छाड़ का नतीजा था 2023 की बाढ़
गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर जनपद में हिंडन के प्रवाह से छेड़छाड़ का नतीजा 2023 में बाढ़ के रूप में सामने आया था। गाजियाबाद में इस बाढ़ से सबसे ज्यादा करहेड़ा गांव प्रभावित हुआ था। पूरा गांव डूबने के कगार पर पहुंच गया। ग्रामीणों को प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमों ने वोट लगाकर रेस्क्यू करना पड़ा था। उस भयावह स्थिति के बाद ही 2023 में आलोक कुमार की ओर से 11 सितंबर को एनजीटी में याचिका दायर की गई थी। करहेड़ा के अलावा अटोर नगला और कनावनी गांव में भी नदी के प्रवाह से बड़े स्तर पर छेड़छाड़ हुई है।

एक साल बाद भी और समय की दरकार
26 सितंबर, 2023 को एनजीटी ने राज्य और केंद्र सरकार के साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के संबंधित अधिकारियों से याचिका पर जवाब तलब किया था। उसके बाद डीएम गौतमबुद्धनगरकी ओर से दाखिल किए गए जवाब पर एनजीटी ने हिंडन नदी के बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन करने के आदेश देते हुए दो माह का समय दिया था, जिसमें प्रदेश सरकार की ओर से अभी भी समय की मांग की जा रही है।

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